For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 26262

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

दाद खाज ?

आप जो अभी कुछ कह गये हैं, वो मेरी समझ में तो नहीं आ रहा, कि, आपके गुरुदेव ने क्या कह दिया है। लेकिन समझ में आना लगता है उचित भी न होगा। ग़ज़ल अच्छी न लगी हो तो.. ये ओबीओ है, ख़ारिज़ तो यहाँ बड़े-बड़ों की ग़ज़लें हुई हैं। 

भाई, खुश रहिए और मज़ा ही लीजिए। 

आप ऐसा क्यों समझ रहे हैं हैं ..मैं तो गुरुदेव योगराज प्रभाकर जी की बात कर रहा हूँ कि उन्होंने इतनी विस्तृत टिपण्णी की है कि किसी के लिए कुछ नहीं छोड़ा ..ग़ज़ल यक़ीनन अच्छी लगी ..आप नाहक ही परेशान हो रहे हैं|

वाह वाह आदरणीय सौरभ भईया क्या कहने, शेर दर शेर की महीन बुनावट मन को खींचती है, अच्छी ग़ज़ल पर ढेरों दाद कुबूल करें। 

हार्दिक धन्यवाद, गनेस भाई 

आदरणीय सौरभ जी, शब्दो-हर्फ़ सिमट रहे हैं।आपने क्या शेर कहे है!फिर भी कुछ कहने का लोभ संवरण न करते हुए इतना ही कहूँगा कि बहुत कुछ है आपकी गजल में,देखने और समझने के लिए।

'जुगनुओं से अँधेरे जलते हैं 
बोल कर ये छला गया है मुझे ।',

क्या बात है! ला जबाब!!दाद!!

प्रस्तुति को अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय मनन कुमार जी. 

जय-जय 

आपके लिखे पर कुछ कहने के लायक मैं स्वयं को नही पाता आदरणीय। आपकी उपस्थिति मात्र से ही मन को अतीव प्रसन्नता मिलती है। आपकी स्नेहवृष्टि से मुझ सहित ओबीओ परिवार के सभी सदस्य सिक्त रहें, बस यही कामना है। सादर।

आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय गजेन्द्र भाईजी. 

आपकी शुभेच्छा सिर-माथे ..

शुभ-शुभ

बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आदरणीय सौरभ सर| 

तुम सियासत के चोंचले रक्खो 
खेल का ढंग आ गया है मुझे

 

जब कि मेरा ही नाम चलता है

फ़ासले पर रखा गया है मुझे 

 

जब जगत में न भान हो जग का 
वो अवस्था बता गया है मुझे   | 

बहुत खूब | 

आदरणीय कल्पना जी, सराहना के लिए आपका सादर धन्यवाद,

शुभ-शुभ

चुप रहूँ ये कहा गया है मुझे,
और फिर घर बिठा गया है मुझे।

 

बस बदलती रहेंगी तस्वीरें,
फ्रेम जैसा बना गया है मुझे।

 

जाते जाते वो इक बहाने से,
दिल की धड़कन सुना गया है मुझे।

 

मैं न पीता तो और क्या करता,
जामो मीना थमा गया है मुझे।

 

ज़िक्र आया ही था बिछड़ने का,
साथ अपने रुला गया है मुझे।

 

इन ग़मों की हसीन सुहबत में,
सब्र करना तो आ गया है मुझे।

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

जनाब रवि शुक्ला साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Sep 30

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service