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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-49 की सभी रचनाओं का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

तरही मुशायरे की एक और क़िस्त ख़त्म हुई| पिछले उनचास महीनों में हमने ग़ज़ल की कई बहरों पर कलम आज़माइश की है| कभी कुछ बहरें आसान लगीं तो कुछ कठिन, पर इस बार थोड़ा अंतर यह रहा कि आसान सी दिखने वाली इस बहर में भी परेशानियों का सामना करना पडा| मैं इस बहर को आसान सी इसलिए कह रहा हूँ कि हमें कुल जोड़ ही तो मिलाना था १६ गाफ़ या ३२ मात्राओं का, बस ध्यान यह देना था कि रवानी बनी रहे| कमोबेश मात्राओं का जोड़ तो सबने मिलाया पर रवानी में कई शायर गच्चा खा गए| बहरहाल जो है तो है, संकलन हाज़िर कर रहा हूँ| पिछले दो मुशायरों का संकलन मैं अपनी ज़ाती दिक्कतों के कारण नहीं पेश कर पाया था, उसके लिए माज़रत चाहता हूँ, ज़ल्द ही उन्हें भी पोस्ट कर दूंगा| मिसरों में दो रंग भरे गए हैं लाल रंग उन मिसरों में जो बेबहर हैं या जिनमे रवानी नहीं है और हरे रंग जिनमे कोई न कोई ऐब है|

ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) 


हर एक हकीक़त कह देंगे हर एक कहानी कह देंगे
हक़ गोई करेंगे जब हम तो दुनिया को फानी कह देंगे

होंठो को सी लेंगे लेकिन अश्को की ज़ुबानी कह देंगे
'खामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगे'

मानो न हमारी बात मगर उल्फत है पुरानी कह देंगे

तुम अपनी नज़र से कह देना हम अपनी ज़ुबानी कह देंगे

इक नूर से सब जग उपजा है सब एक ही रब के बन्दे हैं
इस राज़ से जो नावाकिफ हैं उनसे गुरबानी कह देंगे

ये लोग हैं कितने पत्थर दिल दुःख दर्द किसी का क्या जानें
निकले हैं जो मेरी आँखों से उन्हें बहता पानी कह देंगे

चाहे जितना खामोश रहूँ लब भी सी लूँ तो भी क्या हासिल
ये अश्क तो मेरे पागल हैं हर ग़म की कहानी कह दें गे

क्यूँ खोयी खोयी रहती हो अब होश में आओ वरना सब
हमको दीवाना कहते हैं तुमको दीवानी कह देंगे

इस ओ बी ओ के मंच पे तो कितने हैं महाज्ञानी 'गुलशन'
जो शेर पढेंगे उल्फत के ज्ञानी को ज्ञानी कह देंगें

'गुलशन' साहब इस मिसरे में हर मौजू को तुम नज़्म करो
मुश्किल जो तुम को लगता है हम बा आसानी कह देगें

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शिज्जु शकूर

हम दिल में उठती लहरों की हर वज्हे रवानी कह देंगे
क्यूँ हलचल सी है मन में इतनी क्यूँ तुग़यानी कह देंगे

हम कुछ न छुपाएँगे अब तुमसे राज़े निहानी कह देंगे
बेबाक रहेगा दिल अपना फिर हाल ज़ुबानी कह देंगे

बहलाने की खातिर दिल को ग़म आनी जानी कह देंगे

बस एक नज़र भर देखेंगे खुशियों को फ़ानी कह देंगे

हम हर्फ़े मुहब्बत से रौशन कर देंगे दिल को अपने यूँ
जज़्बात लिखेंगे फिर तहरीरों को ताबानी कह देंगे

वहशतअंगेज़ नज़ारों से मेरी आँखें भर आयी हैं
कहने वालों का क्या है वो आँसू को पानी कह देंगे

ज़ाहिर होगा जब मेरी बर्बादी का किस्सा लोगों पर
सब चौंक उठेंगे सुनकर हिम्मत को नादानी कह देंगे

धड़केगा दिल ज़ोरों से जुम्बिश भी होगी आँखों में पर
“ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे”

