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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-42 (विषय: "उम्मीद")

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-42 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-42
विषय: "उम्मीद" 
अवधि : 29-09-2018  से 30-09-2018 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

उम्मीद पूरा कराती शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय कुमार संभव जोशी जी .

वाह बहुत खूबसूरत रचना विषय पर, ऐसी उम्मीद हमेशा जीवित रहनी चाहिए. बहुत बहुत बधाई इस प्रभावी रचना के लिए आ डॉ कुमार संभव जोशी जी

एक बदलते रिश्तों और सोच को बिलकुल ही नए अंदाज में बदलती छवि को व सोई हुई उम्मीद को जगाती  रचना। सेदेशात्मक,प्रेरणात्मक रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय कुमार सरजी।

आदरणीय महोदय, बेटी को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करती अच्छी लघुकथा है। अंत में नाम की जगह मौलिक, अप्रकाशित लिखना होता है। हम उम्मीद विषय पर केन्द्रित लघुकथा गोष्ठी में उम्मीद करते हैं कि आप अपनी सक्रियता बनाये रखेंगे और बनाये गए नियमों का सभी पालन करें इसके लिए आप भी नियम फॉलो करेंगे। आपको पहली बार पढ़ रहे हैं। स्थानीय भाषाशैली का उपयोग करते हुए आपने लघुकथा में ये भी बताने का सार्थक प्रयास किया है कि आप देश के उस सबसे पिछड़े क्षेत्र की बात कर रहे हैं जहां आज भी बेटी को बोझ समझा जाता है और पढ़ाई को महत्व नहीं दिया जाता है। दबे-छिपे भाव में आपकी लघुकथा एक प्रश्न भी पूछती दिख रही है कि क्या हमारी शिक्षा अथवा पढ़ाई व्यवस्था ऐसी है कि उसका पढ़े-लिखे लोग परिवार हित, समाज हित और देशहित में शत-प्रतिशत उपयोग कर रहे हैं????

बहुत सुंदर रचना विषय पर आदरणीय जोशी जी ,बधाई आपको ,सादर 

जनाब डा0कुमार संभव साहिब जी आदाब ,

इस बेमिसाल रचना की तारीफ़ में क्या लिखूं अलफ़ाज़ नही मिल रहे! 

आखिरी लाइनें पढ़ते हुए ख़ुशी से आँखों से आँसू छलक गए 

दिली मुबारकबाद सुंदर रचना जनाब

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ कुमार संभव जोशी जी।बहुत ही प्यारी लघुकथा।मेरी नज़र में अभी तक इस लघुकथा गोष्ठी की सर्वोत्तम लघुकथा।सब कुछ अनूठा है, कथ्य भी, शैली भी और संदेश भी।

बिल्कुल सकारात्मक सोच। ज़माना बदल रहा है। इस लघुकथा को पढ़ कर यक़ीन हो चला है। बहुत बहुत बधाई। 

शासकीय व अशासकीय अभियानों की सकारात्मक परिणति स्वरूप बदलते परिवेश और परिदृश्य मेंं बहू को बेटी की नज़र से देखकर जागरूक होती सास-मां की सकारात्मक पहल की प्रेरणा देती बढ़िया रचना हेतु सादर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. कुमार संभव जोशी साहिब। कुछ टंकण त्रुटियाँ रह गई हैं। सादर।

जनाब डॉ.कुमार सम्भव जोशी जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया आयोजन में अपनी सक्रियता दिखाएँ ।

बेटियों के आगे बढ़ने की उम्मीद के द्वार खोलती कथा के लिये बधाई आद०कुमार संभव जोशी जी ।

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