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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-81

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 81वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब अहमद मुश्ताक़ साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
जिन को लिखना था वो सब बातें ज़बानी हो गईं  "

 फाइलातुन        फाइलातुन        फाइलातुन        फाइलुन    

    2122              2122             2122            212

(बह्र: रमल मुसम्मन महजूफ़)
रदीफ़ :- हो गईं 
काफिया :- आनी (ज़बानी, कहानी, निशानी, पानी, पुरानी, दिवानी, जाफरानी, आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 24 मार्च दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 25 मार्च  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 मार्च दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

इज़ाफ़त ठीक है अलिफ़ वस्ल भी ठीक है और शेर भी अच्छा है ..दौरे फुर्क़त को ही दौर-ए-फुर्क़त ही लिखें ..ए जब 1 के वज़'न पर होगा तो दौरे हो जाएगा.. 0 के वज़'न पर दौर हो जाएगा ..
सादर  

जी सर समझ गया ,, बहुत बहुत शुक्रिया 

आदरणीय गुरप्रीत जी आदाब, हर शेर लाजवाब । बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है । शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हू्ँ।
बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी

उम्दा ग़ज़ल हुई है भाई गुरप्रीत सिंह जी, मेरी दिली बधाई हाज़िर हैI मतले और गिरह के शेअर की बाबत भाई निलेश नूर साहिब की बहुमूल्य सलाह पर अवश्य अमल करेंI ऊला को उला की तरह महल करना बदमजगी पैदा कर रहा है, उस शेअर को कुछ यूँ लिया जा सकता है:

.

जब से ऊला कर लिया अपनी वफाओं को मियाँ

खुद ब खुद उनकी जफ़ाएँ मिसरा सानी हो गईं

सर जी बहुत शुक्रिया..जो मैं इस शेअर में कहना चाह रहा था लेकिन कह नहीं पाया, आप ने इतनी आसानी से कह दिया...बहुत शुक्रिया इस बहुमूल्य सलाह के लिए
आ0 गुरुप्रीत जी अच्छी ग़ज़ल की शेर दर शेर बधाई कुबूल करें।
हाथ गाड़ी खींचते बुजुर्ग वाला खाका वास्तव में बहुत पीड़ादायी है।
बहुत शुक्रिया आदरणीय बासुदेव जी

मैने जो अपनी मुहब्बत को उला में लिख दिया
खुद ब खुद तेरी जफाएं मिसरा सानी हो गईं ॥

वाह वाह वाह ...बहुत खूब आदरणीय गुरप्रीत जी क्या कमाल के शेर कहे हैं ...गिरह के शेर में भी जो ख़याल पिरोया है जो मंज़रकशी है कि दिल खुश हो गया ....जिंदाबाद ग़ज़ल| बस अंतिम शेर के सानी मिसरे में रदीफ़ सही नहीं है नज्रेसानी कर लें| ढेर सारी दाद और मुबारकबाद|

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी...आप की टिप्पणी से बहुत हौसला बढ़ा है

आद० गुरप्रीत जी बहुत  अच्छी ग़ज़ल हुई है दिल से दाद कुबूलें 

गिरह के शेर की बाबत निलेश भैय्या कह ही चुके मैं भी उनकी बात से सहमत हूँ 

ऊला वाले शेर को आद० योगराज जी ने तराश ही दिया 

मतला बहुत ही शानदार हुआ है किन्तु कलम के पुर्लिंग की बात भी सही है हालांकि दैनिक बोलचाल में तो हम इसको न जाने कितनी बार स्त्रीलिंग  की तरह यूज करते हैं 

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया राजेश जी...भविष्य में बेहतर करने की कोशिश रहेगी.

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