For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रेशमी जाले (लघुकथा)

"अरे पप्पा! यह तो आपकी प्रिय हीरोइन है न! मोबाइल के इस नये विज्ञापन में यह क्यों कह रही है कि 'पूरा भारत यूं घूम रहा है' !" - इतना कह कर 'बड़े से घेरे वाली नई मिनी फ्रॉक' पहने आठवीं कक्षा की छात्रा अपने युवा देशभक्त-नेता पिता का हाथ थाम उनके चारों तरफ़ चक्कर लगाने लगी!


"यह तो 'मोबाइल नेटवर्क' का विज्ञापन सा लग रहा है! अपने देश का 'व्यापारिक नेटवर्क' इस वैश्वीकरण में 'घूमने' से ही बेहतरीन हो रहा है न!" युवा पिता ने अपनी बेटी की फ्रॉक पर उभरी हुई जालीदार कढ़ाई-बुनाई आदि पर नज़रें दौड़ाते हुए कहा!


बेटी फ्रॉक कुछ ऊपर कर पिता के हाथ में टच करा कर बोली - "एकदम नये तरीक़े की इम्पोर्टिड नेट है! पड़ोस वाले अंकल को भी बहुत पसंद आई! आपको तो शौक़ है नहीं, उन्होंने तो कई फोटो और सेल्फ़ी भी लीं! ..... मम्मी भी वहां पास ही थीं न!"


पिताजी तब तक टेलीविजन चैनल पर आ रहे समाचारों में खो चुके थे।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 16, 2018 at 8:22am

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर विचार साझा करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  साहिब, जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब जनाब समर  कबीर साहिब, जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब तेज वीर सिंह साहिब,  जनाब विजय निकोरे साहिब मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा और मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 9, 2018 at 9:22pm

जनाब शेख़ शहज़ाद साहिब ,अच्छी लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by vijay nikore on May 9, 2018 at 8:43pm

आपकी लघु कथा में खासियत यह कि आप वर्तमान के संदर्भ में जो कह जाते हैं वह देर तक दिल और दिमाग में गूँजता रहता है। बहुत बधाई इस खूबसूरत लघुकथा के लिए, जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on May 8, 2018 at 2:51pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on May 8, 2018 at 1:32pm

आदरणीय सर जी,आभार,वर्तमान व्यवस्था पर अपनी पैनी द्रष्टि से कटाक्ष किया हैं.प्रस्तुत रचना के लियी बधाई.

Comment by Neelam Upadhyaya on May 8, 2018 at 12:52pm

आदरणीय शेख शहजाद उसमानी जी, नमसकर । आज कल के संदर्भ में बहुत ही सटीक लघुकथा । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 8, 2018 at 10:16am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन प्रस्तुति।आज की शासन प्रणाली पर उम्दा कटाक्ष।

Comment by नाथ सोनांचली on May 8, 2018 at 10:11am

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा, आज के वर्तमान सन्दर्भ में एकदम सटीक। आपकी पैनी निगाह को सलाम करता हूँ। बधाई स्वीकार कीजिये इस लघुकथा पर। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service