For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दूर बैठे थे उनसे कभी हम आज कितने करीब आ गये
दिल ने किया कब दिल से बाते इससे अंजान  हो गये
बातो ही बातो हम एक दूजे की नजरो में खो गये
मगर लगी जो नजर प्‍यार पर एक दूजे से दूर हो गये
कभी अपने लगते थें जो रास्‍ते आज बेगाने हो गये

किसकी जुबान से निकला क्‍या हम ढूढ़ते रह गये
चॉंद ढ़ले तक करते बात जो अब चॉंद निकलते सो गये
एक झलक पाये उनका अब लगता वर्षो हो गये
एक ही तो प्‍यार था मेरा वो जाने कहॉं अब खो गये
कभी अपने लगते थे जो रास्‍ते आज बेगाने हेा गये

मेरी खुशी,सपने, चाहते  कभी उन्‍ही के थे हो गये
हर कदम पर था साथ उनका कदम वो आज खो गये
नेह की इस प्रीति बंधन को जाने क्‍यों वह तोड़ गये
लौटेगा अखंड कभी तुम्‍हारा प्‍यार इंन्‍तजार में रह गये
कभी अपने से लगते थे जो रास्‍ते आज बेगाने हो गये।

 

मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on November 26, 2013 at 2:17pm

सादर धन्‍यवाद आदरणीये आप सबको नमन

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2013 at 2:14pm

आदरणीय अखंड जी ..सुंदर रचना पर तहे दिल बधाई 

Comment by Meena Pathak on November 26, 2013 at 2:01pm

सुन्दर प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 26, 2013 at 8:08am

सुंदर रचना प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय अखंड जी

Comment by Shyam Narain Verma on November 25, 2013 at 11:42am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 25, 2013 at 10:27am
आ. अखंड भाई , सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाई !!!
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 24, 2013 at 7:40pm

टूटे  दिल से निकली आह कविता के रूप में। हार्दिक बधाई अखंड भाई , सुंदर रचना के लिए॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2013 at 7:12pm

अखंड जी

भगवान् आपकी हसरते पूरी करे  i निराश न हो  i

 आपकी भाव प्रवणता पर आपको बधाई  i  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service