For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आलू सरीखे (लघुकथा)

भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थान के पास सड़क के किनारे दो पानी टिक्की के ठेले वाले सामने की साऊथ-इंडियन होटल में बढ़ती भीड़ से जलते हुए बातचीत में मशगूल थे।


"तू तो अच्छा मुंह चला लेता है! लम्बे भाषण भी दे सकता है! किसी बड़े राजनीतिक दल में शामिल हो जा, पता नहीं कब तेरे भी दिन फिर जायें!" ठेले में चार-पांच तरह के चटपटे पानी की बरनी संभालते पानी-टिक्की वाले ने दूसरे से कहा।


"ऐसी ही बात मैं तेरे लिए कहूं, तो? तू भी तो चतुराई से फूली हुई टिक्की में इतनी तरह के पानी पिला-पिला कर ग्राहकों के पेट और सेहत सही कराने के सपने दिखा कर उन्हें उल्लू बना देता है! तू क्यों न ज्वाइन कर लेता कोई बड़ी सी पार्टी?" उस सादा पानी-टिक्की वाले ने कुछ चिढ़ाते हुए पहले वाले से कहा।


" मैंने तो कुछ और ही सोच रखा है भाई!"


"क्या? बता ज़रा!"


"मेरा बड़ा पुत्तर पढ़ाई-लिखाई में बड़ा तेज़ है! सोच रहा हूं कि आगे पढ़ाने के बजाय 'पंडिताई' सिखवा दूं या 'साधू-संत' की दीक्षा दिलवा दूं! बिल्कुल नया गारंटिड चांस रहेगा पार्षद, विधायक या सांसद बनने का और मंत्री बनने का भी!" आंखों में चमक लाते हुए पहले वाले ने भीड़-भाड़ में ग्राहक तलाशने की कोशिश करते हुए कहा।


अपना ठेला तनिक खिसकाते हुए दूसरे साथी ने कहा- "हां, ये भी सही रहेगा। अपने असलम मियां को भी समझा देना, आगे देश में मज़े में रहना हो, तो संस्कृत सिखवा के अपने बेटे का भी चोला और झंडा बदल दे!"


"हां, लोकतांत्रिक पार्टी कहलाने के लिए ऐसे लोगों की भी मांग रहेगी न!" सादा पानी-टिक्की वाला यह कहते हुए ज़ल्दी-ज़ल्दी कुछ उबले आलू मसलने लगा।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 617

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 12, 2018 at 12:55pm

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर विचार साझा करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब समर कबीर साहिब, मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा और मुहतरमा राहिला साहिबा, जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब और जनाब विजय निकोरे साहिब।

Comment by babitagupta on May 10, 2018 at 6:08pm

आदरणीय सर जी,व्यंगात्मक भाषा शैली में देश की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर अच्छा कटाक्ष.प्रस्तुत रचना पर बधाई स्वीकार कीजिएगा.

Comment by vijay nikore on May 9, 2018 at 8:53pm

अच्छा संदेश देती इस लघु कथा के लिए मुबारकबाद । दिल कहता है आप ऐसे ही और लिखते रहें, भाई जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 9, 2018 at 8:41pm

जनाब शेख़ शहज़ाद साहिब , सीख देती उम्दा लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by Rahila on May 9, 2018 at 5:39pm

बहुत सटीक रचना, वर्तमान में देश कब हालात जिस तरह के हैं उसपर बहुत बढ़िया कटाक्ष। खूब बधाई 

Comment by Samar kabeer on May 9, 2018 at 3:18pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on May 9, 2018 at 8:10am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                                इशारों ही इशारों में व्यंजनामूलक शैली में वर्तमान राजनीति, धर्म, राजनेताओं पर अच्छा कटाक्ष किया । देश के आध्यात्मिक गुरू गंदी राजनीति की शरण में जाकर अपना बेड़ा गर्क कर रहे हैं ।इन पर विश्वास उठता जा रहा है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service