For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत: निज मन से हांरे हैं... -- संजीव 'सलिल'

गीत:
निज मन से हांरे हैं...
संजीव 'सलिल'
*
कौन, किसे, कैसे समझाये
सब निज मन से हारे हैं.....
*
इच्छाओं की कठपुतली हम
बेबस नाच दिखाते हैं.
उस पर भी तुर्रा यह, खुद को
तीसमारखां पाते हैं.
रास न आये सच कबीर का
हम बुदबुद-गुब्बारे हैं.....
*
बिजली के जिन तारों से
टकरा पंछी मर जाते हैं.
हम नादां उनका प्रयोग कर,
घर में दीप जलाते हैं.
कोई न जाने कब चुप हों
नाहक बजते इकतारे हैं.....
*
पान, तमाखू, ज़र्दा, गुटका,
खुद खरीदकर खाते हैं.
जान हथेली पर रखकर-
वाहन जमकर दौड़ाते हैं.
'सलिल' शहीदों के वारिस या
दिशाहीन बंजारे हैं.....
*********************
.



Views: 393

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bhasker Agrawal on December 23, 2010 at 8:18am

इच्छाओं की कठपुतली हम
बेबस नाच दिखाते हैं.
उस पर भी तुर्रा यह, खुद को
तीसमारखां पाते हैं.

ये लाइंस तो कुछ ज्यादा ही कमाल हैं...मज़ा आ गया
Comment by Rash Bihari Ravi on December 22, 2010 at 6:57pm

बिजली के जिन तारों से
टकरा पंछी मर जाते हैं.
हम नादां उनका प्रयोग कर,
घर में दीप जलाते हैं.
कोई न जाने कब चुप हों
नाहक बजते इकतारे हैं.....

 

jai ho bahut khubsurat

Comment by sanjiv verma 'salil' on December 22, 2010 at 6:51pm
आप सबकी गुण ग्राहकता को समर्पित हैं चंद पंक्तियाँ

बागी लता नवीन मिथक है,
देख चकित रह जाते हैं.
हों न प्रभाकर तो योगी-
तम में बरबस भरमाते हैं.
शकुनी पांसे थामे तो
दुर्योधन के पौ बारे हैं.....
*
Comment by Lata R.Ojha on December 21, 2010 at 2:01pm

बहुत सुंदर रचना है ..
अपनी ही कमियों को नज़रअंदाज़ कर के खुद को सही साबित करने की कोशिश का कितना सटीक वर्णन..वाह!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2010 at 10:44am

खुद को
तीसमारखां पाते हैं......सब मन का भ्रम और खुद को भुलावे मे रखने का प्रयत्न

 

जान हथेली पर रखकर-
वाहन जमकर दौड़ाते हैं.........नासमझी का सबसे बढ़िया उदाहरण...

बहुत बढ़िया आचार्य जी,सुंदर रचना ...

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service