For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं,वह और तुम (अतुकांत कविता)

*मैं वह और तुम*
मैं पुरुष हूँ,
वह स्त्री,
तुम तुम हो--
श्रोता,पाठक, निर्णायक
सबकुछ।
मैंने उसे अपने को कहने
यानी लिखने के लिए 
प्रेरित करना चाहा,
अपना युग-धर्म निबाहा,
बोली-मुझे हिंदी में लिखना
नहीं आता,है मुझे सीखना।
'सीखा दूँगा सब', मैंने कहा,
मामला बस वहीं तक रहा।
एक दिन एक कथा आयी-
'मेरी सहेली ने ड्राइविंग
सीखना चाहा,
उसके बॉस ने हामी भर दी,
कहा, 'सीखा दूँगा सब',
फिर ड्राइविंग शुरू होती
कि उसने अपनी हथेली
सहेली की स्टीयरिंग पर
पड़ी हथेली पर धर दी,
पहेली उलझने लगी,
सहेली समझने लगी
मतलब 'सीखा दूँगा' का,
'बदले कुछ न लूँगा',का।
बोली-सर, आपकी बेटी
मेरी हमउम्र सहेली है,
वह भी सीखती आपसे
ड्राइविंग ऐसे अकेली है?
यह क्या?

लगा बॉस रूठ गया,
हथेली से हाथ उठ गया।
उस (वह) ने जोड़ा-
जैसे पड़ा हो तमाचा चटाक,
बॉस के उड़े होंगे होशोहवाश,
मैं(पुरुष) तो बस था अवाक।
मैंने उसे लिखने की शह दी,
हालाँकि वह लिखना जानती थी,
हाँ,मैं नहीं जानता था कि वह 
जानती थी लिखना,अपनी तरह।
मैं लगा सोचने-
नारी का मुखर होना जरुरी है,
मौन,
मुँह सिये रहना नहीं मजबूरी है,
पर क्या यह नारी का मुखर होना है
या मुखर है उसका आवरण?
आशंकाजनित वह कठोर आवरण
जो उसे खुलने नहीं देता,
खुली हवा में खिलने नहीं देता,
वह घिर जाती है
अपने आशंकजन्य किले में,
दरवाजे-खिड़की बंदकर,
जैसे घोंघा समेट लेता है
अपनी विस्फारित दुनिया
जरा-सी हवा की आशंका से भी
गुमेट लेता है अपना सबकुछ
अपने अंदर,बस अपने अंदर।
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on May 24, 2015 at 7:39pm

आदरणीय मिश्राजी,समर जी,हरिभाई,गिरिराज भाई,जितेंद्र जी!आभार आपका। हरि भाई, इस कविता पर अबकी कविताओं की छाप है, पर लयात्मकता कायम रखने का  प्रयास जरूर मैंने किया है।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 16, 2015 at 11:30am

सुंदर प्रस्तुति आदरणीय मनन जी. बधाई . आदरणीय हरिप्रकाश जी से सहमत हूँ

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 16, 2015 at 10:21am

आ. मनन भाई , अच्छी लगी आपकी रचना , हार्दिक बधाई ।

Comment by Hari Prakash Dubey on May 16, 2015 at 9:26am
Comment by Samar kabeer on May 15, 2015 at 10:38am
जनाब मनन कुमार सिंह जी ,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 14, 2015 at 1:58pm

''नारी का मुखर होना जरुरी है'' सुन्दर रचना पर बधाई आदरणीय मनन जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service