For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सेवानिवृत्ति (लघुकथा)/ रवि प्रभाकर

‘अरे बहू ! चाय नहीं लाई अभी तक, और अखबार कहाँ है, मेरा शेव का सामान भी नज़र नहीं आ रहा।

‘बाबू जी, पहले बच्चों को तैयार करके स्कूल भेज दूँ फिर आपके लिए चाय बनाती हूँ। अखबार तो अभी मुन्नी के पापा पढ़ रहें है आप बाद में आराम से पढ़ लेना। और अब आपको हर रोज़ दाढ़ी बनाने की क्या ज़रूरत ही ? आपको अब कौन सा दफ्तर जाना है।’

.

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1058

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2016 at 6:05pm

आदरणीय रवि सर आपकी रचना सच्चाई बयाँ कर रही है हालाँकि मेरे रिटायर होने में समय है:-) लेकिन तकलीफ तो समझ में आती है, बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:56pm

बढ़िया कथा | हार्दिक बधाई आदरणीय |

Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 10:03pm
सेवा निवृत्ती और अकारथ जीवन जीने का एहसास । कहते है कि जब तक काम करते रहते है जिंदगी से भरपूर रहते है । तमाम उम्र नौकरीपेशा लोग सपना देखते है इस आराम की जिंदगी का लेकिन अक्सर ये मृगतृष्णा ही साबित होती है । सच तो है कि रिटायरमेंट के बाद अचानक ही घर का प्रथम व्यक्ति दोयम या .... श्रेणी में आ जाया करता है । इसलिए जब तक जीवन स्वंय ना रिटायर कर दे हमें रिटायरमेंट का ख्वाब नहीं देखना चाहिए । बेहद गहरे भाव है इन चंद पंक्तियों में ..... बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय रवि जी इस सार्थक लघुकथा के लिए ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2015 at 6:25pm

प्रिय अनुज रवि , क्या बात है ! सेवानिवृति के बाद की अपनी अलग प्रकार की तकलीफें होतीं है , आपने सच बात कही है । मै भी सेवानिवृत हूँ , अच्छे से समझ सक रहा हूँ । कथा के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 12, 2015 at 10:00pm
आदरणीय रवि प्रभाकर जी शीर्षक सेवानिवृति को सार्थक करती और उसके प्रभाव को साक्षात दिखाती सुन्दर कथा। सादर बधाई स्वीकार करे।
Comment by विनय कुमार on July 12, 2015 at 9:54pm

बहुत बढ़िया लघुकथा , एकदम सधे शब्दों में एक सेवानिवृत्त व्यक्ति की स्थिति बतादी आपने । लेकिन इसका शीर्षक कुछ और रखना था क्योंकि शीर्षक पढ़ने के बाद पहली ही पंक्ति में कथा समझ में आ गयी थी । बधाई आदरणीय इस लघुकथा के लिए..

Comment by Omprakash Kshatriya on July 12, 2015 at 6:21pm
आदरणीय Ravi Prabhakar जी
सेवा निवर्ीत व्यक्ति की दशा को व्यक्त करती लघुकथा । बधाई आप को ।
Comment by MAHIMA SHREE on July 12, 2015 at 5:52pm

बहुत सही चित्रांकन ...बधाई स्वीकार करें..

Comment by savitamishra on July 12, 2015 at 5:44pm

तीनों चीजे एक साथ चाहिए ..बढ़िया कथा ..सादर नमस्ते


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 12, 2015 at 1:48pm

आदरणीय रवि जी सेवानिवृत्त की स्थिति को रेखांकित करने में सफल रचना की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service