For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 35

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 35 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का तरही मिसरा, शायर  मीर तकी मीर की बहुत ही मकबूल गज़ल से लिया गया है |

पेश है मिसरा-ए-तरह...

"फिर मिलेंगे  अगर खुदा  लाया"

२१२२-१२१२-२२ 

फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन 

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)
रदीफ़ :- लाया 
काफिया :- अलिफ़ या आ की मात्रा (खुदा, उठा, मिला, वास्ता, रास्ता, क्या, इंतिहा आदि)
आयोजन अवधि :- 24 मई 2013 दिन शुक्रवार से 26 मई दिन रविवार तक 
विशेष:
१.    इस बह्र मे अरूज के अनुसार कुछ छूट भी जायज है, जैसे कि पहले रुक्न २१२२ को ११२२ भी किया जा सकता है | उदाहरण के लिए ग़ालिब की ये मशहूर गज़ल देखिये...
 
दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है 
११२२ १२१२ २२
आखिर इस दर्द की दवा क्या है 
२१२२ १२१२ २२
 
२.    अंतिम रुक्न मे २२ की जगह ११२ भी लिया जा सकता है| 

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 24 मई दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 26 मई दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा में एकदम से नये हैं, अपनी रचनाएँ वरिष्ठ साथियों की सलाह के बाद ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और एक सीमा के बाद बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये  जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये गये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  24 मई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


मंच संचालक 
श्री राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

Views: 15877

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

क्या खूब गिरह लगाई है संदीप जी दिलखुश हुआ 

बाद पतझड़ के हम बहारों से 

फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया.

मुबारकबाद !!

आदरणीय अभिनव सर जी सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया आपका 

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

गाँव की ख़ाक जो उठा लाया  

वो मेरे वास्ते दवा लाया

अब शेर का प्रभाव देखें। 

 

वो लुटाने चला था दिल लेकिन

और कितने ही दिल चुरा लाया

अब वज्‍़न देखें। 

 

दिल लगाना ही खेल उसका है  

क्‍या गज़ब हौसला लिखा लाया

 

आज पतझड़ है कल बहारों में

फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया.

 

जालसाजी फरेब बेअदबी

शह्र से किसलिये कमा लाया

 

बहुत मामूली प्रयास और चाहिये था। 

आदरणीय तिलक राज कपूर सर जी 

आपके सुझावों ने बाकई कमाल कर दिया है कहन क्या होती है कैसे वजन देना है ये अभी सीख रहा हूँ आप अग्रजों के बीच रहकर 

कुछ समयाभाव की वजह से भी कमियाँ रह जाती हैं 

ये सुझाव और मार्गदर्शन के लिए आपका आभारी हूँ 

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

आदरणीय संपादक महोदय  से अनुरोध है के आदरणीय तिलक राज सर जी के दिए सुझावों के अनुरूप कृपया इस अशआरों को सुधारने की कृपा करें सादर प्रार्थी हूँ 

गाँव की ख़ाक जो उठा लाया  

वो मेरे वास्ते दवा लाया

 

वो लुटाने चला था दिल लेकिन

और कितने ही दिल चुरा लाया

दिल लगाना ही खेल उसका है  

क्‍या गज़ब हौसला लिखा लाया

 

आज पतझड़ है कल बहारों में

फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया

 

जालसाजी फरेब बेअदबी

शह्र से किसलिये कमा लाया

कष्ट देने के लिए क्षमा चाहता हूँ ये स्नेह यूँ ही बनाए रखिये 

यथा संशोधित 

आदरणीय गणेश सर जी सादर धन्यवाद किन्तु संशोधित ग़ज़ल में एक अशआर 

गलत भी ऐड है उसे कृपया हटाने का कष्ट करें 

उम्र लग जाए तुझे मेरी भी

वो सदा लब पे ये दुआ लाया  

सादर आभार आपका स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 

ठीक है । 

//जालसाजी फरेब बेअदबी

शह्र से किसलिये कमा लाया//

वाह वाह, बहुत अच्छे संदीप भाई, सुन्दर कहन , अच्छी प्रस्तुति हुई है, बधाई स्वीकार करें । 

वाह वाह वाह ! बहुत सुन्दर कोशिश हुए है, आदरणीय संदीप भाईजी.. .

बहुत बहुत बधाइयाँ

पत्थरों के शहर से आईना भी  .. इस मिसरे की पुनः तकतई करना श्रेयस्कर होगा.. .

प्रिय संदीप जी,

गाँव की ख़ाक जो उठा लाया

वो मेरे वास्ते दवा लाया

बाद मुद्दत के दीप है आया

गाँव की मस्तियाँ उठा लाया................मिसरे से ही सोंधी खुशबू आ गई...............

वो लुटाने चला था दिल लेकिन

और कितने ही दिल चुरा लाया

चोरियाँ हों अगर तो ऐसी हों

बाँट कर भी बहुत कमा लाया...............बेहतरीन भाव.............

दिल लगाना ही खेल उसका है

क्‍या गज़ब हौसला लिखा लाया

एक दरिया है आग का लेकिन

प्यार मँझधार से बचा लाया..................हौसले को सलाम............

आज पतझड़ है कल बहारों में

फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया

ना बुझेगा चिराग चाहत का

"दीप' आशा भरा जला लाया......................जय हो दीप जी, संदीप जी...............

जालसाजी फरेब बेअदबी

शह्र से किसलिये कमा लाया

 

पत्थरों के शहर से आईना भी   

बुत बने रहने की अदा लाया

आदरणीय संदीप जी इन दो अशार में शह्र का क्या वजन आपने बांधा है? कृपया स्पष्ट करें

अन्य कई शेर अच्छे हैं परन्तु दाल में कंकड़ है|

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
16 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service