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'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१६  

नमस्कार दोस्तों !

इस बार की चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-१६ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है | रिमझिम बरसात के मौसम में ठंडी-ठंडी फुहार से युक्त सावन की मस्ती का प्रतिनिधित्व करता हुआ इस बार का नयनाभिराम चित्र अपने आप में अनमोल है जिसे हमारे विद्वान प्रतिभागियों द्वारा अनेक रूप में चित्रित किया जा सकता है |

साथियों! इस साल की भयंकर गर्मी झेलने के बाद जैसे ही सावन की ठंडी-ठंडी फुहारें आयीं वैसे ही अधिकतर बागों में झटपट झूले पड़ गए अब इन झूलों पर झूलने वालों को बचपन जैसी मस्ती तो आनी ही है    

मधुर सावनी है यहाँ, ठंडी मस्त फुहार.

मौसम की हैं मस्तियाँ, प्रियतम से अभिसार..

आइये तो उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. पुनः आपको स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी, कृपया इस प्रतियोगिता में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है | 

प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है जिसका विवरण निम्नलिखित है :-

"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १४ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १५  से १७ तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१६ , दिनांक १५ जुलाई  से १७ जुलाई   की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

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Replies to This Discussion

/छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओबैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायोझोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी पींग बढायें, 
हमको तो  मालूम नहीं है, आप हमें बतलायें  
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, इतना ऊंचा जाएँ
ओबीओ के सभी निवासी, झूमें, नाचें गायें

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, नाचन की रुत भाई
बादल गरजा, बिजुरी चमकी, बरखा रानी आई
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माई
इतनी फाइरिंग रेपिड करदी, धन्य हो मेरे भाई.
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोलेकरना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, सुन्दर हार पिरो लेबम बम भोले बोल के भय्या, छको भांग के गोले
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भांग कहाँ से लायें
भांग पे है प्रतिबन्ध यहाँ, दुखड़ा किसे सुनायें //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहाँ भांग का तोटा ?
जिनती चाहो उतनी मिलती. कलकत्ता या कोटा. 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, हम ठहरे गुजराती
सबकुछ मिल जाता है परन्तु, भांग नहीं मिल पाती
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न दिखे रंगीला
छंदों कि बरसात हुई है, मौसम हुआ नशीला
//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंयानहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, पड़ती तोरे पैयाँ
जान भी ले लो मोरे जानी, फिर भी लूँ बलैयाँ   
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों लें जान तिहारी
वक्त पड़ा तो हम दे देंगे, तुमको जान हमारी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी बात प्यारी
भाई अलबेला जी तुम पे, जीवन सारा वारी.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, केवल बात नहीं है
हमने तो जाना इस दिल से, मित्र मित्रता की है

छन्न पकैया - छन्न पकैया, ये है मेरा सपना
इस दुनिया में इक दूजे को समझें सारे अपना .   
छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा हैरस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, अब तो चौमासा हैफूल फूल डारी डारी पर, उल्फत की भासा है  
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भासा अपनी हिन्दी
सब भाषाएँ भाल हिन्द का , हिन्दी उस पर बिन्दी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, मेरी माँ पंजाबी
हिंदी लेकिन जननी सबकी, उसके हाथ में चाबी 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, भैया बात ज़रा सी
माँ मेरी राजस्थानी औ  पंजाबी है मासी 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुन मेरे हमजोली
सब से सुंदर सब से मीठी, होती प्रेम की बोली   

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारीप्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, टूटे न ये यारी
प्रेम बढ़ाये निसदिन दुगना, अपने कृष्ण मुरारी
//कृष्ण मुरारी रास रमेंगे, ओ बी ओ महफ़िल में
बात हमारी गाँठ बांध लो, भैया  अपने दिल में //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, ओबीओ मतवाला
इसके आँगन में बसता है बिरला किस्मत वाला

छन्न पकैया -छन्न पकैया, किस्मत अपनी भारी
इसीलिए तो मिल गई हमको, योगराज की यारी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न हमारा गहना
दुनिया चाहे जितनी बदले, तुम ऐसे ही रहना. 


