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2122 1212 22/112

इस तरह हमने दिन गुज़ारा है
बारहा खुद को ही पुकारा है

संग से क्या डरेगा वो जिसने
कू ए क़ातिल में दिन ग़ुज़ारा है

ज़र्द पत्ता हूँ मैं खिजाँ ने मुझे
पेड़ की शाख से उतारा है

कम है सोचो तो काइनात भी और
जीना हो तो जहान सारा है

जज़्ब कर दर्द मुस्कुराहट में
हमने चेहरा बहुत सँवारा है

हमपे कुछ इख़्तियार तो रखते
जो हमारा है वो तुम्हारा है

बाँट सकते हो तुम भी अपने ग़म
“जो तुम्हारा है वो हमारा है”

-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 6, 2017 at 5:40pm

आ. सौरभ पाण्डेय जी सर नवाज़िशों के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया, मेरा जो भी है ओबीओ से ही अर्जित किया हुआ है, आप सभी के साथ के कारण कुछ कहने का हौसला मिलता है।


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Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2017 at 11:32pm

शिज्जू भाई ऊपरवाले ने आपके शब्दों को ताक़त दी है. वैसे मतले पर और समय देना था भी. बात बनते-बनते रह-सी गयी लग रही है. लेकिन ग़ज़ल के अन्य शेर तो कमाल के हुए हैं. विशेषकर .. ज़र्द पत्ता हूँ मैं खिजाँ ने मुझे / पेड़ की शाख से उतारा है..... क्या बात है शिज्जू भाई ! कमाल है जी, कमाल ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 4, 2017 at 1:54pm

दाद ओ तहसीन के लिए मैं तह ए दिल से आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ

Comment by जयनित कुमार मेहता on February 3, 2017 at 8:58pm
आदरणीय शिज्जु जी, उम्दा ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई आपको।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2017 at 10:23am

आ. शिज्जु भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by दिनेश कुमार on February 2, 2017 at 9:39pm
ज़र्द पत्ता हूँ मैं खिजाँ ने मुझे
पेड़ की शाख से उतारा है...

वाह वाह आ शिज्जु भाई। बेहतरीन ग़ज़ल के लिय दिली मुबारकबाद।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 12:35pm

आ. भाई शिज्जु जी सूंदर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई .

Comment by Samar kabeer on February 1, 2017 at 9:17pm
जनाब शिज्जु शकूर साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 1, 2017 at 8:57pm
वाह क्या कहने..बेहतरीन
Comment by Gurpreet Singh jammu on February 1, 2017 at 10:40am
आ. शिज्जू जी..शुक्रिया...इन शब्दों के अर्थ पता चलने से शेअरों के अर्थ स्पष्ट हुए...ये अशआर भी बाकी की तरह बहुत प्रभावशाली है..बहुत बधाई आपको

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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