२२ २२ २२ २२ २२ २
चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
हो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल के
हर पल अपना जिगर जलाना पड़ता है
तब जाके अल्फाज़ महकते हैं दिल के
तुमने तो बर्बाद गुलिस्ताँ कर डाला
लाखों सपने टूट गए मुस्तक़बिल के
कश्ती की हस्ती है बीच भँवर लेकिन
लोग सफ़र में दीवाने हैं साहिल के
जिसने लाचारों के ऊपर ज़ुल्म किया
चोर सुनाते हैं किस्से उस बुझदिल के
सब कुछ धीरे धीरे यूँ ही गँवा…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on August 13, 2025 at 3:05pm — No Comments
2122 1212 22
1
देख लो महज़ ख़ाक है अब वो।
जो समझता रहा कि है रब वो।।
2
हो जरूरत तो खोलता लब वो।
बात करता है बे सबब कब वो।।
3
उठ सकेगा नहीं कभी अब वो।
बोझ भारी तले गया दब वो।।
4
ज़िन्दगी क्या है तब समझ आया।
मौत से रू ब रू हुआ जब वो।।
5
वक़्त आया हुआ बुरा जिसका।
रोकने से भला रुका कब वो।।
6
गर जरूरत पड़ी दिखाएगा।
जानता है हरेक करतब वो।
7
बात समझा नहीं मुहब्बत…
ContinueAdded by surender insan on August 12, 2025 at 3:00pm — No Comments
धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार ।
कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार ।
इस जग में उद्धार , धर्म से रिश्ते झूठे ।
मन में भोग-विलास, आचरण दिखें अनूठे ।
कर्मों के परिणाम , देख फिर हरदम रोते ।
करें न मन को शुद्ध , गंग में बस तन धोते ।
सुशील सरना / 10-8-25
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on August 10, 2025 at 7:00pm — 4 Comments
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