चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -१३'
नमस्कार दोस्तों !
अंक -१२ की अपार सफलता के बाद 'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता’ अंक -१३ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है!
इस प्रतियोगिता के लिए हमारे कई साथियों नें अपनी-अपनी पसंद के चित्र भेजे ! जिनमें प्रत्येक चित्र अपने आप में बेमिसाल था | उन सभी मित्रों का बहुत-बहुत आभार |
चित्र के चयन में काफी मशक्कत के बाद अंततः निम्नलिखित चित्र प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया है |
ये खूबसूरत पेंड़-पौधे वस्तुतः हमारे बच्चों की तरह ही तो हैं...... और तो और हमें उनकी देखभाल व पोषण भी अपने बच्चों की तरह की करना पड़ता है, जब वह पल्लवित व पुष्पित होकर अपनी युवावस्था को प्राप्त करते हैं तो हमें ठीक वैसी ही खुशी मिलती है जैसी प्रसन्नता हमें अपने बच्चों को देखकर प्राप्त होती है |
प्रस्तुत चित्र में दर्शाये गए वृक्ष के तने में किसी कलाकार ने गर्भस्थ शिशु की आकृति उकेर दी है ! जो अपने आप में अनेक सन्देश दे रही है |
ह्त्या वैसी वृक्ष की, ज्यों शिशु की गर्भस्थ.
इसको पोसें प्यार से, तभी जगत हो स्वस्थ..
आइये तो उठा लें आज अपनी-अपनी कलम, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !
और हाँ! पुनः आपको स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि
यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी
कृपया इस प्रतियोगिता में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें! ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी |
साथ-साथ इस प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र की भी व्यवस्था की गयी है ....जिसका विवरण निम्नलिखित है :-
"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company
द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company
तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala
A leading publishing House
नोट :-
(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८ से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |
(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे |
(3) नियमानुसार "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१२ के प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेता इस अंक के निर्णायक होंगे और नियमानुसार उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर रहेगी | प्रथम, द्वितीय के साथ-साथ तृतीय विजेता का भी चयन किया जायेगा |
सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें |
विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|
अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१३ , दिनांक १८ अप्रैल से २० अप्रैल की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |
मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव
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आभारी हूँ, अम्बरीश जी।
कुंडली पर कुंडली। वाह।
स्वागत है आदरणीय !
आपका यह छंद पढ़े, सचमुच सुन्दर बोल
किन्तु जगत में प्रकृति को, देते थोड़ा खोल
देते थोड़ा खोल, वर्ना भ्रम होता है
सदा प्रकृति के रंग, जगत ही तो ढोता है
शब्दों का अंदाज़, बखाने भाव छाप* का
सादर कहूँ प्रणाम, सुगढ़ है छंद आपका.. .
बहुत बहुत बधाई, आदरणीय तिलकराज जी.. .
*छाप - चित्र
धन्यवाद सौरभ भाई।
कुंडली पर कुंडली की टिप्पणी।
हिन्दी छंदों का सीमित उपयोग मैं तो केवल ऐसे आयोजनों में ही कर पाया हूँ अब तक।
वाह तिलकराज जी संदेशपरक कुंडली रची है |
धन्यवाद, राजेश कुमारी जी।
जीना हो दीर्घायु तो, रखिये इसका ध्यान...bilkul.
जैव-जगत आधार है, ईश्वर का वरदान।...sawal hi nahi.
ईश्वर का वरदान, जगत में प्रकृति कहाया
जीवन का हर भेद, इसी में रहा समाया।...sateek vyakhya.
कह 'राही' कविराय, साथ इसके ही चलना
इसके ही गुण धार, हमें है जीवन जीना।...uttam salah
bahut hi preranadayi kundaliya Tilak raj ji....man prasann hua.
आभारी हूँ अविनाश जी।
''इसके ही गुण धार, हमें है जीवन जीना।''
तिलक जी, चित्र पर इतनी सुंदर अभिव्यक्ति के लिये...बधाई !
आभारी हूँ शन्नो जी।
ईश्वर का वरदान, जगत में प्रकृति कहाया
जीवन का हर भेद, इसी में रहा समाया।
चित्र के भावों को अभिव्यक्त करती रचना.. नमन आपकी लेखनी को
आभारी हूँ दुष्यन्त जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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