२१२२ २१२२ २१२२
जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते
कौन क्या कहता नहीं अब कान देते
आपके निर्देश हैं चर्या हमारी
इस जिये को काश कुछ पहचान देते
जो न होते राह में पत्थर बताओ
क्या कभी तुम दूब को सम्मान देते ?
बन गया जो बीच अपने हम निभा दें
क्यों खपाएँ सिर इसे उन्वान देते
दिल मिले थे, लाभ की संभावना भी,
अन्यथा हम क्यों परस्पर मान देते ?
जो थे किंकर्तव्यविमूढों-से निरुत्तर
आज देखा तो मिले वे…
Added by Saurabh Pandey on November 2, 2025 at 7:30am — No Comments
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