//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवेउन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, उसकी याद रुलावेगंगा यमुना बहे आँख से, याद कभी जो आवे
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, तुम तकलीफ़ न पाना
याद आय तो मोबाइल पर, एस एम एस भिजवाना  //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, एस एम एस है जाली
बात करेंगे मिलकर भाई, अब दो दे दो ताली .
छन्न पकैया - छन्न पकैया,  हम  मित्र मारवाड़ी
देने में नहिं लेने में हैं, रहते सदा अगाड़ी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सच है मेरे भाई
तकनीकी रेवोलिऊशन से, और बढ़ी है खाई    

छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानीअब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, कहदी बात सुहानीयोगी बाबा झूमें गाएँ, लहजा देख रोमानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, यदि तुम हो रोमानी
हम भी बाबा जनम जनम से, पक्के हिन्दुस्तानी
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, छम छम बरसे पानी 
कह जाते हो दिल में है जो, कर थोड़ी शैतानी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, शैतानी का दुःख है
दुनिया चाहे पागल समझे. बन्दा तो हसमुख है
छन्न पकैया - छन्न पकैया, रहे प्रेम का साया
रहे हरा ये ओबीओ तरुवर, मिलके जिसे लगाया


___________ हा हा हा हा हा हा
------------------ वा वा वा वा वा वा ___________ मज़ा आया
------------------ घणा भाया  ___________ कैसी रही योगराजजी !
------------------ चोखी कही भाई साब जी
(ये कैसी रही भाई अलबेलवा जी?)
______मजो आगयो भाई जी.........
______अब तो प्रमाण-पत्र दे दो.....
_________नहीं तो
__________________सौरभ जी से कह दूंगा....जिल्लेइलाही से.......हा हा हा
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माही
सरटीफिकट तो आकर देंगे, खुद ही जिल्लेलाही    
छन्न पकैया - छन्न पकैया, जिल्लेलाही आओ
अपने इस नाचीज़ दास की, इन से लाज बचाओ
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लो फूलों की माला
बाकी सब कुछ आकर देंगे, सौरभ हज़रत आला
 
____क्यों ठीक है न ठीक ?
____लाओ प्रमाण-पत्र ...........हा हा हा हा हा हा
____योगराज ज़िन्दाबाद ...tain te tain


 "
छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी, 

यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी

क्या बात है भाई महान है आप अलबेला जी, अम्बरीश जी, योगराज जी और सौरभ जी आपका ये रसीला छंद युद्ध घर तलक जा पहुंचा, कौन कितना किस पर भारी पड़ा यह तो आप महानुभाव ही जाने, छंद के पारखी ही पहचाने, राजस्थानी, पंजाबी, हरियाणवी भाषाओ  के विशेषग्य परखे | मगर हम सरीके पाठको को पढ़ पढ़ कर ही आनंद आ रहा है | कृपया चलते रहिये----हर्द्किक आभार और धन्यवाद - - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर   

/छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओबैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायोझोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी पींग बढायें, 
हमको तो  मालूम नहीं है, आप हमें बतलायें  
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, इतना ऊंचा जाएँ
ओबीओ के सभी निवासी, झूमें, नाचें गायें

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, नाचन की रुत भाई
बादल गरजा, बिजुरी चमकी, बरखा रानी आई
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माई
इतनी फाइरिंग रेपिड करदी, धन्य हो मेरे भाई.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, सूरत से मोहाली
द्वंद्व आज छन्दों का छाया, शब्दों की हरियाली  


//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोलेकरना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, सुन्दर हार पिरो लेबम बम भोले बोल के भय्या, छको भांग के गोले
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भांग कहाँ से लायें
भांग पे है प्रतिबन्ध यहाँ, दुखड़ा किसे सुनायें //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहाँ भांग का तोटा ?
जिनती चाहो उतनी मिलती. कलकत्ता या कोटा. 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, हम ठहरे गुजराती
सबकुछ मिल जाता है परन्तु, भांग नहीं मिल पाती
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न दिखे रंगीला
छंदों कि बरसात हुई है, मौसम हुआ नशीला
छन्न पकैया - छन्न पकैया, नशा नहीं करना है
इस जीवन में स्वस्थ के संग, सुखी अगर रहना है


//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंयानहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, पड़ती तोरे पैयाँ
जान भी ले लो मोरे जानी, फिर भी लूँ बलैयाँ   
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों लें जान तिहारी
वक्त पड़ा तो हम दे देंगे, तुमको जान हमारी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी बात प्यारी
भाई अलबेला जी तुम पे, जीवन सारा वारी.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, केवल बात नहीं है
हमने तो जाना इस दिल से, मित्र मित्रता की है

छन्न पकैया - छन्न पकैया, ये है मेरा सपना
इस दुनिया में इक दूजे को समझें सारे अपना .   
छन्न पकैया - छन्न पकैया, सब अपने हैं भाई
किन्तु केवल पुरूष, नारियां होती सदा पराई


छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा हैरस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, अब तो चौमासा हैफूल फूल डारी डारी पर, उल्फत की भासा है  
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भासा अपनी हिन्दी
सब भाषाएँ भाल हिन्द का , हिन्दी उस पर बिन्दी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, मेरी माँ पंजाबी
हिंदी लेकिन जननी सबकी, उसके हाथ में चाबी 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, भैया बात ज़रा सी
माँ मेरी राजस्थानी औ  पंजाबी है मासी 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुन मेरे हमजोली
सब से सुंदर सब से मीठी, होती प्रेम की बोली   
छन्न पकैया - छन्न पकैया, सत्य वचन है दादा
कोई अब क्या कह सकता है, सच को इससे ज़्यादा


//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारीप्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, टूटे न ये यारी
प्रेम बढ़ाये निसदिन दुगना, अपने कृष्ण मुरारी
//कृष्ण मुरारी रास रमेंगे, ओ बी ओ महफ़िल में
बात हमारी गाँठ बांध लो, भैया  अपने दिल में //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, ओबीओ मतवाला
इसके आँगन में बसता है बिरला किस्मत वाला

छन्न पकैया -छन्न पकैया, किस्मत अपनी भारी
इसीलिए तो मिल गई हमको, योगराज की यारी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न हमारा गहना
दुनिया चाहे जितनी बदले, तुम ऐसे ही रहना. 
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, हम पत्थर की मूरत
जैसे हैं हम वैसे होंगे, नहिं बदलेगी सूरत



//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवेउन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, उसकी याद रुलावेगंगा यमुना बहे आँख से, याद कभी जो आवे
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, तुम तकलीफ़ न पाना
याद आय तो मोबाइल पर, एस एम एस भिजवाना  //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, एस एम एस है जाली
बात करेंगे मिलकर भाई, अब दो दे दो ताली .
छन्न पकैया - छन्न पकैया,  हम  मित्र मारवाड़ी
देने में नहिं लेने में हैं, रहते सदा अगाड़ी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सच है मेरे भाई
तकनीकी रेवोलिऊशन से, और बढ़ी है खाई    
छन्न पकैया - छन्न पकैया, खाई हो या खाया
तरल  प्रेम से हम पाटेंगे, हर खड्डे को भाया


छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानीअब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, कहदी बात सुहानीयोगी बाबा झूमें गाएँ, लहजा देख रोमानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, यदि तुम हो रोमानी
हम भी बाबा जनम जनम से, पक्के हिन्दुस्तानी
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, छम छम बरसे पानी 
कह जाते हो दिल में है जो, कर थोड़ी शैतानी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, शैतानी का दुःख है
दुनिया चाहे पागल समझे. बन्दा तो हसमुख है
छन्न पकैया - छन्न पकैया, रहे प्रेम का साया
रहे हरा ये ओबीओ तरुवर, मिलके जिसे लगाया
छन्न पकैया - छन्न पकैया, मिलन मधुर है अपना
आओ मिल कर पूर्ण करें हम, ओ बी ओ का सपना


___________ हा हा हा हा हा हा
------------------ वा वा वा वा वा वा ___________ मज़ा आया
------------------ घणा भाया  ___________ कैसी रही योगराजजी !
------------------ चोखी कही भाई साब जी
(ये कैसी रही भाई अलबेलवा जी?)
______मजो आगयो भाई जी.........
______अब तो प्रमाण-पत्र दे दो.....
_________नहीं तो
__________________सौरभ जी से कह दूंगा....जिल्लेइलाही से.......हा हा हा
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माही
सरटीफिकट तो आकर देंगे, खुद ही जिल्लेलाही    
छन्न पकैया - छन्न पकैया, जिल्लेलाही आओ
अपने इस नाचीज़ दास की, इन से लाज बचाओ
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लो फूलों की माला
बाकी सब कुछ आकर देंगे, सौरभ हज़रत आला
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हजरत कुछ नहिं लाये
अपने सौरभ दादा केवल हाथ हिलाते आये

 
____क्यों ठीक है न ठीक ?
____लाओ प्रमाण-पत्र ...........हा हा हा हा हा हा
____योगराज ज़िन्दाबाद ...tain te तेन
_______________________हाय रे मेरा प्रमाण -पत्र  !
_______________________अरे कोई है ?

