For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1 अरब का गौरव है भारत रत्‍न

भारत रत्‍न केवल एक पुरस्‍कार ही नहीं है वह भारत का सम्‍मान है और 1 अरब भारतीयों का मान है,भारत रत्‍न। 1954 से प्रारम्‍भ हुए भारत रत्‍न के बारे में साफ लिखा है कि भारत रत्‍न, कला, विज्ञान, साहित्‍य एवं समाजसेवा के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य करने वाले को प्रदान किया जाता है।  भारत रत्‍न जिसको भी मिला वह कम या अधिक सभी हकदार थे। मगर सचिन रमेश तेंन्‍दुलकर कही से भारत रत्‍न के हकदार नहीं है। उन्‍होनें जितने भी मैच खेले सबका मुल्‍य लिया। जहॉं तक मेरी जानकारी है।  एक प्रतियोगिता उनके पूरे कैरियर में रही थी जिसमें वह शानदार खेले और अपने दम पर प्रतियोगिता जीते। मैं दावे के साथ कह सकता हॅूं कि वह निजी रिकार्ड के अतरिक्‍त हर क्षेत्र में असफल थे। एक कप्‍तान के रूप में वह बुरी तरह असफल हुए,उनके रहते केवल इस आधार पर कि दबाव में उनकी बल्‍लेवाजी प्रभावित हो रही है उसने जूनियरों केा कप्‍तान बनाया गया । वह खिलाडी ही क्‍या जो दबाव ना सहे।

ठहरे हुए पानी में सब कश्‍ती पार लगा सकते है, जरा तुफानो से लाओ कश्‍ती निकाल के।

तब जाने की कुशल चालक हो। बहुत ही कम अवसर ऐसे आये जब वह दबाब से निकाल कर टीम को जीत दिलाये हो। उनके पूरे कैरियर काल में जितने भी विश्‍व कप हुए किसी में उनका प्रर्दशन औसत ही  रहा हैं। केन्‍या, जिम्‍माबाम्‍बे एंव आयरलैन्‍ड जैसी टीमों के खिलाफ तो इनका प्रर्दशन ठीक रहा है मगर अन्‍य देशों के खिलाफ इनका प्रदर्शन औसत भी नहीं रहा है। हम ये नहीं कहते कि जिनके खिलाफ इनका प्रर्दशन ठीक रहा है वह कमजोर टीमे थी, मगर वह ऐसी टीमे भी नहीं थी जिसको एक सशक्‍त विरोधी का दर्जा दिया जाये। इस लिये मेरा मानना है कि व्‍यक्तिगत प्रर्दशन के आधार पर भारत रत्‍न दिया जाना भारत की जनता के सम्‍मान के खिलाफ हैं। अगर तेन्‍दुलकर केा दिया गया तो उसके पहले ध्‍यानचंद को,अटल बिहारी बाजपेयी को क्‍येां नही । अगर बात किक्रेट की है तो फिर कपिल देव को,सुनील गवास्‍कर को क्‍यो नहीं  दिया गया भारत रत्‍न क्‍या वह विश्‍व स्‍तर के खिलाडी नहीं थे या उन्‍होने भारतीय क्रिकेट को नया आयाम नहीं दिया, क्‍या उन्‍होनें भारतीय किक्रेट को सम्‍मान नहीं दिया। आज के दौर में बैटिंग करना बहुत आसान है ।बालरो के हाथ बॉंध दिये गये है। बालर बाउन्‍सर नहीं फेक सकते।लेग स्‍टम्‍प के बाहर से गेद नहीं निकाल सकते। रिप्‍ले के आधार पर आउट दिया जाता है। तीसरी ऑंख के फैसले के आधार पर आउट दिया जाता है। उससे भी दिल ना भरा तो रिवियू दिया जाता है।क्षेत्ररक्षण भी ऐसा की कभी दायरे से दो बाहर तो कभी दायरे में चार अंदर चारो तरफ से बल्‍लेबाज की चॉंदी  मगर याद कीजिए पहले ऐसा नहीं था बालर वाउन्‍सर मार कर बल्‍लेवाजों को घायल कर देता था।ग्राउन्‍ड एम्‍पायर आउट दिया तो गये आप। गेद स्‍पंटम के देानेा तरफ फेकी जाती थी। उस समय पर जब हमारे पास संसाधन नहीं थे कपिल देव ने 175 रन की पारी खेल कर,भारत को फाइनल तक ले गये। फाइनल के मैच में विवियन रिर्चडस का वो ऐसा कैच लिया  जिसको आज भी लोग याद करते है। भारत विदेशी धरती पर अजेय समझे जाने वाले दो बार की विजेता वेस्‍टन्‍डीज को हराने का काम कर विश्‍वविजेता बना।वन डे में टेस्‍ट मे सबेस ज्‍यादा विकेट लेने वाले खिलाडी भी कपिल रहे है। वही गावस्‍कर ने टेस्‍ट क्रिकेट में 10हजार रन बनाने का कारनामा सबसे पहले किया । क्‍येा नहीं इन दोनेा खिलाडीयों को भारत रत्‍न दिया। क्‍यो किसी को मरने के तुरंन्‍त बाद मिल जाता है । किसको 32 मरने के बाद 32 साल इंन्‍तजार करना पडता है। क्‍यों नहीं जिसक आदमी को भारत देने की मॉंग सारी दुनिया कर रही है उसको दिया जाता है। और आनन* फानन में ऐसे आदमी को भारत रत्‍न दे दिया जाता है, जिसका देश सेवा से कोई सरोकार ही नहीं। जिसने खुद कभी सपने में भी नहीं सोचागा होगा की हमें भारत रत्‍न मिलेगा। आप मेरी बात का अन्‍यथा ना ले आज जो हो रहा है वह दावे के  साथ कह सकता हूँ कि भारत रत्‍न राजनीति का शिकार है । और आज देश से सेवा नहीं,सत्‍कार इसका मानक बन गया है।