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Tilak Raj Kapoor 


गर बात रही बस ऑंखों तक हर चोट पुरानी कह देंगे
ऑंखों का कहा समझा न अगर खुश हैं ये ज़बानी कह देंगे।

पूछा जो कभी क्यूँ उड़ते हो, रुत है ये सुहानी कह देंगे 
इस जोश का कारण पूछा तो, बाक़ी है जवानी कह देंगे ।

माथे पे शिकन का कारण हम बिटिया है सयानी कह देंगे
हम डरते हैं वो दुनिया से बिल्कुल है अजानी कह देंगे।

इस रात की स्याही में बोलो जाओगे कहॉं ये पूछा तो
महबूब की ज़ुल्फ़ों में अब तो है रात बितानी कह देंगे।

लोगों ने अगर पूछा हमसे क्या दर्द बसा है सीने में
हमने भी किया था इश्क़ कभी उसकी है निशानी कह देंगे।

गर रक्स में डूबी रूह कभी उनको न समझ में आयी तो
ये रूह रही है सदियों से मीरा सी दिवानी कह देंगे।

ये अह्द हमारा है क़ायम इक लफ़्ज़ बयां होगा न कभी 
"ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे"

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गिरिराज भंडारी

हम थोड़ा भी मुँह खोलें तो बस नाफरमानी कह देंगे 
हमको मुज़रिम ठहराने को वो कोई कहानी कह देंगे

जो प्यास बुझा देगा अपनी हम उसको पानी कह देंगे 
जो सुलझा दे जीवन उलझा हम उसको ज्ञानी कह देंगे

ये ठीक ज़ुबाँ पर क़ैद सही पर आँख़ों की तो भाषा है 
"ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे"

हैं सूरज चाँद रवाँ हरदम, यों रुके-रुके से तुम न चलो
तुम आहिस्ता भी बढ़ते रहे, वो उसे रवानी कह देंगे

तुम जो पाये हो दुनिया से वो ही तो बांटोगे इक दिन 
जो सवालात तुम छोड़ रहे, हम उसे निशानी कह देंगे

बेदाद गरों की महफिल में यूँ अश्क़ बहाना ठीक नहीं 
बेबस के अश्क़ न समझेंगे , वो खारा पानी कह देंगे

है खून जवाँ , है गर्मी तो , आँखों से जाहिर होने दो 
इन ठंडी ठंडी आहों को , क्या यूँ ही जवानी कह देंगे ?

तू रोक नही ज़ज्बात अभी, तू अश्क़ बहा हलका हो जा 
समझाने वाले , जान गई तो , आनी जानी कह देंगे

इस रोज़ बदलती दुनिया में, हर लम्हा नया नया कुछ है 
जिस मंज़िल पे तुम पहुँचे हो, कल उसे पुरानी कह देंगे

__________________________________________________________________________________

Nilesh Shevgaonkar 

वो बोल इबादत के सुनकर भी शोला-बयानी कह देंगे, 
आँखों में उमड़े सवालों को भी नाफ़रमानी कह देंगे. 

तुम लाख छुपाना चाहोगे, पर सामने सच आ जाएगा, 
बस आँख मिलाकर हम तुम में कितना है पानी कह देंगे.

नमकीन क़तारें पलकों पर, क्यूँ चेहरा है मुरझाया सा,
गर लोग ये हमसे पूछेंगे, है ज़ख्म-ए-निहानी कह देंगे.

बालों में चाँदी भरने लगी, अब छनती है शीशे से नज़र,
पर मिले जो कोई सीम_बदन हम ख्व़ाब-ए-जवानी कह देंगे. 

हम बंद रखेंगे चश्म-ओ-ज़ुबाँ, गोया कि ख़ुदा से जुड़ते हों, 
“ख़ामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगे.”

हों साथ अगरचे हम और तुम, हर शेर मुकम्मल हो जाए,
तुम मिसरा-ए-ऊला कह देना, हम मिसरा-ए-सानी कह देंगे.

दिल खोल के रख देंगे अपना, मिसरा दर मिसरा हम साहिब, 
कुछ लोग हमारी धड़कन को, ग़ज़लों की रवानी कह देंगे.