_______________________

/छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओबैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायोझोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी पींग बढायें, 
हमको तो  मालूम नहीं है, आप हमें बतलायें  
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, इतना ऊंचा जाएँ
ओबीओ के सभी निवासी, झूमें, नाचें गायें

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, नाचन की रुत भाई
बादल गरजा, बिजुरी चमकी, बरखा रानी आई
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माई
इतनी फाइरिंग रेपिड करदी, धन्य हो मेरे भाई.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, सूरत से मोहाली
द्वंद्व आज छन्दों का छाया, शब्दों की हरियाली  

छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहता ये हर बंदा
छंदों के इस कुरछेतर में, आया परमानंदा

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोलेकरना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, सुन्दर हार पिरो लेबम बम भोले बोल के भय्या, छको भांग के गोले
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भांग कहाँ से लायें
भांग पे है प्रतिबन्ध यहाँ, दुखड़ा किसे सुनायें //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहाँ भांग का तोटा ?
जिनती चाहो उतनी मिलती. कलकत्ता या कोटा. 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, हम ठहरे गुजराती
सबकुछ मिल जाता है परन्तु, भांग नहीं मिल पाती
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न दिखे रंगीला
छंदों कि बरसात हुई है, मौसम हुआ नशीला
छन्न पकैया - छन्न पकैया, नशा नहीं करना है
इस जीवन में स्वस्थ के संग, सुखी अगर रहना है

छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए चारू 
कोई हर्ज़ नहीं पीने में, जो  हो उल्फत की दारू
//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंयानहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, पड़ती तोरे पैयाँ
जान भी ले लो मोरे जानी, फिर भी लूँ बलैयाँ   
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों लें जान तिहारी
वक्त पड़ा तो हम दे देंगे, तुमको जान हमारी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी बात प्यारी
भाई अलबेला जी तुम पे, जीवन सारा वारी.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, केवल बात नहीं है
हमने तो जाना इस दिल से, मित्र मित्रता की है

छन्न पकैया - छन्न पकैया, ये है मेरा सपना
इस दुनिया में इक दूजे को समझें सारे अपना .   
छन्न पकैया - छन्न पकैया, सब अपने हैं भाई
किन्तु केवल पुरूष, नारियां होती सदा पराई
छन्न पकैया - छन्न पकैया, बात समझ न आई
नारी जो नर को जन्मे है, होती कहाँ पराई  ?

छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा हैरस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, अब तो चौमासा हैफूल फूल डारी डारी पर, उल्फत की भासा है  
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भासा अपनी हिन्दी
सब भाषाएँ भाल हिन्द का , हिन्दी उस पर बिन्दी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, मेरी माँ पंजाबी
हिंदी लेकिन जननी सबकी, उसके हाथ में चाबी 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, भैया बात ज़रा सी
माँ मेरी राजस्थानी औ  पंजाबी है मासी 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुन मेरे हमजोली
सब से सुंदर सब से मीठी, होती प्रेम की बोली   
छन्न पकैया - छन्न पकैया, सत्य वचन है दादा
कोई अब क्या कह सकता है, सच को इससे ज़्यादा
छन्न पकैया - छन्न पकैया, होवे प्रेम सवाया
बारिश हो छंदों की हरसू, तभी ये मंच बनाया, 

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारीप्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, टूटे न ये यारी
प्रेम बढ़ाये निसदिन दुगना, अपने कृष्ण मुरारी
//कृष्ण मुरारी रास रमेंगे, ओ बी ओ महफ़िल में
बात हमारी गाँठ बांध लो, भैया  अपने दिल में //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, ओबीओ मतवाला
इसके आँगन में बसता है बिरला किस्मत वाला

छन्न पकैया -छन्न पकैया, किस्मत अपनी भारी
इसीलिए तो मिल गई हमको, योगराज की यारी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न हमारा गहना
दुनिया चाहे जितनी बदले, तुम ऐसे ही रहना. 
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, हम पत्थर की मूरत
जैसे हैं हम वैसे होंगे, नहिं बदलेगी सूरत

छन्न पकैया - छन्न पकैया, तुम तो फूल गुलाबी
दिल पे रखकर हाथ कहे ये, योगीराज पंजाबी


