आदरणीय साथिओ,
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क्या कहने हैं आ० मेघा राठी जी, विषय को परिभाषित करती हुई सुंदर कथा रची है. अंत भी मारक बना है, हार्दिक मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
सुबह का शाम तक भी न लौटे तो विलम्ब से लौटने वाला तो खुदगर्जी ही कहलायेगा | लाजवाब लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ.मेघा राठी जी | सादर
आ. मेघा जी कथानक बहुत पुराना है फिर भी उसका निर्वाह आपने बखूबी किया इस हेतु बधाई स्वीकर करे
आदरणीय मेघा राठी जी बढ़िया लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार कीजिए.
प्रदत्त विषय से न्याय करती उम्दा लघुकथा है आ. मेघा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
बहुत खूब वाह्ह्ह बहुत अच्छी लगी लघु कथा प्रिय मेघा जी हार्दिक बधाई
हाँ, सही कहते है मगर अब शाम नहीं रात हो चुकी है", कहती हुई दुलारी ने सोहन के मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया।// वाह वाह बहुत खूब ,सुन्दर सृजन हार्दिक बधाई आदरणीया मेघा जी
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