For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वप्न मनभावन हृदय में,

रात-दिन पलता रहा.

गीत पग-पग साथ मेरे,

हर समय चलता रहा

 

पीर लिख कर कागजों में

रोज दिल अपना दुखाया.

प्रेम के दो शब्द लिखकर,

नीर आँखों से बहाया.

 

पर जमाने को निरंतर,

कृत्य यह खलता रहा.

 

धूप थी तीखी कभी फिर,

खुशनुमा मौसम हुआ.

साथ खुशियों के गमों का,

रोज ही संगम हुआ.

 

दर्द सारा प्रीत बनकर,  

गीत में ढलता रहा.

 

निज जनों से चोट खाकर,

मन कभी घायल हुआ.

फिर किसी का साथ पाकर,

प्यार में पागल हुआ.

 

आस का दीपक हमेशा,

द्वार पर जलता रहा.

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 16, 2018 at 4:07pm

आदरणीय Samar kabeer जी आपके स्नेह को सादर नमन, रचना सार्थक हुई.

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 16, 2018 at 4:06pm

आदरणीय Neelam Upadhyaya जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 16, 2018 at 4:05pm

आदरणीय Shyam Narain Verma  जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Samar kabeer on April 10, 2018 at 6:10pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत उम्दा नवगीत रचा आपने,मज़ा आ गया,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 10, 2018 at 11:30am

आदरणीय बसंत कुमार जी बढ़िया प्रस्तुति । बधाई ।

 

पीर लिख कर कागजों में

रोज दिल अपना दुखाया.

प्रेम के दो शब्द लिखकर,

नीर आँखों से बहाया.

 

पर जमाने को निरंतर,

कृत्य यह खलता रहा.

Comment by Shyam Narain Verma on April 10, 2018 at 10:28am
बहुत सुन्दर मनभावन गीत .. बधाई  ..सादर 
Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 9, 2018 at 5:28pm

आदरणीय  TEJ VEER SINGH  जी ह्रदय से आभार आपका 

Comment by TEJ VEER SINGH on April 9, 2018 at 1:27pm

हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी।बेहतरीन गीत।

निज जनों से चोट खाकर,

मन कभी घायल हुआ.

फिर किसी का साथ पाकर,

प्यार में पागल हुआ.

 

आस का दीपक हमेशा,

द्वार पर जलता रहा.

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 9, 2018 at 12:54pm

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपका बेहद शुक्रिया, आपका सुझाव बहुत अच्छा लगा, यूँ ही मार्गदर्शन करते रहें, सादर नमन आपको 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 9, 2018 at 12:15pm

आ. बसन्त जी,
फिर एक बहुत उम्दा गीत पटल पर प्रस्तुत किया  आपने 
बहुत बहुत बधाई ..
मुखड़े  पग पग आने के बाद हर  समय खटक रहा है 
.

गीत पग-पग हाथ मेरा 

थाम कर चलता रहा
.

आस का दीपक सदा ही, यहाँ ही भर्ती का है ..
सदा ही को हमेशा किया जा सकता है तो देखिएगा 
.
प्रस्तुति पर बधाई 
सादर 

 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service