यूँ “नूर” इशारा कर के फिर हम छत पे बुला लेंगे उनको, 
जब दिल को शरारत सूझेगी, है ईद मनानी कह देंगे.

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Harjeet Singh Khalsa 


कुछ दूर हमारे साथ चलो, हर बात पुरानी कह देंगे,
कुछ भी न कहेंगे होंठो से, आँखों की जुबानी कह देंगे …

जो राजे हुनर सीखा तुमसे, वो आज तुम्ही पर खोलेंगे, 
ख़ामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगे

जीवन यूँ तनहा बीता है, कुछ खास नहीं बतलाने को,
जिस शाम तुम्हारा संग मिला, वो शाम सुहानी कह देंगे,

हम कहने पर जब आएंगे, कुछ राज नहीं रह पायेगा,
होती है कैसे चाहत में, बरबाद जवानी कह देंगे,

इश्क में लुट मिट जाओगे, तुम लाख लहू भी रो लोगे,
दुनिया वाले लेकिन इसको, बस सादा पानी कह देंगे,

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AVINASH S BAGDE

दिल के जलते शोलों को यूँ हम बहता पानी कह देंगे।
गर वक्त पड़ा तो हम तुमको नैनों की जुबानी कह देंगे।


नायाब वो नुस्खे नानी के और दादी की उम्दा बातें ,
हम नए लफ्ज़ की बोतल में वो बात पुरानी कह देंगे।

सौं तन्हाई की हमको और कसम वीराने की खा के ,
"ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे"

चुपके-चुपके चोरी-चोरी यूँ नैन लड़ायें कब तक हम ,
हम भी अपनी जाकर उनसे ये प्रेम कहानी कह देंगे।

रात के सपनो से चलकर किरणो के दर पर आई हो ,
सुबह तेरे दीदार को हम शबनम का सानी कह देंगे।

____________________________________________________________________

कल्पना रामानी

सोचा है यही उससे मिलकर, हर बात पुरानी कह देंगे।
जो बीत चुकी अब तक हम पर, अपनी ही जुबानी कह देंगे।

यदि उसने सुख-दुख पूछा तो, कुछ अपना हाल सुनाया तो,
तुम बिन अब हमको लगती है, यह दुनिया फ़ानी कह देंगे।

दिखते हैं ऐसे लोग बहुत, अपना मतलब पड़ जाने पर,
जो अनदेखी सूरत को भी, जानी पहचानी कह देंगे।

माना कि लबों पर बोल नहीं, पर हैं इंसाँ पाषाण नहीं। 
खामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे।

मिल जाए अगर वो राहों में, हो गहरा प्रेम निगाहों में,
इस बार हमें प्रिय दे जाओ, कुछ नेह-निशानी, कह देंगे।

यदि हमसे वो कर ले वादा, यह जीवन साथ बिताने का,
तो शेष ‘कल्पना’ रस्म कोई, नहीं और निभानी कह देंगे।

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मोहन बेगोवाल

तेवर जो दिखाये उसने हमें, मौसम की विरानी कह देंगे I
बन आये कभी जो दुनिया पे, कैसे रुत सुहानी कह देंगे I

यादों में रखा था जो छुपा हमने, गीत लबों पे ले आये ,
अब हम न कहें जो दिल में रही, बस बात बेगानी कह देंगे I

तुम ये मानों चाहे न मानो, कुछ बदले हुए से लगते हो,
चल कोई तो हम से बात करो, हम भी वो पुरानी कह देंगे I

हम भी चलेगे अब साथ तेरे, जो बीत गई वो जाने दो, 
"खामोश रहेंगे और तुम्हे, हम अपनी कहानी कह देंगे" I

हम बात कहें तुम मान भी लो, ऐसा न कभी हो पायेगा ,
जब हमने कहा तुम आग हो तो, तब साथ को पानी कह देंगे I

_________________________________________________________________________________

laxman dhami

गर काट जुबाँ दे सोच अगर तू, सत्य ज़़बानी कह देंगे
खामोश रहेगी आँख हमारी घाव कहानी कह देंगे /1/

