For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रद्दी (लघुकथा)/रवि प्रभाकर

‘इन किताबों की जिल्दें उखाड़ कर गत्ता अलग करो, और इन पैक की हुई किताबों को भी खोलो।‘ कबाड़ की दुकान का मालिक अपने नौकरों को आदेश दे रहा था
‘ये इतनी सारी रद्दी कहाँ से ले आए ?’ एक नौकर ने पूछा
‘वो जो पीछे लाल कोठी वाले साहिब हैं न, जो विश्वविद्यालय में साहित्य विभाग के अध्यक्ष हैं, उन्हीं के घर से लाया हूँ।’
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:58pm

बेहतरीन कथा | बहुत बहुत बधाई आदरणीय सर |

Comment by kanta roy on February 4, 2016 at 11:33pm

" पैक की हुई किताबों को भी खोलो "-----वाकई में पढ़कर मन वितृष्णा से भर गया।  दिल को विहल करती बेहद शानदार लघुकथा बन पड़ी है ये आपकी आदरणीय रवि जी।  

जाने कैसे वंचित रह गयी इन सार्थक रचनाओं को पढ़ने से। अब ढूंढ -ढूंढ कर सारे पढूंगी।  सादर।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2015 at 9:43pm

ओह! अपने पद की गरिमा के प्रति गंभीरता, उसकी पात्रता व दायित्व का बोध ही न होना ...

ऐसे उदाहरणों का समाज में व्याप्त होना दुखद है.... आपने बहुत सटीकता से उनके कृत्यों के ज़रिये इस चिंतनीय बिंदु को प्रस्तुत किया है 

इस सफल-सटीक  लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ० रवि प्रभाकर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 6:59pm

भाई रविजी, एक सत्य घटना को कितनी गहराई से आत्मसात कर आपने तत्सम्बन्धी भावों को शाब्दिक कर उन्हें एक समृद्ध रचना का स्वरूप दे दिया ! इसे कहते हैं पारखी दृष्टि का कमाल ! हार्दिक बधाइयाँ, भाई..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 11:02am

// जो विश्वविद्यालय में साहित्य विभाग के अध्यक्ष हैं // ..... सिस्टम पर एक कमाल की चोट करता और कडवा सच दिखाती एक लाजवाब कथा!

 आदरणीय रवि जी मेरी और से सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करे.

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 28, 2015 at 10:47am

कमाल का पंच मारा है आदरणीय रवि जी. आपकी लघुकथाओं में अंतिम पंक्ति बहुत गहरा घाव दे जाती है, बहुत-बहुत बधाई आपको ,आदरणीय रवि जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 27, 2015 at 10:42pm

बहुत बेहतरीन लघुकथा 

बहुत बधाई आदरणीय रवि जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 27, 2015 at 8:12pm

बेहतरीन आदरणीय रवि प्रभाकर सर बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 27, 2015 at 11:37am

अति सुन्दर   ! बधाई प्रभाकर जी  .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 27, 2015 at 10:52am

क्या बात है आ० ऐसी लघुकथाए तो आप ही कह सकते है!बेहतरीन!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
5 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
46 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
9 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service