For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आईने में सिंगार कौन करे (फिलबदीह ग़ज़ल 'राज')

2122     1212  22

.

दिल को फिर बेकरार कौन करे

आपका ऐतबार कौन करे

 

कत्ल का दिन अगर मुकर्रर है

 ज़िन्दगानी से प्यार कौन करे

 

तीर मुड़ जाएगा मेरी जानिब

 जानकर ये शिकार कौन करे

 

मैं शिनावर हूँ तैर जाऊँगा

नाव का इंतजार कौन करे

 

उनकी आँखे मेरे लिये काफी

 आईने में सिंगार कौन करे

 

जानकर ये मेरा कफस इतना

जिस्म को हद से पार कौन करे

 

होगा मेरा तो लौट आयेगा

मिन्नते बार बार कौन करे

 

जब नजर से ही काम चल जाए

तीर को  दागदार कौन करे

 

इश्क की पुरखतर सदा  राहें

हैं मगर  ये विचार कौन करे

 

चाँद तारों की आरजू है तुम्हें  

काम ये ख़ाकसार  कौन करे

 

है मुख़ालिफ़ भले लहू अपना   

रब्त को दरकिनार कौन करे  

.

-----मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 2191

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2017 at 9:35am

आदरणीया राजेश जी , खूब सूरत गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ । बस - सिंगार ( शृंगार ) को 221 मे बान्धना चाहिये था शायद ।

Comment by नाथ सोनांचली on September 27, 2017 at 8:29am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, बेहतरीन ग़ज़ल कहीं आपने, और इस ग़ज़ल पर आद0 समर साहब की इस्लाह, सब पढ़कर बहुत कुछ सीखने को मिला, बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by vijay nikore on September 27, 2017 at 5:40am

//है मुख़ालिफ़ भले लहू अपना
रब्त को दरकिनार कौन करे //

सारी गज़ल ही दिलकश है, बहुत-बहुत बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 26, 2017 at 10:46pm
बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीया..सादर
Comment by रामबली गुप्ता on September 26, 2017 at 9:50pm
वाह वाह आदरणीया बहन राजेश कुमारी जी। बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने। दिल से बधाई स्वीकारें।सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2017 at 1:37pm

आदरणीया राजेश जी आपकी यह ग़ज़ल मुझे बेहद पसंद आई . गुनगुनाने में भी बढ़िया लगा / काबिले तारीफ इस ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2017 at 11:42am

आद० निलेश भैया ग़ज़ल पर शिरकत और सुखन नवाजी का तहे दिल से शुक्रिया .

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 26, 2017 at 11:36am

बहुत खूब आ. राजेश दीदी 
बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2017 at 11:35am

बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी 

Comment by Samar kabeer on September 26, 2017 at 11:28am
'जानकर भी विचार कौन करे'
ये मिसरा पसन्द आया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
4 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
6 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service