For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो सके तो वन बचा लो  -नवगीत

हो सके तो वन बचा लो  

 

दे रहे जीवन सभी को,

खेत, वन, उपवन सजा लो.

हैं जरूरी जिन्दगी को,

हो सके तो वन बचा लो.  

 

हो चुके हैं, मत करो इन,

पर्वतों को और नंगा.

ध्यान रखना है हमें अब, 

और मैली हो न गंगा,

 

धो चुके तन किन्तु मन का,

कलुष तो उसमें न डालो. ......हो सके तो वन बचा लो.

 

बात पानी की करें क्या,

रेत भी लूटी नदी की.

मीन अब इतिहास बनती,

दिख रही है नव सदी की.

 

मृत न झरने हों कहीं पर,

जो बचा है जल सँभालो.......हो सके तो वन बचा लो.

 

वृक्ष कोई भी प्रगति की,

राह का काँटा नहीं है.

सत्य यह है, दुख किसी ने,

पेड़ का बाँटा नहीं है.

 

बात तब है, पेड़ कोई,

एक काटो सौ लगा लो.......हो सके तो वन बचा लो.

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

बसंत कुमार शर्मा, जबलपुर 

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:55pm

ह्रदय से आभार आदरणीय Harash Mahajan  जी आपका , अभी ठीक करता हूँ गीत को 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:54pm

आदरणीय  Sheikh Shahzad Usmani जी आपका दिल से शुक्रिया हौसलाफजाई के लिए

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:53pm

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपका ह्रदय से आभार, आपके सुझाव  अनुकरणीय होते हैं ठीक करता हूँ , रचना को संबल मिला 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 8, 2018 at 12:50pm

 आदरणीय Mohammed Arif जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Harash Mahajan on April 8, 2018 at 11:55am

बहुत ही बढ़िया आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी ।

सुंदर सृजन ।

आदरणीय नीलेश जी सही कहा है सर ।

सादर ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2018 at 11:39am

पर्यावरण दिवस के पूर्व माह और ग्रीष्म ऋतु में उपयोगी बेहतरीन  प्रेरक रचना। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 8, 2018 at 10:50am

आ. बसंत जी,
समसामयिक चिन्तन को उकेरता उत्तम नवगीत प्रस्तुत किया है  आपने 
बहुत बहुत बधाई ..
यदि अंतरे के बाद मुखड़े की अंतिम तुकांत पंक्ति और ऐड करेंगे तो पढने में अधिक रस आएगा..
सादर 

Comment by Mohammed Arif on April 8, 2018 at 7:39am

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,

                                              पर्यावरणीय संचेतना को समर्पित बेहतरीन गीत की पेशकश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service