For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (बह्र -फेलुन) यह ग़ज़ल दुनिया की सबसे छोटी ग़ज़ल है। इसे "गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स" में शामिल किया गया है ।

*जीवन
उलझन ।

* सूने
आँगन ।

* घर-घर
अनबन ।

* उजड़े
गुलशन ।

* खोया
बचपन ।

*भटका
यौवन ।

* झूठे
अनशन ।

* ख़ाली
बरतन ।

* सहमी
धड़कन ।

.
मौलिक और अप्रकाशित ।

Views: 2126

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 7:56am
आदरणीय विजय निकोर जी ग़ज़ल की सराहना और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 7:54am
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब, यह सब आपकी दुआओं का नतीजा है । ग़ज़ल की सरहना और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by नाथ सोनांचली on September 25, 2017 at 4:29am
जनाब मोहम्मद आरिफ भाई जी सादर अभिवादन, मुझे भी रात में लॉगिन करते ही यह ख़ुसी का पता चला।
आपको मेरे जानिब से मुबारक़बाद, मेरी दुआ है आप आगे भी यूँ ही का़मयाब होते रहें.
Comment by vijay nikore on September 25, 2017 at 4:17am

बहुत ही प्रबल प्रवाह.. थोड़े शब्दों में गहराई .. अत: बार-बार पढ़ी। हार्दिक बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2017 at 1:46am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , बहुत बहुत हार्दिक बधाई इस उच्च सफलता एवं ख्याति के लिए। सादर।
Comment by Mohammed Arif on September 24, 2017 at 11:20pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया । यह सब आपकी दुआआओं का सुखद परिणाम है ।
Comment by Mohammed Arif on September 24, 2017 at 11:18pm
बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब सलीम रज़ा साहब । यह सब आपकी दुआआओं का नतीजा है।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 24, 2017 at 10:26pm

वाह गज़ब की ग़ज़ल वो भी इतनी छोटी बह्र की  , बेहद ख़ुशी की बात है यह तो कि इस ग़ज़ल को Golden Books of world Record-2017 से प्रमाण पत्र आपको मिल चूका है | आदरणीय समर भाई जी ने मुझे दिखाया , आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब | यह आपकी लगन और मेहनत का ही नतीजा है  | आगे के लिए भी आपको ढेरों शुभकामनाये |

Comment by SALIM RAZA REWA on September 24, 2017 at 10:08pm
जनाब मोहम्मद आरिफ साहिब,
आपको मेरे जानिब से मुबारक़बाद, मेरी दुआ है आप आगे भी यूँ ही का़मयाब होते रहें.
Comment by Mohammed Arif on September 24, 2017 at 7:42pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय अशोक रक्ताले जी । यह सब आप गुणीजनों की दुआआओं का नतीजा है । आप लोगों से ही मुझे प्रेरणा मिलती है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
5 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
14 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service