For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (बह्र -फेलुन) यह ग़ज़ल दुनिया की सबसे छोटी ग़ज़ल है। इसे "गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स" में शामिल किया गया है ।

*जीवन
उलझन ।

* सूने
आँगन ।

* घर-घर
अनबन ।

* उजड़े
गुलशन ।

* खोया
बचपन ।

*भटका
यौवन ।

* झूठे
अनशन ।

* ख़ाली
बरतन ।

* सहमी
धड़कन ।

.
मौलिक और अप्रकाशित ।

Views: 2128

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 7:47pm

वाह! इतनी छोटी बह्र में ग़ज़ब के शेर निकाले हैं आपने और यही सबसे अच्छी बात है. "वर्ल्ड रिकॉर्ड" तो बोनस है. एक बार पुनः इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आपके भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ. सादर.

Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 7:43pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । यह सब आपकी दुआओं और कुशल मार्ग दर्शन से ही संभव हो पाया है । आपके बग़ैर यह मुमकिन नहीं था । फिर से आभार ।
Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 5:45pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,दुनिया की सबसे छोटी ग़ज़ल,वाह बहुत ख़ूब, इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 5:44pm
उत्साहजनक टिप्पणी देने और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीय आशुतोष जी ।
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 5:42pm
हौसला अफज़ाई और उत्साहजनक टिप्पणी का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी ।
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 5:40pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, हौसला अफज़ाई , उत्साहवर्धन और सुंदर टिप्पणी का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 5:37pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2017 at 5:01pm

आदरणीय आरिफ जी वाकई में कमाल की ग़ज़ल ..इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 25, 2017 at 2:26pm
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब ,इस अदभुत ग़ज़ल के कारनामे के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Sushil Sarna on September 25, 2017 at 2:12pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब आदाब , गज़ब गज़ब गज़ब। ... कितना असहाय महसूस कर रहा हूँ शब्दों के अभाव में  ... वो शब्द कहाँ से लाऊँ जो इस स्वर्ण सृजन को अलंकृत कर सकें।  इस दिलकश अंदाज़ की ग़ज़ल के लिए मेरी हार्दिक हार्दिक बधाईयां स्वीकार करें। आपकी कलम, कल्पना और निर्बाध प्रवाह को सलाम सलाम सलाम। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service