Time: October 10, 2015 to October 12, 2015
                    Location: ALLAHABAD
                                            Street: 942 MUTTHIGANJ
                        City/Town: ALLAHABAD
                        Website or Map: http://www.jashneghazal.com/
                        Phone: 9453004398
                                        Event Type: 1st, international, ghazal, seminar
                    Organized By: वीनस केसरी
                    Latest Activity: Oct 12, 2015                
                                                                            Export to Outlook or iCal (.ics)
                                                                            		    
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इलाहाबाद हिन्दुस्तानी एकेडेमी सभागार में शनिवार को तीन दिवसीय पहली अंतरराष्ट्रीय गजल संगोष्ठी जश्न-ए-गजल का आगाज हुआ। अंजुमन प्रकाशन व अंतरराष्ट्रीय गजल अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. शम्सुर्रहमान फारुकी ने किया।
डॉ. फारुकी ने कहा कि गजल का दामन बहुत विस्तृत और व्यापक है। हिन्दी और उर्दू भाषा की अपनी ताकत है कि इसमें गजल जैसी विधा संभव हो सकती है लेकिन गजल उन्हीं भाषाओं में संभव है जिनमें अधिक से अधिक तुकांत के शब्द उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि गजल विधा पर काम करने वालों का शब्दों का ज्ञान विस्तृत होना चाहिए। साथ ही रदीफ और काफिये की बनावट मानक के मुताबिक है या नहीं, इसका ध्यान रखना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि नेपाल से आए ज्ञानुवाकर पौडेल व आवाज शर्मा ने कहा कि गजल की प्रेरणा उन्हें हिन्दुस्तान से ही मिली है। हिन्दी और उर्दू के बड़े शायर हिन्दुस्तान में हुए हैं। यहां की विविधता भी गजल के हिन्दुस्तानी स्वरूप में साफ झलकता है।
आयोजन समिति के अध्यक्ष एम ए कदीर ने कहा कि गजल पर केन्द्रित संगोष्ठी अपने आप में अनूठा है। ऐसे आयोजनों से अलग विधा के रूप में गजल की अहमियत बढ़ेगी।उद्घाटन के बाद दूसरे सत्र में उर्दू गजलगोई व आंचलिक भाषाओं में गजल पर एहतराम इस्लाम, प्रो. सुल्तान अहमद, डॉ. योगराज प्रभाकर ने चर्चा की। साथ ही गजल पाठ में एहतराम इस्लाम, सुल्तान अहमद, फरमूद इलाहाबादी, राकेश दिलबर ने कलाम पेश किए।
आयोजन का संचालन गीतकार यश मालवीय ने किया। अतिथियों का स्वागत वीनस केशरी ने किया। संगोष्ठी में एकेडेमी कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह, डॉ. फाजिल हाशमी, अजामिल व्यास, सौरभ पांडेय, अनुराग अनुभव आदि मौजूद रहे। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन अंजुमन प्रकाशन से प्रकाशित पत्रिका ‘अंजुमन’ का विमोचन मुख्य अतिथि डॉ. फारुकी ने किया।
साथ ही वीनस केसरी की ‘गजल की बाबत’, फरमूद इलाहाबादी की ‘जा-नशी अकबर का हूं मैं’, सुरेश कुमार शेष की ‘मौसम के हवाले से’ व राकेश दिलबर की पुस्तक ‘लफ्ज पत्थर हो गए’ का विमोचन किया गया।
नमस्कार 
"जश्ने ग़ज़ल" आयोजन को अब केवल अब केवल 45 दिन शेष रह गए हैं 
यदि आपने अब तक पंजीकरण नहीं करवाया है तो पंजीकरण अवश्य करवा लें
तीन दिवसीय आयोजन में आवासीय तथा बिना आवासीय व्यवस्था के साथ पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है तथा श्रोता के रूप में भी पंजीकरण किया जा सकता है 
इस आत्मीयता के लिए आभार आदरणीय रवि जी
यकीनन कार्यक्रम में सहभागिता का अनुभव बहुत अच्छा और अविस्मर्णीय होगा ।
आरणीय मिथ्रिलेश जी
चिंता न करें हमसब है ना आपकी रचनाओं को सुनने के लिये
वो नशिस्त में हो या ऐसे ही अनौपचारिक रूप से
कार्यक्रम में सहभागिता के लिये उत्साहित है । आशा है अनुभव अच्छा होगा । आप सभी सुधि जनो से मिलना भी होगा । । आभार
आदरणीय वीनस भाई जी, आयोजन स्थल बहुत अच्छा है. संस्था के ब्लॉग पर विस्तृत जानकारी है. सादर
हम तैयार हैं , आदरणीय वीनस भाई , स्थल देख के खुशी हुई !! विशाल आयोजन के लिये बधाइयाँ एवँ शुभकामनायें ॥
विस्तृत विचार विमर्श के बाद आयोजक मंडल द्वारा आज आयोजन स्थल पर अंतिम निर्णय लेते हुए इलाहाबाद स्थित साहित्यिक संस्था हिन्दुस्तानी एकेडेमी को तीन दिवसीय आयोजन (10,11,12 अक्टूबर 2015) के लिए बुक किया गया ...
