आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 79 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-80
विषय - "कलम/लेखनी"
आयोजन की अवधि- 9 जून 2017, दिन शुक्रवार से 10 जून 2017, दिन शनिवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 9 जून 2017, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-80 में आपका हार्दिक स्वागत है!
सदियों से ही हर युग में , तेरा होता रहा जयकार ।
कलम तेरी कैसी तीखी धार ।
वेद पुराण शास्त्र उपनिषद , तेरा ही यह श्रम है ।
तेरी महिमा क्या बतलायें , जो भी कहें वो कम है ।
देकर के इतिहास, जगत पर , तुमने किया उपकार ।
कलम तेरी कैसी तीखी धार ।
जंगे आजादी में तुमने , राष्ट्रप्रेम का नाद किया ।
भारत माता की पीड़ा का , गीतों में अनुवाद किया ।
जब - जब देश पे हुआ आक्रमण ,कलम बनी तलवार ।
कलम तेरी कैसी तीखी धार ।
आज मगर क्या हो गया तुमको , क्यों तेरी धार ये कुंद हो रही ।
किस संक्रमण का वार हुआ जो , क्यों नहीं धार बुलन्द हो रही ।
क्यों नहीं आग उगल देते फिर , मच जाये हाहाकार ।
कलम तेरी कैसी तीखी धार ।
( मौलिक एवम अप्रकाशित )
आदरणीय सतीश भाईजी
वाह ! बहुत सही कहा है आपने वेद पुराण शास्त्र उपनिषद सभी श्रेष्ठ रचनाकारों की कलम से ही निकली है। देश भक्ति की भावना भी इसी कलम ने ही जगाई है। पर अब पहले सी बात कहाँ ? इस सुंदर रचना और आयोजन का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।
कलम तेरी कैसी तीखी धार । .. कलम तेरी तीखी है धार । .... [आवश्यक नहीं पर प्रवाह कुछ और बेहतर हो जाती है। ]
सादर
आपकी सराहना से बल मिला है आदरणीय ...... नमन ।
ह्र्दयतल से आभार जनाब तस्दीक साहेब ।
आ सतीश मापतपुरी साहब,ती सुन्दर रचना हुई है ,बहुत-बहुत बधाई
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया नयना जी
इतनी सुंदर रचना से आयोजन का शुभारम्भ हुआ है | हार्दिक बधाई आदरणीय सतीश जी |
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ आदरणीया कल्पना जी ... आभार ।
ह्र्दयतल से आभार आदरणीय सतविंद्र जी ।
आवश्यक सूचना:-
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