For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोंपलें सब खुल रही(गीत)/सतविन्द्र कुमार राणा

गीतिका छ्न्द पर गीत प्रयास(14,12)(तीसरी,दसवीं,सत्रहवीं,छब्बीस वीं लघु)अंत गुरु लघु गुरु

ठंड की ठिठुरन चली मधुमास ज्यों है आ रहा

कोंपलें सब खुल रहीं हर वृक्ष अब लहरा रहा


पीत पहने सब वसन यह प्रीत का मौसम हुआ

अब धरा देखो महकती धूप ने ज्यों ही छुआ

पर्ण अब हैं झूमते सब औ पवन है गा रहा

कोंपलें सब खुल रहीं हर वृक्ष अब लहरा रहा।


पीत वर्णी पुष्प चहुँदिक खेत में हैं खिल रहे

सब भ्रमर गाते हुए हर पुष्पदल से मिल रहे

राग औ अनुराग का ये संग सबको भा रहा

कोंपलें सब खुल रहीं हर वृक्ष अब लहरा रहा।


नेह से भरकर बड़े बच्चे बनें हैं आज सब

हाथ में हैं डोर उनके हैं पतंगें ख़ास अब

अब गगन हर रंग को ये देखलो दमका रहा

कोंपलें सब खुल रहीं हर वृक्ष अब लहरा रहा।


मातु शारद को भजें हम पूजतें हैं ज्ञान को

छ्न्द गीतों से बढ़ाते भारती के मान को

की सफल कोशिश किसी ने नाम है उसका रहा

कोंपलें सब खुल रहीं हर वृक्ष अब लहरा रहा।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2017 at 9:22pm

श्रद्धेय सौरभ सर सादर वन्दन!आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहा करती है,आपकी हर टीप से आगामी प्रयास के लिए पथ दर्शन होता है।आपके संकेत को मैं भली भांति समझ पा रहा हूँ।शब्दों की इस प्रकार की आवृत्ति पुनः न हो,यही समुचित प्रयास रहेगा।कथ्य को ध्यान में रखते हुए ,ऐसा प्रयास करता रहूँगा।पुनः सादर नमन,एवं प्रयास पर उपस्थित होकर मार्गदर्शन करने के लिए सादर हारदिक आभार! 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2017 at 9:18pm
आदरणीय विजय निकोरे सर,सराहना के लिए हार्दिक आभार,सादर नमन!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2017 at 11:19pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई, प्रस्तुत गीत पर हुआ आपका प्रयास और आपकी लगन स्पष्ट महसूस हो रही है. वाह वाह ! 

वैसे, प्रस्तुतीकरण में अब-तब-सब का अतिरेक खटक भी रहा है. किन्तु आपकी रचनाओं को देख कर यह भान अवश्य हो रहा है, और आपके प्रति यह आश्वास्ति अवश्य बन रही है, कि आप पंक्तियों के माध्यम से भावनाओं और भावों को शाब्दिक करने में सुगठित होते जा रहे हैं. आपकी लगन दीर्घकालिक हो. सादर शुभकामनाएँ 

Comment by vijay nikore on February 3, 2017 at 9:51am

 इस अच्छी रचना के लिए बधाई, आदरणीय सतविन्द्र जी

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2017 at 8:57pm
आदरणीय लेक्शन धामी सर सराहना और प्रोत्साहन के लिए सादर हारदिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2017 at 8:52pm
आदरणीय पंकज भाई जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2017 at 8:51pm
आदरणीय बृजेश ब्रज भाई जी सादर हार्दिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2017 at 8:49pm
आदरणीय समर कबीर जी,सादर नमन,आपसे प्रोत्साहन मिला हमेशा ही मेरे लिए अमूल्य है।सादर हार्दिक आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2017 at 8:47pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी प्रयास के अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए सादर हारदिक आभार संग नमन!
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 12:29pm

आ. भाई सतविंदर जी सूंदर गीत हुआ है हार्दिक बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service