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आज के अखबार में छपी एक छोटी सी खबर ने उसे बेचैन कर रखा था| खबर थी कि ज़ल्लाद नहीं होने से कई खूंख्वार सज़ायाफ्ता फाँसी पर नहीं चढ़ाये जा रहे| उसे पिछली कई घटनाएँ याद आने लगीं, उसके शहर में घटे उस जघन्य बलात्कार के अपराध में मौत की सजा पाये अपराधी अभी भी कालकोठरी में पड़े थे, कुछ आतंकवादी भी जिन्हें बहुत पहले ही इस दुनियाँ से चले जाना चाहिए था, वो भी किसी अप्रत्याशित रिहाई की आस लगाये पड़े हुए थे|
अचानक उसे उस ज़ल्लाद का चैहरा भी याद आ गया जिसे उसने कभी अखबार में देखा था और उसके चेहरे को देखकर घरवालों की घृणित प्रतिक्रिया भी याद आ गयी|
स्नातक पास वो आज भी नौकरी के लिए तमाम जगह प्रयासरत था लेकिन शायद सिफारिश की कमी उसके आड़े आ रही थी| वो फैसला नहीं कर पा रहा था कि क्या करे, तभी एक और खबर पर उसकी नज़र पड़ी " पैसे के प्रलोभन से तमाम नौजवान आतंकवादी गतिविधियों में शामिल", और उसके अंदर चलता द्वन्द समाप्त हो गया| जब नौजवान पैसे के लिए ऐसे जघन्य कामों में शामिल होने से नहीं कतरा रहे तो ऐसे खूंख्वार अपराधियों को मौत के घाट उतारने के लिए अगर उसे कुछ पैसे मिलते हैं तो इसमें गलत क्या है|
अब उसे उस जल्लाद का चेहरा बेहद धवल नज़र आ रहा था और उसने घरवालों की प्रतिक्रिया को नकार दिया था|
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on January 18, 2016 at 9:48pm

बहुत बहुत आभार आ प्रतिभा पाण्डेय जी 

Comment by pratibha pande on January 18, 2016 at 9:42pm

कसे हुए शिल्प के साथ बेरोजगारी विषय को अलग ही रंग में प्रस्तुत करती इस सशक्त कथा के लिए बधाई आदरणीय विनय कुमार जी  , 

Comment by विनय कुमार on January 15, 2016 at 7:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय तेज वीर जी, सतविंदर कुमार जी और शेख शहज़ाद साहब 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 15, 2016 at 7:42pm
ज्वलंत मुद्दे उठाती बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय विनय कुमार सिंह जी।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 15, 2016 at 6:34pm
लाज़वाब!बेहतरीन लघुकथा!बधाई आदरणीय विनय जी
Comment by TEJ VEER SINGH on January 15, 2016 at 4:55pm

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी!बेहतरीन लघुकथा!

Comment by विनय कुमार on January 15, 2016 at 12:38pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब और फूल सिंह साहब

Comment by PHOOL SINGH on January 15, 2016 at 10:16am

अति सुन्दर रचना ........बधाई.....हो

Comment by Samar kabeer on January 14, 2016 at 10:23pm
जनाब विनय कुमार सिंह जी,आदाब,आपकी लघुकथा पसंद आई,बधाई स्वीकार करें।

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