//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवेउन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, उसकी याद रुलावेगंगा यमुना बहे आँख से, याद कभी जो आवे
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, तुम तकलीफ़ न पाना
याद आय तो मोबाइल पर, एस एम एस भिजवाना  //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, एस एम एस है जाली
बात करेंगे मिलकर भाई, अब दो दे दो ताली .
छन्न पकैया - छन्न पकैया,  हम  मित्र मारवाड़ी
देने में नहिं लेने में हैं, रहते सदा अगाड़ी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सच है मेरे भाई
तकनीकी रेवोलिऊशन से, और बढ़ी है खाई    
छन्न पकैया - छन्न पकैया, खाई हो या खाया
तरल  प्रेम से हम पाटेंगे, हर खड्डे को भाया
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहते हैं नर नारी
हाथ पकड़ लो इक दूजे का, दूरी भूलो सारी


छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानीअब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, कहदी बात सुहानीयोगी बाबा झूमें गाएँ, लहजा देख रोमानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, यदि तुम हो रोमानी
हम भी बाबा जनम जनम से, पक्के हिन्दुस्तानी
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, छम छम बरसे पानी 
कह जाते हो दिल में है जो, कर थोड़ी शैतानी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, शैतानी का दुःख है
दुनिया चाहे पागल समझे. बन्दा तो हसमुख है
छन्न पकैया - छन्न पकैया, रहे प्रेम का साया
रहे हरा ये ओबीओ तरुवर, मिलके जिसे लगाया
छन्न पकैया - छन्न पकैया, मिलन मधुर है अपना
आओ मिल कर पूर्ण करें हम, ओ बी ओ का सपना
छन्न पकैया - छन्न पकैया, साझा है ये सपना
आसमान पर दिखे ओब्बेओ, जो ठीहा है अपना


___________ हा हा हा हा हा हा
------------------ वा वा वा वा वा वा ___________ मज़ा आया
------------------ घणा भाया  ___________ कैसी रही योगराजजी !
------------------ चोखी कही भाई साब जी
(ये कैसी रही भाई अलबेलवा जी?)
______मजो आगयो भाई जी.........
______अब तो प्रमाण-पत्र दे दो.....
_________नहीं तो
__________________सौरभ जी से कह दूंगा....जिल्लेइलाही से.......हा हा हा
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माही
सरटीफिकट तो आकर देंगे, खुद ही जिल्लेलाही    
छन्न पकैया - छन्न पकैया, जिल्लेलाही आओ
अपने इस नाचीज़ दास की, इन से लाज बचाओ
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लो फूलों की माला
बाकी सब कुछ आकर देंगे, सौरभ हज़रत आला
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हजरत कुछ नहिं लाये
अपने सौरभ दादा केवल हाथ हिलाते आये
छन्न पकैया - छन्न पकैया, बात नहीं है बिगरी
आयो तुमको दे ही डालें, हास्य श्री की डिग्री 

 
____क्यों ठीक है न ठीक ?
____लाओ प्रमाण-पत्र ...........हा हा हा हा हा हा
____योगराज ज़िन्दाबाद ...tain te तेन
_______________________हाय रे मेरा प्रमाण -पत्र  !
_______________________अरे कोई है ?

छन्न पकैया - छन्न पकैया, बातें बहुत सधी हैं 

परिपाटी यह ’सीख-सिखन’ की, अपने भाग बदी है.. .

जय हो ... जय हो..................

सादर .. .

आदरणीय सौरभ दादा
सादर

सादर ..  जय होऽऽऽ ........

छन्न पकैया - छन्न पकैया, मन में कहाँ दुराव ?
’हाथ हिलाना’ मेरा प्रभुजी, अनुमोदन सा भाव..... .

छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायोझोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी पींग बढायें,  
हमको तो  मालूम नहीं है, आप हमें बतलायें  
 //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, इतना ऊंचा जाएँ 
ओबीओ के सभी निवासी, झूमें, नाचें गायें
 

अच्छी जुगलबंदी का आनंद  हो रहा OBO के इस मंच पे
यही मंच की सार्थकता है....यही निर्मल आनंद है ...छंद-बद्ध साहित्य का....अनजाने में जीभ थिरकने लगती है और मन का  टाईपराइटर कुछ टाईप करने लगता है..
वाह! योगराज प्रभाकर जी
वाह! अलबेला खत्री जी.

 

सचमुच आनन्द में भीग गये हैं
आदरणीय अविनाश जी अच्छा लग रहा है
सादर

वाह आदरणीय योगराज जी व अलबेला जी वाह .....

छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी 
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी 

"unaki" jhanki aaj bhi vaisi hi hai to aap 100% badbhagi hai Albela ji

sunder छन्न पकैया

कहना मत किसी से अविनाश जी,
मैं भी ऐसा ही मानता हूँ........
चाहे झूठ मूठ ही सही...हा हा हा

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