भारत रत्‍न अब नहीं रह गया खास है, यह तो बन गया एक आम पुरस्‍कार है। जब भारत के रत्‍न ऐसे होने लगे ,सिसक कर भारत

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 5:02pm

आदरणीय , !!!!! ये चुनावी चक्कर मे अति शीघ्रता से लिया गया फैसला ज़रूर है !!!!!

Comment by Akhand Gahmari on November 20, 2013 at 10:47pm

आदणीये मैने सचिन के पक्ष या विपक्ष में कुछ भी नहीं लिखने का प्रयास किया मैने तो केवल उनके भारत रत्‍न के सम्‍मान पर आवाज उठायी है।कि आखिर क्‍यों दिया गया आनन-फानन में तेंन्‍दुलकर को भारत रत्‍न, महोदय आप सब हमारे मार्ग दर्शक है, आखिर मैं कहॅा गलत हूँ, भारत रत्‍न आज तक कभी किसी खेल में नहीं दिया गया फिर यह परम्‍परा की शुरूआत आनन-फानन में क्‍यों, क्‍यों नहीं उससे भी जो श्रेष्‍ठ थे उनको दिया गया यह पुरस्‍कार, क्‍या निभा पायेगे गरिमा तेंन्‍दुलकर भारत रत्‍न की,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 9:40pm

आदरणीय गहमरी जी, कृपया लेख के नीचे "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना न भूले, आप एडिट कर लें या एडमिन / प्रधान संपादक से लिखित अनुरोध कर एडिट करवा लें ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 20, 2013 at 9:33pm

बड़ी आग है  मित्र

थोडा धीरज धरो भाई

लेखन में हमेशा मध्यम मार्ग उचित होता है

अगर आप किसी पर अपना निष्कर्ष थोपते है

तो आप असफलं है --- सोचिये

 सचिन के पक्ष में भी कितना कुछ लिखा जा सकता है i      आप मेरे मित्र् है,  इसीलिये इतना कहा  i

Comment by Neeraj Nishchal on November 20, 2013 at 8:38pm

आदरणीय अखंड बिलकुल सही कहा और बहुत बहुत बधाई जो आपने कहने का साहस किया
पर सभी पुरुस्कारों का हाल यही है और यह भी विचारणीय है कि पुरूस्कार देने वाले जब
इतने विवेक हीन हैं तो ऐसा होने पर कोई आश्चर्य नही है और सबसे विवेक हीन इस देश
कि जनता जो ऐसे लोगों को चुनती है खैर हमारी भी एक आदत है हम जड़ों की खोज करते नही
और टहनियों का उपचार करते हैं ।

Comment by Neeraj Neer on November 20, 2013 at 7:50pm

आपकी भावना से मेरी पूर्णतः सहमति..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service