For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-नूर ज़ुल्फों को जंजीर लिखेगा,

22/22/22/22 (सभी संभावित कॉम्बिनेशन्स)
ज़ुल्फों को जंजीर लिखेगा, 
तो कैसे तकदीर लिखेगा.
.

जंग पे जाता हुआ सिपाही,
हुस्न नहीं शमशीर लिखेगा.
.

राज सभा में मर्द थे कितने,  
पांचाली का चीर लिखेगा. 
.

ईमां आज बिका है उसका,
अब वो छाछ को खीर लिखेगा.
.

कोई राँझा अपनें खूँ से, 
जब भी लिखेगा, हीर लिखेगा.

.

शेर कहे हैं जिसने कुल दो,
वो भी खुद को मीर लिखेगा.
.

नहीं जलेगा वो ख़त तुझसे, 
जो आँखों का नीर लिखेगा. 
.

‘नूर’ की बातें नूर ही समझे,
कब्र को भी जागीर लिखेगा.  
.
नूर 
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 936

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on May 1, 2015 at 4:37pm
सादर धन्यवाद् सर बड़ी कृपा की आपने

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 1, 2015 at 3:34pm
आदरणीय नीलेश जी बेमिसाल ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2015 at 3:33pm

आ. मनोज कुमार अहसास जी ..इस २२२ मात्रा वाली बहर में २२२ को कहीं भी ११२२, १२१२, २२११, २१२१ आदि लेने की छूट है ..उसी सन्दर्भ में in कॉम्बिनेशन्स का ज़िक्र किया है 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2015 at 3:17pm

आप सब की मुहब्बतों का शुक्रिया. कल सप्ताहांत के चलते बहुत व्यस्त रहा इसलिए उपस्थित न हो सका. क्षमा प्रार्थी हूँ ..
आप सबने ग़ज़ल को समय दिया और सराहना की इससे अभिभूत हूँ 
दिल से शुक्रिया 
सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2015 at 9:59am

क्या बात है , पूरी गज़ल बे मिसाल लगी , हर शे र के लिये दाद हाज़िर है  स्वीकार करें ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 1, 2015 at 1:33am
राज सभा में मर्द थे कितने,
पांचाली का चीर लिखेगा.
.ईमां आज बिका है उसका,
अब वो छाछ को खीर लिखेगा.
वाह ! बहुत खूब लिखा है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय नीलेश नूर जी , सादर।
.
Comment by वीनस केसरी on May 1, 2015 at 12:28am

राज सभा में मर्द थे कितने,  
पांचाली का चीर लिखेगा. 
.

कोई राँझा अपनें खूँ से, 
जब भी लिखेगा, हीर लिखेगा.

.

नूर’ की बातें नूर ही समझे,
कब्र को भी जागीर लिखेगा. 

वाह नूर साहब क्या कहने ..अच्छे अशआर निकाले ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 30, 2015 at 10:33pm

नहीं जलेगा वो ख़त तुझसे, 
जो आँखों का नीर लिखेगा. ,,,क्या बात है 

जंग पे जाता हुआ सिपाही,
हुस्न नहीं शमशीर लिखेगा.,,,,,क्या जज्वा है 

ज़ुल्फों को जंजीर लिखेगा, 
तो कैसे तकदीर लिखेगा..बिलकुल सही 

वाह ...मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 30, 2015 at 1:02pm

आ० नूर भाई

गजल बहुत भाई

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 30, 2015 at 3:29am

वाह वाह आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी उम्दा ग़ज़ल के लिये बधाई ...सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
3 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
7 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service