ये सोच न हम चुपचाप कहीं, रो दें न जमाने को जाकर
पर लोग न दुख तो बाँट सकेंगे, अश्क को पानी कह देंगे /2/

यूँ भोर लिए है साथ उदासी, रात ये आलम क्या होगा
पर झूठी तसल्ली यार हमें दे शाम सुहानी कह देंगे /3/

इस राह सुधा ही हाथ लगे, मत यार किसी की बातें सुन
जो प्यार के पथ पर जा न सके वो जह्र खुरानी कह देंगे /4/

दिन-रात गुजरते चूर हुआ , मालूम हमें है थक कर तू
मत पास हमारे बैैठ मगर अब , लोग केरानी कह देंगे /5/

कुछ बोल यहाँ खामोश न रह, क्यों जुल्म सहे तू आये दिन
खामोश रहेगी यूँ ही अगर तू , खून को पानी कह देंगे /6/

जो आँख में डूबे आ न सके वो खुद तो किनारे पर, लेकिन 
फिसले जो कहीं हम और अगर नाकाम जवानी कह देंगे /7/

यूँ रोज निगाहें फेर गये जब पास से मेरे गुजरे वो 
जब बात चलेगी दोष मुझे दे, अश्क निशानी कह देंगे /8/

बरबाद हुए क्यों लोग कहेंगे बात बनाकर सौ-सौ फिर
मालूम नहीं तासीर नयी , तस्वीर पुरानी कह देंगे /9/

पर तुम जो यकीं कर हाल हमीं से पास जो आकर पूछेगी
खामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे /10/

_________________________________________________________________________

gumnaam pithoragarhi 

भैया हम अम्मा से तेरी सब कारस्तानी कह देंगे
खूब सताते हो तुम हमको सारी मनमानी कह देंगे

जीवन की राहों की यारो सभी परेशानी कह देंगे
सुख की नादानी कह देंगे दुःख की मनमानी कह देंगे

दस्तूर यही है दुनिया का सब अपनी खातिर जीते हैं
पीर पयम्बर दुनिया को एक बुलबुला पानी कह देंगे

आओ घर की दीवारों से इक तस्वीर लगा के देखें
वरना लोग इसे कोई कोठी एक पुरानी कह देंगे

रत के आयत या चौपाई यारो सब ही बेकार हुआ
हमदर्दी को सारे मानव आदत रूहानी कह देंगे

बादल के बच्चों की नभ में हँसी ठिठोली बहुत हुई अब
प्यासी धरती की बेचैनी हम अपनी जबानी कह देंगे

जज्बातों को कहने को अलफ़ाज़ उधारी ठीक नहीं है
खामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगे

______________________________________________________________________________

Abhinav Arun 


मेरी नज़्में मेरी ग़ज़लें सब तेरी निशानी कह देंगे |
क्या चीज़ मुहब्बत होती है लफ़्ज़ों की ज़ुबानी कह देंगे |

लहरों की रवानी कह देंगे नदिया की जवानी कह देंगे |
तुम प्रेम के नग्में छेड़ो तो तुम हो लासानी कह देंगें |

रुत प्रीत की आई सावन सी बरसें बूँदें मनभावन सी ,
दो बोल सुना दे कजरी के तुझे राग की रानी कह देंगे |

लैला मजनूँ शीरीं फ़रहा सोनी महिवाल की पढ़ लेना ,
फिर भी ग़म कुछ कम कम सा लगे तो अपनी कहानी कह देंगे |

आँखें सब कुछ कह देती हैं कुछ पलकों की भी माना कर ,
इक टक तो यूं न देख मुझे सब तुझे दिवानी कह देंगे |

इक ज़ख्म हरा हो जायेगा इक आह सी दिल से उट्ठेगी ,
जब याद तुम्हारी आएगी नज़्मे-रूमानी कह देंगे |

जब चाँद गगन पर छाएगा औ' याद की ख़ुशबू आएगी ,
चुपके से छत पर खिल जाना तुम्हें रात की रानी कह देंगे |

हालात की जब तक्तीअ न हो मन उलझा हो अरकान में तो ,
तुम उला बने हमसे मिलना हम मिसरा सानी कह देंगे |

