For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने
तेरी तस्वीर तसव्वुर से बनाई मैंने

ख़ाक पड़ जाएगी कितने ही हसीं चहरों पर
आईने से जो कभी गर्द हटाई मैंने

मुझको पाबंदियाँ ओरों की गवारा ही नहीं
ख़ुद ही अपने लिये ज़ंजीर बनाई मैंने

अपनी ग़ज़लों से संवारूँगा ये बज़्म-ए-हस्ती
उम्र सारी इसी चक्कर में गँवाई मैंने

अर्श हिलता है ,ज़मीं काँपने लगती है,यही
आह-ए-मज़लूम की तासीर बताई मैंने

वो भी बैज़ार नज़र आने लगे अब तो "समर"
छोड़ दी जिनके लिये सारी ख़ुदाई मैंने

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1095

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on May 18, 2015 at 11:30pm

आदरणीय  समर  साहब  , कसम  से  मुझे  यह  विधा बहुत  प्यारी  लगती है , और  आप  , मिथिलेश भाई , निलेश जी , शिज्जू  सर , और  खुर्शीद  भाई  इसके  बड़े  जानकार  , सच में मन  करता है  कभी  इस पर  सब  बैठें और  मैं सीख  लूं  !  बहरहाल आपको  इस  रचना  पर  बहुत - बहुत  बधाई  ! सादर  

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने
तेरी तस्वीर तसव्वुर से बनाई मैंने

ख़ाक पड़ जाएगी कितने ही हसीं चहरों पर
आईने से जो कभी गर्द हटाई मैंने

मुझको पाबंदियाँ ओरों की गवारा ही नहीं
ख़ुद ही अपने लिये ज़ंजीर बनाई मैंने


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 18, 2015 at 10:55pm

आदरणीय समर कबीर जी बहुत ही बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है 

शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 18, 2015 at 11:10am

आदरणीय समर भाई , किसी एक दो  शे र की क्या बात , पूरी गज़ल मे आपकी उस्तादी की छाप है , जितनी चाहें आप बधाइयाँ हाज़िर है

आपको हृदय बधाइयाँ ॥

Comment by Shyam Narain Verma on May 18, 2015 at 10:19am
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को "
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 18, 2015 at 8:13am

वाह वाह ...हर शेर ग़जब ....बधाई 

Comment by दिनेश कुमार on May 17, 2015 at 9:41pm
वाह वाह वाह ..!! क्या ग़ज़ल हुई है सर । ढेरों दाद व मुबारकबाद। उस्तादाना ग़ज़ल।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 17, 2015 at 5:47pm

आहा ...वाह वाह ..क्या ज़िन्दाबाद ग़ज़ल हुई है ..बहुत बहुत बधाई 

Comment by मनोज अहसास on May 17, 2015 at 4:36pm
आदाब सर
बहुत खूबसूरत तस्वीर की बधाई
सादर
Comment by Sushil Sarna on May 17, 2015 at 2:30pm

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने

तेरी तस्वीर तसव्वुर से बनाई मैंने


ख़ाक पड़ जाएगी कितने ही हसीं चहरों पर

आईने से जो कभी गर्द हटाई मैंने


वाह आदरणीय … कायल हो गए आपकी कलमगिरी के … क्या कहें और कैसे कहें आपकी तारीफ़ में … बहरहाल दिली दाद कबूल फरमाएं सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service