हिन्दुस्तानी एकेडेमी के बारे में -
 'हिन्दुस्तानी' वह भाषा है जो उत्तर हिन्दुस्तान के बहुत से शहरो , कस्बों और गाँव - गाँव में बोली जाती है| उसका नाम 'हिन्दुस्तानी' यूँ ही नहीं पड़ा, हिन्दी भाषा के साथ इसमें अरबी - फारसी शब्दों का भी बहुतायत प्रयोग है| 'हिन्दुस्तानी' किसी जगह हिन्दुई, मुसलमानी या सिक्खी नाम से नहीं पुकारी जाती थी | हर जगह उसका नाम हिन्दुस्तानी था और मूलतः इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर ही वर्ष 1927 में हिन्दुस्तानी एकेडेमी की स्थापना की गयी|
उत्तर प्रदेश सरकार के भाषा विभाग द्वारा संरक्षित यह संस्था स्वतंत्रता के पूर्वकाल से ही हिन्दुस्तानी (हिन्दी और उर्दू) भाषा के विकास और समृद्धि के लिए शोधपरक साहित्य के सृजन और प्रचार प्रसार के लिए समर्पित है।
१२-डी, कमला नेहरू मार्ग इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश (भारत) पिन-२११००१
आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनायें
शुरुआती 75 पंजीकृत सदस्य ही नशिस्त में ग़ज़ल पाठ कर सकेंगे-- मेरा नम्बर आ पायेगा कि नहीं ......
पंजीकरण के लिए नियम व शर्त -
    तीन दिवसीय संगोष्ठी में पहले दिन प्रवेश द्वार पर पंजीकरण संख्या देख कर पंजीकरण पत्र दिया जायेगा तथा आयोजन के तीनों दिन पंजीकरण पत्र द्वारा ही आयोजन स्थल में प्रवेश मिलेगा अतः आयोजन में सहभागिता के लिए तीन में से कोई एक पंजीकरण अनिवार्य है |
    आयोजन में उचित व्यवस्था बनाए रख सकें, इसके लिए तीनों प्रकार के पंजीकरण एक निश्चित संख्या तक ही किये जायेंगे तत्पश्चात पंजीकरण बंद कर दिया जाएगा |
    पंजीकरण होने की तिथि के बाद 10 दिन के भीतर पंजीकरण को रद्द करवाया जा सकता है| पंजीकरण रद्द करवाने के लिए निर्धारित समय के पूर्व आयोजक मंडल से संपर्क करें| उक्त समय के भीतर पंजीकरण रद्द करवाने पर पूर्ण धनराशी वापस कर दी जायेगी| पंजीकरण करवाने की तिथि के 10 दिन के बाद पंजीकरण किसी दशा में रद्द नहीं किया जाएगा तथा धनराशी का कोई अंश वापस नहीं किया जाएगा|
पंजीकरण के 10 दिन के भीतर पंजीकरण को किसी अन्य व्यक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है| इसके लिए निर्धारित समय के पूर्व आयोजक मंडल से संपर्क करें| उक्त समय के भीतर पंजीकरण स्थानांतरित करवाने पर कोई अतिरिक्त धनराशी नहीं देनी होगी| पंजीकरण करवाने की तिथि के 10 दिन के बाद पंजीकरण किसी दशा में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा|
आयोजन स्थल तक पहुँचने का नक्शा तथा वहां तक पहुँचने के सभी माध्यम के बारे में संपूर्ण जानकारी आयोजक मंडल द्वारा उपलब्ध करवाई जायेगी| आयोजन स्थल तक पहुँचने तथा व्यय की पूर्ण जिम्मेदारी सदस्य की होगी| आयोजक मंडल द्वारा अधिकाधिक सहयोग किया जाएगा|
    जो सदस्य आवासीय व्यवस्था के साथ पंजीकरण करवाएंगे उनकी आवास से आयोजन स्थल तक पहुँचने की तीनो दिन की व्यवस्था आयोजक मंडल द्वारा की जायेगी|
    
प्रति दिन शाम को आयोजित नशिस्त में अधिकतम 25 शाइरों का ग़ज़ल पाठ होगा अर्थात 3 दिन में 75 शाइर ही ग़ज़ल पाठ कर सकेंगे, अतः शुरुआती 75 पंजीकृत सदस्य ही नशिस्त में ग़ज़ल पाठ कर सकेंगे| 75 सदस्यों के पंजीकरण के बाद जो पंजीकरण प्राप्त होंगे वो नशिस्त में काव्य पाठ नहीं कर सकेंगे|
    पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सदस्य (केवल अपना नाम) सत्र में वक्ता / सत्र का संचालक / सत्र में शोधपत्र प्रस्तुतकर्ता  में से किसी एक के लिए अपना नाम प्रस्तुत कर सकते हैं| निर्धारण का सर्वाधिकार आयोजक मंडल के पास सुरक्षित होगा| किसी अन्य पंजीकृत सदस्य के लिए किसी प्रकार की स्तुति अस्वीकार्य है|
    विशेष परिस्थितियों में किसी सदस्य का पंजीकरण रद्द करने का सर्वाधिकार आयोजक मंडल के पास सुरक्षित है|
    आयोजन की रूपरेखा को संशोधित करने अथवा आपात परिस्थितियों में आयोजन की अवधि को कम करने अथवा पूर्ण आयोजन को रद्द करने का सर्वाधिकार आयोजक मंडल के पास सुरक्षित है|
पंजीकरण की व्यवस्था पहले आओ पहले पाओ नीति पर आधारित है |
ग़ज़ल के हित और इसकी समृद्धि के लिए एक गंभीर प्रयास !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
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