ग़ज़लों की ज़ुबां सब बोलेंगे, हर राज़ रखेंगे पोशीदा ,
ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे |

ममता से सेवईं शीरीं हो तस्कीन में भींगे रूह तलक,
जहां माँ के हाथ का स्वाद मिले जन्नत की चुहानी कह देंगे |

सब नियम रखो तुम पास अपने, हमें रब से बातें करने दो ,
है इश्क़ मलंगी तो अभिनव नज़्मे-रूहानी कह देंगे |

____________________________________________________________________________

arun kumar nigam 

थाली में कटोरी रिक्त रखो, हम दाल - मखानी कह देंगे
शिकवा न करेंगे , भात को भी हम तो बिरियानी कह देंगे

तुम राज - खजाना बाँट रहे , खैरात नहीं यह तो हक है
पुश्तैनी धन अपना बाँटो , हम तुमको दानी कह देंगे

हम शीश कटा गुमनाम रहे वो केश कटा कर हैं चर्चित
होठों से निकलती आह को भी वो नाफरमानी कह देंगे

अंदाज तुम्हारा देख तुम्हें , सब लोग शिकारी कहते हैं
नज़रों के चलाओ तीर न तुम , भौहों को कमानी कह देंगे

अंग्रेज गये पर छोड़ गये कुछ सख्त मिजाजी जेलर भी
" शोले " की तरह खुशहाल दिखे , उनको असरानी कह देंगे

खोला भी करो तुम " मेल " कभी, हर बात पता चल जायेगी
खामोश रहेंगे और तुम्हें , हम अपनी कहानी कह देंगे

अपनों को समझ कर गैर सदा , परदेश चले तौबा - तौबा
कितना भी विदेशी रूप धरो , वो हिन्दुस्तानी कह देंगे

_____________________________________________________________________________

अजीत शर्मा 'आकाश'

खोलेंगे नहीं ये लब लेकिन अश्कों की ज़ुबानी कह देंगे
इस दिल के हर इक ज़ख़्म को हम तेरी ही निशानी कह देंगे .

जब आग के दरिया में दोनों डूबेंगे उतरायेंगे तो
हम खुद को प्रेम दीवाना, तुम को प्रेम-दीवानी कह देंगे .

ये आकर्षण सा कैसा है क्या दिल की कशिश को नाम दें अब
तुम सोचते ही रह जाना हम पहचान पुरानी कह देंगे .

अब इतने भी नादान नहीं हम जितना आप समझते हैं
बिन सोचे-समझे क्यूँ अच्छा दिन, रात सुहानी कह देंगे .

जिसके दिल में सच्चाई है, भोलापन भाईचारा है
तुम चाहे कुछ दो नाम उसे हम हिन्दुस्तानी कह देंगे .

धीरज तो रक्खो थोड़ा सा तुम भी सब जान ही जाओगे
ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे .

__________________________________________________________________________________

Ashok Kumar Raktale 

कहने पे आये तो दिल की हर बात जुबानी कह देंगे,
राज छुपा ना पायेंगे हम हर एक कहानी कह देंगे |

अच्छे दिन का कहकर हम पर जो लाद रहे हो ये दिन तुम,

बाजारों का क्या हाल हुआ सब आम खुबानी कह देंगे.

आज नहीं तो कल ही मानो मतदान करेंगे हम अपना
“खामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे.

मान कहाँ पर ठहरा कह दो सीमा पर रहने वालों का
देश कहाँ तक सिमटा बोलो या हिन्दुस्तानी कह देंगे.

