For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मील के पत्थर ....

मील के पत्थर....

पत्थर पर तो हर मौसम
बेअसर हुआ करता है
दर्द होता है उसको
जिसका सफ़र हुआ करता है
सिर्फ दूरियां ही बताता है
निर्मोही मील का पत्थर
इस बेमुरव्वत पे कहाँ
अश्कों का असर हुआ करता है
हर मोड़ पे मुहब्बत को
मंजिल करीब लगती है
हर मील के पत्थर पे
इक फरेब हुआ करता है
कहकहे लगता है
दिल-ऐ-नादाँ की नादानी पर
हर अधूरे अरमान की
ये तकदीर हुआ करता है
कितनी सिसकियों से
ये रूबरू होता है मगर
पत्थर तो पत्थर है
ये अपनी तासीर से
मजबूर हुआ करता है

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2015 at 9:36pm

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH  जी आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 12, 2015 at 8:31pm

पत्थर तो पत्थर है 
ये अपनी तासीर से 
मजबूर हुआ करता है

मगर आपने भी सुना होगा-

कोई पत्थर की मूरत है

किसी पत्थर में मूरत है

पत्थर भी जल की धारा से चोट खाते खाते रेट में तब्दील हो जाता है और मील का पत्थर मंजिल की दूरी तो बताते हैं.

सादर!... नजरिया है अपना देखने का और कहने का, आदरणीय सरना जी!

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2015 at 3:59pm

आदरणीय  laxman dhami  जी आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2015 at 3:58pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी   जी आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2015 at 3:58pm

आदरणीय  pratibha pande   जी आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2015 at 3:58pm

आदरणीय Harash Mahajan  जी आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2015 at 3:57pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर   जी आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2015 at 11:19am

आ० भाई सुशील जी , भावपूर्ण रचना हुई है हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2015 at 2:46pm

पत्थर अंततः पत्थर ही होता है , लाजवाब बात कही आदरणीय सुशील भाई ! हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by pratibha pande on August 11, 2015 at 9:57am
हर मील के पत्थर पे एक फरेब हुआ करता है , बहुत सुन्दर रचना है , बधाई आ० सुशील सरना जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service