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आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ छत्तीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - गीतिका छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

20अगस्त 2022 दिन शनिवार से 

21 अगस्त 2022 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

गीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

20 अगस्त 2022 दिन शनिवार से 21 अगस्त 2022 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करते उत्कृष्ट छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।

सादर नमन आदरणीय।बहुत बहुत आभार आपका

वाह  चित्र को साकार करते अनुपम छंद। हार्दिक बधाई आदरणीय दिनेश कुमार जी।

सादर अभिवादन स्वीकार करें आदरणीया।बहुत बहुत आभार आपका।

चाहिए कुछ क्या खिलौना, माँगते यह कुछ नहीं ।
ज़िद कभी पकड़ी अगर तो सब ग़लत ये ही सहीं ।........वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से बालहठ को भी जोड़ते हुए सुन्दर छंद रचे हैं.

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सभी छंद शिल्पबद्ध एवं विषयानुसार रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

सादर अभिवादन स्वीकार करें आदरणीय रक्ताले जी। बहुत बहुत आभार आपका

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्माजी, आपकी रचना ने चकित तो किया ही बार-बार मन साधुवाद कह रहा है. प्रदत्त चित्र के अनुसार क्या ही सार्थक, संयत तथा पठनीय रचना हुई है. 

बधाइयाँ .. बधाइयाँ 

निम्नलिखित छंद के लिए विशेष रूप से बधाइयाँ स्वीकार कीजिए. 

खेल में कोई निपुण हो, कौन है कमतर कहो ।
कब पराजय या विजय का द्वन्द्व है मिल कर रहो ।।
बाँट लेते हर ख़ुशी को जीत या फिर हार को ।
सीख सच्ची दे रहे हैं बस यही संसार को ।।

यह अवश्य है कि नहीं और सहीं की तुकांतता नेष्ट है. हिंदी में वस्तुतः सही का स्थानापन्न सहीं कोई शब्द नहीं है. 

छंदोत्सव में आपकी सदैव प्रतीक्षा रहेगी. 

शुभातिशुभ

गीतिका छंद

______
राह कच्ची है इधर  दिखता न यातायात है
इस तिगड्डे के लिये तो बन गई बस बात है
 फिर फटाफट कूद की भी तय चुनौती हो गई
लो हवा भी बचपने की मस्तियों में खो गई
________
पेड़ लेते हैं बलैयाँ दोस्तों के साथ पर
फिक्र किसको क्या अभावों ने लिखा है माथ पर
जिंदगी की भी उड़ानों में न डरना तुम जरा
आस से विश्वास से मन को सदा रखना भरा
_____
मौलिक व अप्रकाशित
 
राह कच्ची है इधर  दिखता न यातायात है
इस तिगड्डे के लिये तो बन गई बस बात है........वाह ! चित्र के अहम् आयाम को प्रदर्शित करती सुन्दर पंक्तियाँ.
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर दोनों ही गीतिका छंद सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी द्वितीय छंद में शब्द 'दोस्तों' को आपने 212 की तरह लिया है. सादर.

हार्दिक आभार इस सराहना और मार्गदर्शन के लिये आदरणीय अशोक जी। 

आ. प्रतिभा बहन, चित्र के अनछुए पहलुओं को उभारती सार्थक छंद रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

आदरणीया प्रतिभा जी, 

राह कच्ची है इधर  दिखता न यातायात है
इस तिगड्डे के लिये तो बन गई बस बात है
 फिर फटाफट कूद की भी तय चुनौती हो गई
लो हवा भी बचपने की मस्तियों में खो गई

दो छंदों की प्रस्तुत रचना बाल-मन के मनोविज्ञान को बखूब उजागर करती हुई है. वाह, क्या बात है ! .. 

दूसरे छंद में दोस्तों की मात्रा को दोसतों के तौर पर साधना छंद शिल्प के अनुरूप नहीं है. 

आदरणीय अशिक भाईजी ने भी आपको इसके प्रति सचेत किया है. 

इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद तथा बधाइयाँ 

शुभ-शुभ

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