जाग सको तो अब भी जागो हाँ देर हुई पर देर नहीं,
शुरुआत करो सच्चे मन से या हम मनमानी कह देंगे |

______________________________________________________________________________

Amit Kumar "Amit" 


कब डरते हैं इस दुनिया से, जो दिल में ठानी कह देंगें I
या फिर बातों बातों ही में, जो बात छुपानी कह देंगें I I

अब क्या बतलायें सबको हम, बस कह देंगें जो कहना है I
खामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगें II

गर दुनिया बाले पूंछेंगे क्यों तन्हा - तन्हा रहते हो I
कुछ यादों की कुछ वादों की है चिता जलानी कह देंगें I I

ता-उम्र रहेगी याद तेरी अब साथ हजारों जन्मो तक I
हर किस्से और अफ़साने को अनमोल निशानी कह देंगें I I

इस मयख़ाने से दूर रहें अब और नहीं होगा हमसे
हर प्याले मैं दिल जानी की सूरत है लुभानी कह देंगें I I

दर्द- ए-दिल जब- जब महफ़िल में तुम खोलोगे तो ये होगा

कुछ लोग छलकते आंसू को बारिश का पानी कह देंगें I I

______________________________________________________________________

Dr Ashutosh Mishra 

तुमने जो दिया है दर्द हमें उल्फत की निशानी कह देंगे
ओंठों से अगर कुछ कह न सके आँखों कि जुवानी कह देंगे

मुद्दत के बाद मिले हमको सब यार पुराने महफ़िल में
यादों को पुरानी ताजा कर कोई ग़ज़ल पुरानी कह देंगे

ढल चुका शबाब मगर जालिम इतरा के अभी भी चलते हैं
राहों में किसी दिन दीवाने इन्हें मदिरा पुरानी कह देंगे

उल्फत ने सिखायी है यारों इक ऐसी कला हमें जादू भरी
खामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगे

नन्ही सी उमर में बातें गर सबसे जो करोगी ऐसे तुम 
सुनकर के तुम्हारी बाते सब बचपन में सयानी कह देंगे

महके फूलों जैसा शबाब जो शर्माती हो छुइमुइ सा 
उस शोख को हम जैसे शायर मदमस्त जवानी कह देंगे

इक चाँद जमी पर बांहों में दूजा हो फलक पर तारों संग
हो काश अगर कोई ऐसी शब हम उसको सुहानी कह देंगे

_________________________________________________________________

नादिर ख़ान

जब हाल है कैसा पूछोगे हम दिल की कहानी कह देंगे
हर इक पल हमको डसती है, मुश्किल में जवानी कह देंगे

हम दर्द भी अपना सह लेंगे और आँख के आँसू पी लेंगे
जो ज़ख्म मिले हैं हम उनको, है तेरी निशानी कह देंगे

जब राह हमारी सच्ची है, क्यों बदलें हम इन राहों को
गंगा जमुनी तहज़ीब है जो, है शान पुरानी कह देंगे

तुम दूर सही पर दिल में हो, अंजान नहीं मै बातों से
तुम लाख छुपाओगे हमसे आँसू तो कहानी कह देंगे

ये आँख मिलेगी जब तुमसे फिर आँख जुबां बन जाएगी
ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे

तुम क्या जानो तुम क्या समझो क्या राज़ छुपा है इस दिल में
तुम गीत हमारे सुन लेना हम इनकी ज़ुबानी कह देंगे

_______________________________________________________________________________

भुवन निस्तेज 

कहने से है कब बाज आए जो दिल ने है ठानी कह देंगे
ये लोग हमारे अश्कों को दरिया का पानी कह देंगे

उल्फत में हर कुर्बानी को ये इक नादानी कह देंगे
कारस्तानी कुछ भी कर लो ये बात पुरानी कह देंगे

अपने दिल का है हाल जो ये अरमां तूफानी कह देंगे
खामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगे

ऐ रात बता मेरे आंसू किस ओर बहे तारीक़ी में
शबनम की बूंदों से पूछो वो मेरी ज़ुबानी कह देंगे

जब तू है अपना हमसाया हर सफ़र है आसाँ अपना तो
हम अपना सबकुछ छोड आना तेरी कुर्बानी कह देंगे

_____________________________________________________________________________

मिसरों को चिन्हित करने में कोई गलती हुई हो अथवा किसी शायर की ग़ज़ल छूट गई हो तो अविलम्ब सूचित करें|

राणा प्रताप सिंह

मंच संचालक 

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Replies to This Discussion

आदरणीय राणा साहब इस सफल आयोजन के लिये बहुत बहुत बधाई।
मेरी ग़ज़ल के भी तीन मिसरे लाल रंग में है लेकिन ग़लती कहाँ है समझ नहीं पा रहा हूँ।

