For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार  79 वाँ आयोजन है.  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 नवंबर 2017 दिन शुक्रवार से 18 नवंबर 2017 दिन शनिवार तक
इस बार पुनः छंदों की पुनरावृति हो रही है -

सरसी छंद और कामरूप छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कामरूप छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक...


सरसी छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

[प्रस्तुत चित्र अंतर्जाल से]

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  17 नवंबर 2017 दिन शुक्रवार से 18 नवंबर 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7670

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ0 रामबली जी बहुत ही सुंदर सरसी छंद की रचना। हृदय से बधाई।

सुत से ज्यादा सुता करें अब माँ-बापू का ख्याल।
निशि दिन सेवा करतीं लेतीं शाम सुबह वे हाल।।6।। आज का कटु सत्य।
स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी
आदरणीय रामबली जी बहुत बेहतरीन रचना पढ़कर आनंद आ गया बहुत बहुत मुबारकबाद

आ० रामबली जी

 आज और नाज़  पर आ० सौरभ जी की टिप्पणी से हम सब अवगत हैं .

क्यों न करे कमाल  (10  मात्राएँ )

सुबहोशाम -हिन्दी में समास  चलता है  सुबह-शाम  उर्दू  में इजाफत का नियम है सुबह-ओ-शाम

आज बुढ़ापे  की बेटी या आज  बुढ़ापे में बेटी

और प्यार संस्कार -----------प्रवाह बाधित

कविता का भावपक्ष सुन्दर है , चित्र को पूरी तरह परिभाषित करती है . बहुत  अच्छी रचना .  शुभ -शुभ

आदरणीय प्रणाम
प्रथमतः नाज और आज की बात छोड़ देते हैं।
"क्यों न करें कमाल" न टंकण त्रुटि है उसे 'ना' पढा जाय(वैसे भी उच्चारण के अनुसार उस पर मात्राभार 2 ही हो रहा है।)
'बुढापे में बेटी' ज्यादा सटीक है। सुझाव के लिए सादर धन्यवाद
सुबहो शाम पर मैं निश्चित नही हूँ इस अन्य सुधीजनों की राय भी जानना चाहूँगा।
और प्यार संस्कार------में शब्दकल की व्यवस्था ठीक है किंतु 'संस्कार' शब्द की वार्णिक संरचना ऐसी है कि इसे कविता में कहीं भी रखें तो ये प्रवाह को प्रभावित करेगा। फिर इसका विकल्प क्या है? फिर तो इस शब्द को काव्य में प्रयोग ही न किया जाय? अन्य सुधीजनों की राय भी जानना चाहूँगा। सादर

हिन्दी में कई विन्दु उसी तरह से अपनाये गये जैसा किसी ज़िन्दा भाषा का आचरण हुआ करता है. इस पर बहुत अधिक आग्रही नहीं होना चाहिए.

हमारे समाज में तीन तरह की हिन्दी चलती है. एक, आम बोलचाल की हिन्दी जो बाज़ार और आँगन के बाहर प्रयुक्त होती है. दूसरी, कार्यालयों में व्यवहृत हिन्दी. और तीसरी है, साहित्य-समाज में प्रयुक्त हो रही हिन्दी. तीनो तरह की भाषा में शाब्दिक व्यवहार के लिहाज से स्पष्ट अंतर हुआ करता है. हमारी अभिव्यक्तियाँ, और रचनाएँ भी, इन तीनों तरह की हिन्दी से प्रभावित होती हैं. इस हिसाब से मेरा सदा से मानना रहा है, कि हम व्यावहारिक बनें. समझने के लिए कोई बात पूछना अच्छा है लेकिन हर आवश्यक-अनावश्यक विन्दु पर बिना विचार किये चर्चा में लाना उचित नहीं है. इसे ही मैंने एक टिप्पणी में कृत्रिम समस्या कहा है. 

नेपाली भाषा में कई-कई उर्दू (अरबी-फ़ारसी) शब्द घुलमिल गये हैं लेकिन उनका हिज्जै (अक्षरी) नेपाली भाषा के अनुसार है न कि उर्दू में हो रहे उनके हिज्जै और उच्चारण के अनुसार. नेपाली भाषा-भाषी ऐसे शब्दों पर शुद्धतावादियों की एक नहीं सुनते. कारण कि उर्दू के वे शब्द अपने परिवर्तित रूप के साथ नेपाली के शब्द हो चुके हैं. 

