For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार सत्तरवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 फ़रवरी 2017 दिन शुक्रवार से 18 फ़रवरी 2017 दिन शनिवार तक
इस बार उल्लाला छन्द के साथ पुनः रोला छन्द को रखा गया है. - 

उल्लाला छन्द, रोला छन्द

 

यह जानना रोचक होगा, रोला छन्द दोहा छन्द के कितने निकट और कितने दूर है ! 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

उल्लाला छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

रोला छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

[प्रस्तुत चित्र भाई गणेश जी बाग़ी के मार्फ़त अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 फ़रवरी 2017 दिन शुक्रवार से 18 फ़रवरी 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8490

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

चुकुर-चुकुर यह कौन, दूध पीता है छुपकर

हो जिज्ञासा शांत, जरा देखूँ तो झुककर

नन्हा-सा यह जीव, लग रहा मुझ-सा सच्चा

समझा ! माँ के पास, चला आया है बच्चा |....बहुत ही सुन्दर ....हार्दिक  बधाई आपको इस शानदार प्रस्तुति के लिए आदरणीय अरुण कुमार  निगम जी 

आदरणीय अरुण सर, चित्र को सार्थक करते अद्भुत छंद रचे है आपने। इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर

रोला

 

कितना सुन्दर दृश्य  नेत्र का उत्सव है यह

भावों का अभ्युदय  राग का उद्भव है यह

वत्सलता है मूर्त्त  अजा अति तोषमना है 

ममता अंचल स्फूर्त्त शान्ति उद्घोष घना है

 

अजा मौन अक्लांत  मेमना दिखता तन्मय

है दोनों ही शांत  सुधारस माता का पय

देख रहा उद्भ्रांत  एक शिशु कौतुक सारा 

यह अनुभव है कांत कलित कविता की धारा

 

 

उल्लाला (13,13)

 

स्वच्छ दीखता है सदन अतिशय यह आंगन सुखद

अजा खडी है सुभग तन वत्सल मानस सौख्यप्रद

 क्या करता है मेमना ? बैठा है इस भाँति क्यों ?

क्यों ममत्व में है सना शांत अजा का भाव यों

 

क्यों कौतूहल का विषय हुआ वत्स का खेल यह  

पीता है वह मुग्ध पय  रागायित है मेल यह

यह व्यवहारिक जीव गति निरख रहा शिशु ध्यान से

बूझेगा जग की प्रकृति  निज अनुभव के ज्ञान से       

 

उल्लाला (15,13)

 

यह पयस्विनी माता सदा  पान कराती अमिय पय

इस तपस्विनी का सुधारस  पीता है जातक अभय

यों मनस्विनी निर्भ्रान्त हो पान कराती है पयस

है यशस्विनी जग में जननि वत्सल सरसाती सरस  

 

 

उल्लाला (13,13) विषम सम चरण तुकांत

 

सृजन कर रहा काम है दृश्य बड़ा अभिराम है

माता सुख की धाम है जीवन गति अविराम है

जानु टेक कर ताकता मन में गुनता आंकता

हाथों के बल झांकता हर अनुभव को टाँकता

शिशु आतुर है दंग है  इसका अद्भुत ढंग है  

जीवन एक उमंग है अपना भी इक रंग है

 

 (मौलिक /अप्रकाशित )

 

 

 

आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब, अति क्लिष्ट भाषा का प्रयोग किया गया है । बधाई!

आदरणीय भाई गोपालजी

इन छंदों से चित्र को आपने खूबसूरती से परिभाषित किया है । बाल मन और मूक पशुओं में प्रेम को भी सुंदर शब्दों के साथ छंद बद्ध किया है आपने । हार्दिक बधाई

आदरणीय बड़े भाई  गोपाल जी , चित्र के भावों को परिभाषित करती आपकी छंद रचना बहुत सुन्दर हुई है । आपको ह्र्दय से बधाइयाँ ।

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी सादर
प्रस्तुति का भाव पक्ष एवं कला दोनों मन को मुग्ध कर गए सादर बधाई प्रेषित है

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सादर,प्रदत्त चित्र पर सभी छंद बहुत ही सुंदर रचे हैं आपने. उल्लाला के सभी प्रकार आपने रचे हैं, सभी बहुत उत्तम हुए हैं.बहुत -बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

आदरणीय गोपाल नारायन जी, आपकी उपस्थिति से मंच की गरिमा बढ़ती है. आप एक उर्वर रचनाकार हैं. आपने चित्र की आत्मा को न केवल मुखर किया है बल्कि भाषा के लालित्य से भी परिचित कराया है. हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ आदरणीय.

किन्तु, आपके कई दोष बदस्तूर बने हुए हैं जहाँ मैं स्वयं को सहज नहीं पाता. हो सकता है आपकी दृष्टि में ये दोष ही न हों. किन्तु मूलभूत नियमों के अनुसार इनके प्रति संवेदनशील रहने की अपेक्षा तो रहती ही है. फिर आपका आयोजन की रचनाओं के संकलन पर वापस न आना, न सुधार के प्रति उत्सुकता दिखाना अपने रचनाकर्म के प्रति आपकी आश्वस्ति का परिचायक भी हो ! संभवतः ! .. :-))

सादर

आदरणीय गोपाल सर, बहुत बढ़िया छंद रचे हैं आपने। हार्दिक बधाई।
भावों का अभ्युदय और अजा खड़ी है सुभग तन
को देख लीजियेगा।
सादर
रोला छंद
-------

अपना अपना वास,सभी को लगता प्यारा।
निर्धन गोबर संग,लीप घर करे गुजारा।
पड़ी पतीली पास,कुटी का हाल सुनाए।
नहीं दाल ना भात,भूख ये बढ़ती जाए।

भूल भूख निज जान,पूत की भूख बड़ी है।
भूरी बकरी मूंद,नयन पग थाम खड़ी है।
तकता बच्चा मात,किसे है दूध पिलावे।
एक घूँट से काश,मात मम मन भर जावे।

जिन्दा होती आज,मात मम गले लगाती।
निचोड़ अपना वक्ष,मुझे भी दूध पिलाती।
मोर पंख सिर बांध, कभी वह कृष्ण बनाती।
लेकर अपनी गोद,प्यार से लाड़ लड़ाती।

मौलिक व अप्रकाशित

भूल भूख निज जान,पूत की भूख बड़ी है।
भूरी बकरी मूंद,नयन पग थाम खड़ी है।
तकता बच्चा मात,किसे है दूध पिलावे।
एक घूँट से काश,मात मम मन भर जावे।............वाह !

आदरणीय सुरेश कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र पर यह रोला छंद की प्रस्तुति बहुत सुंदर हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
32 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service