For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या है जीवन, आज समझने मैं आया हूँ

कठिन समय का दर्द सदा ही पाया मैंने

बस आशा का गीत   हमेशा गाया मैंने

जब तुम बनते धूप, बना तब मैं साया हूँ

 

जन्म काल से सत्य एक जो जुड़ा हुआ है

मानव की उफ़ जात बनी ये आदत कैसी

सदा ज्ञात यह बात मगर क्यों भूले जैसी

वहीँ शून्य आकाश एक पथ मुड़ा हुआ है

 

आया है जो आज उसे निश्चित है जाना

इस माटी का मोह, रहे क्यों साँझ सकारे?

इस माटी का रूप बदल जायेगा प्यारे 

फिर भी रे इंसान सत्य को कब पहचाना

 

कठिनाई पर व्यर्थ मनुज तेरा रोना है

जीवन का उत्थान कर्म पथ से होना है

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1241

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on May 5, 2016 at 2:32pm

very nice work 

Comment by vijay nikore on April 26, 2016 at 2:08pm

 प्रथम प्रयास ही इतना कामयाब हुआ है तो आगे क्या होगा ! हार्दिक बधाई।

Comment by Ravi Shukla on April 24, 2016 at 3:55pm
आदरणीय मिथिलेश जी इस विधा के बारे में जानकारी नही है किन्तु भाव तक पंहुच रहे है । सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई आपको ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2016 at 2:28pm

आदरणीय मिथिलेश जी ..सोनेट के बिषय में जानकारी नहीं है लेकिन आपकी रचना को पढ़कर समझ आया ..इस उम्दा रचना के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 5, 2016 at 10:40pm
 खूबसूरत रचना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 23, 2016 at 8:13pm

वाह  वाह  अतीव सुन्दर प्रयास सानेट में रोला का छोंका वाह्ह्ह्हह  दिल से बधाई लीजिये भैया इस शानदार प्रस्तुति पर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 23, 2016 at 4:59pm

आ० मिथिलेश जी , सानेट की  २४ मात्राएँ  रोला के ११,१३ में खूबी छजती है . मैंने रोला में एक प्रयोग भी किया है  मैंने विषम चरण को भी तुकांत रखने की कोशिश की है  इससे रोला का सौन्दर्य बढ़ जाता है .पर सानेट में  ऐसा संभव नहीं है . आपका प्रथम प्रयास ही बेजोड़ है . सादर . 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 23, 2016 at 12:12pm

शिल्प  विधा  की  तो  मुझे  जानकारी  नहीं | 11-13  मात्राओं  में  रचित  रचना के  सुंदर भावों के लिए  बधाई  

कठिनाई पर व्यर्थ मनुज तेरा रोना है

जीवन का उत्थान कर्म पथ से होना है | --- यथार्थ  भावों  की अनुपम प्रस्तुति | वाह  !

 

Comment by narendrasinh chauhan on March 23, 2016 at 12:07pm
नव प्रयास एवं सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई।
Comment by Rahila on March 23, 2016 at 11:42am
सभी उलझे है जीवन की उलझन में,सुन्दर रचना प्रस्तुत की आद. मिथलेश सर जी! काफी समय से आपकी रचनाओं की प्रतिक्षा में थी।बहुत बधाई रचना के लिये ।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service