हिन्दी में ऐशोआराम जैसा शब्द-समुच्चय खूब अच्छी तरह से समाहित हो चुका है. जैसा कि ’जाहिर’ जैसा शब्द अपने अर्थ बदल कर मराठी भाषा में अच्छी तरह से घुल-मिल चुका है. मराठी में ’जाहिर’ का अर्थ आवश्यक होता है. अब इसका उर्दू जानने वाले कुछ नहीं कर सकते. इसी तह का शब्द सुबहोशाम जैसा शब्द है. ऐसे शब्दों से हिन्दी समृद्ध ही होती है. हिन्दी वाले सुबह को कभी सुब्ह नहीं लिख सकते. और ग़ज़लों (देवनागरी लिपि में प्रस्तुत हुई हिन्दी मर्म की गज़लें) आदि में जो कुछ होता है वह भाषाई दबाव या ग़ज़ल में अपना ली गयी चलन के कारण होता है. अन्यथा, हिन्दी भाषा के देवनागरी लिपि में प्रस्तुत हुई किसी गद्य-रचना में सुब्ह लिखा नहीं मिलेगा. आखिर ऐसा क्यों ? क्यों कि, हिन्दी ने सुब्ह को सुबह की तरह ही अपनाया है.

हम व्यावहारिक बनें और हिन्दी भाषा के उन्नायक बनें. 

सर्वोपरि, रचनाओं का प्रस्तुतीकरण यदि देवनागरी लिपि में हो रहा है तो वाचन के क्रम में उर्दू की लिपि से सतत चलती हुई तुलनात्मकता से हम बचें. इसे ही मैं अपने हिसाब से कहता हूँ, कि,  जानकारी होना एक बात है, जबकि आग्रही होना नितांत दूसरी बात. हिन्दी के साथ ऐसी समस्या का मूल कारण उर्दू और हिन्दी के उद्गम का कमोबेश एक होना ही है. जिसके कारण दोनों भाषाओं के जानकार अपनी-अपनी बात तथ्य’ समझ कर प्रस्तुत करते रहते हैं. जबकि होना यह चाहिए कि हम भाषा को उसके मर्म के साथ समझें और स्वीकारें. उर्दू एक समृद्ध भाषा है, जैसी कि हिन्दी एक सर्वव्यापी भाषा है. इसका समादर के साथ प्रयोग हो.  

सादर

सहमत हूँ आदरणीय. 

छन्द विधा हिन्दीनिष्ठ शब्दों को मान्यता देती है और छन्दों का सौन्दर्य भी हिन्दी और आंचलिक शब्दों से ही निखरता है. अन्य भाषाओँ के बहुप्रचलित शब्दों को हिन्दी में मान्य किया गया है. तथापि छंदों में हिंदी शब्दों की ही बहुलता रहती है. 

उसी प्रकार गजल विधा उर्दू के शब्दों में ही प्रभावशाली लगती है. यदि छंदों में खालिस उर्दू शब्दों का प्रयोग किया जाए तो विधान का पालन तो निस्संदेह हो जायेगा किन्तु छंदों का माधुर्य खो जाएगा और यदि गजलों में हिंदी के क्लिष्ट और तत्सम शब्दों  की बहुलता रहेगी तो गजल में वह बात पैदा नहीं हो पाएगी जो गजल में होनी चाहिए. मेरे विचार में किसी विधा विशेष को लिपि प्रभावित नहीं कर सकती है बल्कि विधानुरूप शब्द चयन ही सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है. 

आदरणीय रामबली जी, सुन्दर सरसी छंद हुआ. बधाइयाँ.

हार्दिक आभार आदरणीय अरुण कुमार जी
रामबली जी आज कहें हैं,सुंदर उत्तम छंद
भाव चित्र के लिए हुए है,इनमें इक इक बन्द
सादर आभार भाई सतविंदर राणा जी

प्रदत्त चित्र पर बहुत सुन्दर विषयानुरूप सरसी छंद हुए है दिल से बधाई लीजिये आद० रामबली जी 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
29 seconds ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
2 hours ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service