For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नई सदी के मानव - (कविता) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

इक्कीसवीं सदी के मानव तुम कहां जा रहे हो?
दानव बहुरूपिये ही यूं बने जा रहे हो!
पठन-पाठन, अध्ययन ऐसा क्यों किये जा रहे हो?
बस कठपुतली ही यूं बने जा रहे हो!
साजो-सामान, भोग-विलास में क्यों डूबे जा रहे हो?
चोलों में, बोलों से भोलों को ठगते जा रहे हो!
पतन की गर्त में गोते लगा कर क्यों खोते जा रहे हो?
स्वर्ण से, रजत, ताम्र, कांस्य, कलयुग से नीचे कहीं जा रहे हो!

(मौलिक व अप्रकाशित)
(२७-०८-२०१७)

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 5, 2017 at 6:21pm
रचना पर समय देकर हौसला अफजाई और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय रामबली गुप्ता जी व आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब।
Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2017 at 7:07am
आदरणीय शाहजाद उस्मानी साहब अव्वल कविता पर प्रयास के लिए सादर बधाई स्वीकारें। सिर्फ भाव की बात करें तो कविता बहुत ही सुंदर हुई है। किंतु यदि शिल्प की बात करें तो यह रचना मुझे कविता के सापेक्ष गद्य अधिक लगी। कविता में सिर्फ तुकान्तता का निर्वहन ख्र लेने मात्र से काम नही चलता। गेयता और प्रवाह भी महत्वपूर्ण होते हैं। अतः इस ओर भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 1, 2017 at 6:31am
हार्दिक बधाई ..
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 29, 2017 at 12:23am
रचना पर अपनी राय से अवगत कराने और प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब। अभी इतना समय नहीं दे पा रहा हूं, इसलिए छंद विधान ग़ज़ल सीखने का अभ्यास नहीं कर पा रहा हूं। सीखना अवश्य है।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 29, 2017 at 12:21am
अचानक लिखी गई इन चंद पंक्तियों को पसंद करने, मुझे प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब, जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहब, जनाब indravidyavachaspatitiwari जी, जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज', आदरणीय कल्पना भट्ट जी।
Comment by Samar kabeer on August 28, 2017 at 10:04pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,कविता का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन ये छन्द में होती तो बहतर लगती,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 28, 2017 at 6:09pm

चिंतन अच्छा हुआ है आदरणीय शहजाद भाई | हार्दिक बधाई |

Comment by indravidyavachaspatitiwari on August 28, 2017 at 6:02pm

कल्पना अच्छी है मानव दुर्दशा की । अब भी चेत जाय तो क्या कहना। अच्छी रचना के बधाई शेख रहमान उस्मानी साहब।

Comment by नाथ सोनांचली on August 28, 2017 at 1:49pm
आद0 शहजाद उस्मानी साहब, गहरी चिंतन को दर्शाती उम्दा सृजन, बधाई
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 28, 2017 at 11:45am
चिंतन तो अच्छा है आदरणीय..लेकिन..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA आदाब ग़ज़ल के उम्द: प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मुश्किलों की आँधी…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service