आदरणीय राणा साहब चिन्हित मिसरों को यदि ऐसे कर दूँ तो फिर क्या ठीक हो जायेगा यदि हाँ तो कृपया तदनुसार संशोधित कर दें।

1.बस एक नज़र भर देखेंगे खुशियों को फ़ानी कह देंगे

2.हम हर्फ़े मुहब्बत से रौशन कर देंगे दिल को अपने यूँ

3. सब चौंक उठेंगे सुनकर हिम्मत को नादानी कह देंगे

जी आपके सारे मिसरे अब सही हो गए हैं| संशोधन भी कर दिया है 

सफल आयोजन के लिए बधाई ..
लाल-हरे से बचने का सुकून है ...
मुझे लगता है इस बह्र में मिसरे के बीच 8 गाफ़ या 16 मात्रा पर यदि एक नेचुरल पॉज आए तो रवानी निखर जाती है ..जैसा तरही मिसरे में है .

.
ख़ामोश रहेंगे और तुम्हे (16 मात्रा पूर्ण).........हम अपनी कहानी कह देंगे.. मिसरे का दो सेट में विभक्त होना शायद उस लय को बनाता है...
मेरी कोई महारत नहीं है इस विषय पर ...  ये सिर्फ गुनगुनाने से पैदा हुआ अनुभव है ..तो लगा कि सभी के साथ शेयर किया जाए ..
सफल आयोजन के लिए पुन: बधाई 

आपकी बात कुछ हद तक सही है, पॉज़ होना कोई आवश्यक नहीं है , हाँ  पर उससे लय पर लिखने वालों को आसानी ज़रूर होगी|

आदरणीय भाई राणा प्रताप जी , सर्वप्रथम इस सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई । इस आयोजन में लाल रंग से बचने का सकून तो मिला पर सावन के महीने में हरियाली आ ही गयी । पर किस दोष की वजह से यह समझ नहीं पा रहा । यदि मार्गदर्शन करे तो भविष्य में इस तरह की त्रुटियों से बच पाऊँ ।

"जो प्यार के पथ पर जा न सके वो जह्र खुरानी कह देंगे"

इस मिसरे में रदीफ़ का एक बड़ा ऐब है| "ज़हर खुरानी कह देंगे" इस वाक्य का कोई अर्थ नहीं है, होना तो चाहिए था "ज़हर खुरानी कर देंगे" पर रदीफ़ को निभाने के लिए इसे पहले जैसा लिखा गया है जो की एक ऐब है|

आदरणीय राना प्रताप भाई , सफल तरही मुशायरे के लिये आपको तहे दिल से बधाइयाँ !!

एक मिसरा जो बे बह्र हो गया है , उस पूरे शे र को निम्न शे र से प्रतिस्थापिय करने की कृपा करें ----- 

हैं सूरज चाँद रवाँ हरदम, यों रुके-रुके से तुम न चलो

तुम आहिस्ता भी बढ़ने रहे, वो उसे रवानी कह देंगे..   -------  सादर निवेदित ॥

 

शायद 'बढ़ने' की जगह आप 'बढ़ते' लिखना चाह रहे थे| मैंने बढ़ते लिख कर संशोधित कर दिया है| सही हो तो सूचित कर दीजिएगा|

आदरणीय राणा प्रताप  भाई , आपका कहना सही है ,  मै बढ़ते की कहना चाहता था , टंकन की गलती हो गयी ! शब्द और मिसरे की दोनों गलतियों को सुधारने के लिए आपका दिल से आभारी हूँ |

आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी सादर, चिन्हित मिसरे अवश्य सीखने का अवसर हैं. मतले वाले मिसरे पर प्रयास करता हूँ बताइये क्या यह ठीक हुआ है.यदि यह सही हुआ तो मैं अन्य पर भी प्रयास करूंगा. सादर आभार.

हम राज छुपा ना पायेंगे हर एक कहानी कह देंगे

इस मिसरे में अब भी न को ना की तरह प्रयोग किया गया है जो की दोषपूर्ण है 

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
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महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

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