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दे गया दर्द कोई साथ निभाने वाला

2122 1122 1122 22

दे गया दर्द कोई साथ निभाने वाला ।
याद आएगा बहुत रूठ के जाने वाला ।।

जाने कैसा है हुनर ज़ख्म नया देता है ।
खूब शातिर है कोई तीर चलाने वाला ।।

उम्र पे ढल ही गयी मैकशी की बेताबी ।
अब तो मिलता ही नहीं पीने पिलाने वाला ।।

अब मुहब्बत पे यकीं कौन करेग़ा साहब ।
यार मिलता है यहां भूँख मिटाने वाला ।।

उसके चेहरे की ये खामोश अदा कहती है ।
कोई तूफ़ान बहुत जोर से आने वाला ।।

गम भी खाना है इबादत खुदा की दुनिया में ।
हार जाएगा कभी जुल्म को ढाने वाला ।।

हर कदम पर है यहां मौत का जलवा यारों ।
ढूढ़ लेता है मुझे रोज बचाने वाला ।।

दुश्मनी गर हो सलामत तो सुकूँ मिल जाए ।
लूट जाता है मुझे हाथ मिलाने वाला ।।

कुछ तबस्सुम से तबाही का इरादा लेकर ।
रोज मिलता है मिरे दिल को जलाने वाला ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित 

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 11:11am

उम्दा ग़ज़ल कही है आदरणीय त्रिपाठी जी...

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 21, 2018 at 7:27pm

आ0 कबीर सर सादर आभार । गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत से प्रेरित होकर  छठा शेर लिखा था । महत्व पूर्ण इस्लाह हेतु विशेष आभार । ग़ज़ल को ठीक करता हूँ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 21, 2018 at 7:24pm

आ0 नीलम उपाध्याय जी सादर आभार ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:18pm

आदरणीय नवीन मणि जी, नमस्कार।  बहुत ही उम्दा ग़ज़ल की प्रस्तुति । दिल से मुबारकबाद ।

Comment by Samar kabeer on June 20, 2018 at 12:25pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

तीसरे शैर का ऊला मिसरा शिल्प की दृष्टि से कमज़ोर है, बदलने का प्रयास करें ।

4थे के सानी में 'भूँख' को "भूख" कर लें ।

'कोई तूफ़ान बहुत ज़ोर से आने वाला'

इस मिसरे को यूँ कर लें तो भाव स्पष्ट हो जायेगा:-

'कोई तूफ़ाँ है बहुत ज़ोर से आने वाला'

छटे शैर का भाव ठीक नहीं,ज़ुल्म करने वाला और सहने वाला दोनों ही दोषी  होते हैं ।

Comment by Shyam Narain Verma on June 20, 2018 at 11:03am
उम्दा गज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद ....
Comment by gumnaam pithoragarhi on June 20, 2018 at 10:57am

वाह बहुत खूब,,,, अब मुहब्बत पे ,,,,वाह

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 19, 2018 at 10:13pm

आ0  तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 19, 2018 at 10:12pm

आ0 बसंत कुमार शर्मा जी सप्रेम आभार ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 19, 2018 at 9:50am

वाह बहुत खूबसूरत गजल हुई है आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

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