For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'वतन को आग लगाने की चाल किसकी है'

मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन

1212     1122     1212      22

ग़ज़ल

उठा है ज़ह्न में सबके सवाल,किसकी है

तू जिस पे नाच रहा है वो ताल किसकी है

खड़े हुए हैं सर-ए-राह आइना लेकर

हमारे सामने आए मजाल किसकी है

ज़रा सा ग़ौर करोगे तो जान जाओगे

वतन को आग लगाने की चाल किसकी है

हमें तू बेवफ़ा कहता है ,ये तो देख ज़रा

लबों पे सबके वफ़ा की मिसाल किसकी है

कभी तो सोच,कभी तो ख़याल कर इसका

तू जिसके पीछे है महफूज़,ढाल किसकी है

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 933

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 31, 2019 at 11:52pm

जनाब तेज वीर सिंह जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on January 31, 2019 at 11:50pm

जनाब आसिफ़ ज़ैदी जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by PHOOL SINGH on January 21, 2019 at 4:06pm

कबीर साहेब बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकारें

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 19, 2019 at 12:19am

आ0 कबीर सर हर एक शेर बहुत खूब लिखा आपने 

हमें तू बेवफ़ा कहता है ,ये तो देख ज़रा

लबों पे सबके वफ़ा की मिसाल किसकी है

बेहतरीन शेर लगा । आ0 अजय तिवारी जी की बात से सहमत हूँ कि आसान शब्दो मे भी बहुत अच्छी गज़ल कही जा सकती है । यह आपकी ग़ज़ल से सीख मिली । 

हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by राज़ नवादवी on January 19, 2019 at 12:15am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद. सादर. 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 18, 2019 at 8:36pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आदाब, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है , मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 18, 2019 at 7:36pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । इस बेहतरीन गजल के लिए कोटि कोटि हार्दिक बधाईयाँ।

Comment by Md. Anis arman on January 18, 2019 at 10:44am

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है सर ,हर शेर प्यारा है  बहुत बहुत मुबारक 

Comment by Mahendra Kumar on January 17, 2019 at 8:53pm

खड़े हुए हैं सर-ए-राह आइना लेकर

हमारे सामने आए मजाल किसकी है ....वाह! ग़ज़ब का शेर!

इस शानदार ग़ज़ल के शेर दर शेर दाद के साथ ढेर सारी बधाई क़ुबूल कीजिए सर. सादर.

Comment by Ajay Tiwari on January 17, 2019 at 5:13pm

आदरणीय समर साहब,

आपकी इस ग़ज़ल से दो चीजें सीखी जा सकती हैं :

1. बिना 132 शेर कहे भी किस तरह बेहतरीन ग़ज़ल कही जा सकती है.

2. उम्दा ग़ज़ल कहने के लिए ये ज़रूरी नहीं कि मिसरे में हर शब्द ऐसा हो कि पाठक को dictionary की शरण में जाना पड़े.

तू बेवफ़ा हमें कहता है,ये तो देख ज़रा > हमें तू बेवफ़ा कहता है,ये तो देख ज़रा ( सिर्फ एक सुझाव है इस्लाह नहीं ) 

बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है. हर तीर सही निशाने पर है. हार्दिक बधाई.

सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service