For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सम्मोहन 

सम्मोहन !

जानता था मन, शायद न लौटेंगे हम

वह प्रथम-मिलन की वेला ही होगी 

शायद हमारा अंतिम मिलन

अंतिम मुग्ध आलिंगन

उस परस्पर-गुँथन में थी लहराती

चिन्तनशील यह उलझन गहरी

जी में फिर भी था अतुल उत्साह

कि रहेंगे जहाँ भी, खुले रहेंगे हमारे

सुन्दरतम मन-मंदिर के वातायन

खुले रहेंगे पूरम्पूर परस्पर प्राणों के द्वार

कि तड़पती भागती दिशाओं के पार भी

अजाने मौन में अनुभव करेंगे हम

अपने-अपने मधुर एकाँत में

मनोहर आत्मीय प्यार गहन

घोल दिया था तुमने, प्रिय, विश्वास कुछ ऐसा

खबर थी किसको, किसको पता था

कि शरद की चाँदनी में किरण-रेखा-सा

जगमगाता रहेगा स्नेह हमारा

अटल रहेगा यह स्नेह का संगम

क्षोभमय कितना भी हो चाहे

या हो उर-विदारक

बदलते जगत का चेहरा

सोचा न था कभी, प्रिय

हमारी चेतनाओं को मिलाएगी

उमड़ती कोई विवशता ऐसी

कि सपनों में भी आती रहेगी

रात की रानी-सी

स्नेह की सुगंध नशीली

मौसम बदले, आए नए वसन्त

नन्हीं नई चिड़ियों के कलरव

स्नेह की मीठी कोमल झकोर

एक स्वर एक लय

मन चंचल

प्यार अमर

क्या दें नाम हम ऐसे सलोने प्रथम मिलन को

अवशेष कहाँ है इस सनातन सम्मोहन में

स्थान कहीं भी अब विदा की वेदना के लिए

ऐसे में पूछूँ एक बात मैं, प्रिय ...

पलकें झुकाए,आँचल सँभालते

जाते-जाते घूम कर मुड़ कर 

भावविभोर

चरण-स्पर्ष क्यूँ  किया था तुमने ?

                -----

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 16, 2020 at 11:03am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र लक्ष्मण जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2020 at 6:51am

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन । अच्छी कविता हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on March 10, 2020 at 10:13am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय भाई समर कबीर जी।

Comment by vijay nikore on March 10, 2020 at 10:12am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीेया कल्पना जी।

Comment by Samar kabeer on March 10, 2020 at 7:18am

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 8, 2020 at 9:05pm

बहुत बढ़िया कविता हुई है आदरणीय विजय निकोर जी। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service