For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढलक गया .... (क्षणिकाएं )

ढलक गया .... (क्षणिकाएं )
१.
बंद था
एक लम्हा
पलकों की मुट्ठी में
सह न सका
दस्तक
याद की
और
ढलक गया
हौले से
.... ... ... ... ... ...
२.
था
एक ख़्वाब
जो
हकीकत से पहले
जाने कब
हकीकत में
ख्वाब हो गया
.... .... .... .... .... ....
३.
वो
ज़िदंगी का
बीता कल था

जिया मरके
जिसमें
वो सुहाना पल था

वो पल
सुख का
रूह से 
बतियाता रहा
मारने के बाद भी

सुशील सरना 

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 16, 2016 at 8:53pm

आदरणीय अशोक रक्ताले जी प्रस्तुति में निहित भावों को अपनी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया से सुशोभित करने का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 16, 2016 at 8:52pm

आदरणीया राजेश कुमारी ही क्षणिकाओं के मर्म को अपनी सहमति देती प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 15, 2016 at 11:11pm

वाह !  बहुत सुंदर क्षणिकाएं हैं आदरणीय सुशील सरना साहब. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 15, 2016 at 10:52pm

वाह्ह्ह  बेहतरीन क्षणिकाएं बहुत बहुत बधाई आद० सुशील सरना जी |

Comment by Sushil Sarna on September 15, 2016 at 3:37pm

आदरणीय   सुरेश कुमार 'कल्याण'  जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 14, 2016 at 8:13pm
आदरणीय श्री सुशील सरना जी बहुत ही सुन्दर क्षणिकाओं के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on September 14, 2016 at 7:28pm

आदरणीय सौरभ सर आपकी मधुर प्रतिक्रिया प्रस्तुति को नसीमे सहर सी आत्मविभोर कर गयी। आपका तहे दिल से शुक्रिया सर। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 14, 2016 at 4:29pm

आदरणीय सुशील सरनजी, आपकी क्षणिकाएँ प्रभावी हैं, हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Sushil Sarna on September 14, 2016 at 4:06pm

आदरणीय  सुनील प्रसाद(शाहाबादी)  जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई।

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on September 14, 2016 at 2:58pm
बहुत सुंदर क्षणिकाएँ आदरणीय बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service