For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल " ग़मो का इक समंदर टूटता है।"

1222 1222 122

ग़मो का इक समंदर टूटता है।
किसी का भी अगर घर टूटता है।।

मिले धोख़े पे धोख़ा जब किसी को।
तो वो अंदर ही अंदर टूटता है।।

सँभलता मुश्किलों से आदमी फिर।
भरोसा जब कहीं पर टूटता है।।

करो कोशिश भले तुम लाख यारो।
न आईने से पत्थर टूटता है।।

उजड़ते है परिंदों के कई घर।
कभी कोई भी खण्डहर टूटता है।।

यही तक़दीर में शायद लिखा हो।
जो देखूं ख़्वाब अक्सर टूटता है।।

ग़ज़ल को जब नहीं मिलती तवज़्ज़ो।
तभी कोई सुख़नवर टूटता है।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on February 4, 2018 at 12:40pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, आदरणीय बृजेश कुमार जी, आदरणीय शेेेख शहजाद उस्मानी, आदरणीय सालिम रााजा रेवा जी, आदरणीय  विजय निकोर जी, आदरणीय सतविंद्र  भाई जी, आदरणीय अमोदजी, आदरणीय महेंद्र कुमार जी और आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी गज़ल में शिरकत करने और हौसला   अफ़जाई के लिए बहुत बहुुुत  आभार  जी। 

सभी को सादर नमन जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2018 at 8:27am

भाई सुरेन्द्र जी , ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 26, 2018 at 4:33pm

वाह आदरणीय क्या खूब ग़ज़ल कही...शानदार

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 26, 2018 at 6:00am

सच्ची बात। बहुत बढ़िया पेशकश के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी।

Comment by vijay nikore on January 25, 2018 at 1:21pm

गज़ल में भाव बहुत अच्छे चुने हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 24, 2018 at 10:42pm
भाई सुरेन्द्र जी ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई.
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 24, 2018 at 9:00pm

उम्दा अशआर कहे हैं। हार्दिक बधाई आ सुरेन्द्र भाई

Comment by amod shrivastav (bindouri) on January 24, 2018 at 8:45pm

Wahhh बहुत उम्दा भाई। सादर बधाई

Comment by Mahendra Kumar on January 24, 2018 at 7:22pm

बढ़िया ग़ज़ल कही है आ. सुरेन्द्र जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on January 24, 2018 at 5:03pm

आदरणीय सुरेंद्र जी आदाब,

               बहुत  दर्द उकेरा आपने अच्छे अश'आरों में । हार्दिक  बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service