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surender insan
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Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता, ’महज’ को ’मह्ज’ लिखा जाना उचित होता. कि, उर्दू भाषा के लिहाज से इस शब्द का मात्रा भार २ १ है.  एक बात् आअप और ध्यान में रखें.…"
yesterday
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जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता है बे सबब कब वो।।3उठ सकेगा नहीं कभी अब वो। बोझ भारी तले गया दब वो।।4ज़िन्दगी क्या है तब समझ आया। मौत से रू ब रू हुआ जब वो।।5वक़्त आया हुआ बुरा जिसका। रोकने से भला रुका कब वो।।6गर जरूरत पड़ी दिखाएगा। जानता है हरेक करतब वो।7बात समझा नहीं मुहब्बत की। नफ़रतों से भरा लबालब वो।।सुरेन्द्र इंसानमौलिक व अप्रकाशितSee More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई स्वीकार करें।"
Tuesday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार जी। दिए गए मिसरे पर ग़ज़ल के प्रयास के लिए बहुतबहुत बधाई हो जी। मात्रा गिराना एक सहूलियत है जो उच्चारण पर आधारित है।  मेरे 22 को 11 ,12 ,21 लिया  जा सकता है फिर इसका उच्चारण मिरी, मिरे या मेर की तरह…"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर नमस्कार जी। दिए गए मिसरे पर ग़ज़ल के बेहतरीन प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई हो जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीया रिया जी दिए गए मिसरे पर ग़ज़ल के बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"भाई गुरप्रीत जी दिए गए मिसरे पर आपने बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है इसके लिए बहुत बहुत बधाई हो जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय नादिर खान जी। ग़ज़ल के बेहतरीन प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई जी।  कई चेहरे नज़र आते हैं मुझमें । मैं जब भी आइने में देखता हूँ ।। बेहद शानदार जी। क्या कहने ।  "
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दण्डपाणि जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है जी ,बाकी आदरणीय अमित जी ने बहुत बढ़िया सुझाव दिए है जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीया रचना जी सादर नमस्कार जी। बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"भाई गुरप्रीत जी सादर नमस्कार जी।  बहुत बहुत शुक्रिया जी।इस मे से कई शेर हटा दूँगा। कुछ ही रखूँगा। बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय समर कबीर साहब आदाब। ग़ज़ल पर आने केलिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए बहुत बहुत आभार जी। दिए गए सुझाव पे पूरी गौर करूँगा जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय अमित जी ग़ज़ल पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी। दिए गए सुझाव पे पूरी गौर करूँगा। गिरह का शेर रखता नहीं मैं । बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
Nov 25, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय भाई अजय गुप्ता जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल पर आने के लिए और हौसला अफजाई करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका।  यह कुछ उदाहरण देखिये जिनमें हक़ बात  यूँ इस्तमाल किया गया है पहले भी। हक़ बात तो ये है कि उसी बुत के वास्ते।ज़ाहिद कोई हुआ तो कोई…"
Nov 24, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"1222 1222 122 किसी भी इक जगह पर कब रुका हूँ।हवा जैसे हमेशा मैं चला हूँ।। सदा हक़ बात जो कहता रहा हूँ।कोई साथी नहीं तन्हा खड़ा हूँ।। कभी वादा निभाएगा नहीं वह।उसे अच्छी तरह से जानता हूँ।। मिलेगा एक दिन मुझको यक़ीनन।दुआ में जो ख़ुदा से माँगता…"
Nov 24, 2023
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"नमस्ते आदरणीय समर कबीर साहब जी।"
Nov 24, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
sirsa (haryana)
Native Place
india
Profession
self work
About me
a simple parson. give respect take respect .always be happy & let others be happy.

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जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 22

1

देख लो महज़ ख़ाक है अब वो।

जो समझता रहा कि है रब वो।।

2

हो जरूरत तो खोलता लब वो।

बात करता है बे सबब कब वो।।

3

उठ सकेगा नहीं कभी अब वो।

बोझ भारी तले गया दब वो।।

4

ज़िन्दगी क्या है तब समझ आया।

मौत से रू ब रू हुआ जब वो।।

5

वक़्त आया हुआ बुरा जिसका।

रोकने से भला रुका कब वो।।

6

गर जरूरत पड़ी दिखाएगा।

जानता है हरेक करतब वो।

7

बात समझा नहीं मुहब्बत…

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Posted on August 12, 2025 at 3:00pm — 1 Comment

"जब तुम्हारें शह्र में आना हुआ"

2122 2122 212

इस कदर था इश्क़ में डूबा हुआ।

चढ़ गया सूली पे वो हँसता हुआ।।

अब कहूँ क्या इश्क़ में क्या क्या हुआ।

हर कदम पर इक नया धोखा हुआ।।

जब किसी को इश्क़ में धोखा हुआ।

फिर उसे देखा नहीं हँसता हुआ।।

क्या बताऊँ मैं तुझे क्या क्या हुआ।

है मेरा जीवन बहुत उलझा हुआ।।

और कुछ तेरे सिवा दिखता नहीं।

इस कदर मैं तेरा दीवाना हुआ।।

मानता कब है किसी की बात वो।

वक़्त जिसका हो बुरा आया…

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Posted on September 20, 2019 at 1:00pm — 2 Comments

दोहे

रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।

वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।

बाहर से उजले दिखें, मन में भरे विकार।

ऐसे लोगों पर कभी,करना न ऐतबार।।

ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।

लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।

जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।

हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।

मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।

इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।

थोड़े से भी हो…

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Posted on April 4, 2019 at 2:30pm — 6 Comments

"किसी के साथ भी धोखा नहीं करतें"

 1222 1222 1222


सुकूँ वो उम्र भर पाया नहीं करतें।
बड़ों की बात जो माना नहीं करतें।।

बुजुर्गों की नसीहत ये पुरानी है।
बिना सोचे कभी बोला नहीं करतें।।

सफल होते हमेशा लोग वो ही जो।
किसी की बात सुन बहका नहीं करतें।।

जिन्हें आदत हमेशा जीतने की हो।
वो मैदां छोड़ कर भागा नहीं करतें।।

हमेशा से रहा इक ही उसूल अपना।
किसी के साथ भी धोखा नहीं करतें।।

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on December 11, 2018 at 4:30pm — 14 Comments

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At 11:48pm on July 7, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

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