For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

और कितने नाम हैं..अतुकांत/ छन्दमुक्त रचना -नूर

कोई झील बे-चैन सी,

कोई प्यास बे-खुद सी,

कोई शोखी बे-नज़ीर सी,

तेरी आँखों के और कितने नाम है.....

 

कोई ख़्याल बे-शक्ल सा, 

कोई सितारा बे-नूर सा,

कोई बादल बे-आब सा,

मेरे अरमानों के और कितने नाम है.....

 

कोई रात बे-पर्दा सी,

कोई बिजली बे-तरतीब सी,

कोई अंगडाई बे-करार सी,

तेरी अदाओं के और कितने नाम है ....

 

कोई पत्थर बे-दाम सा,

कोई झरना बे-ताब सा,

कोई मुसाफिर बे-घर सा,

मेरी मोहब्बत के और कितने नाम है......

 

कोई दौलत बे-हिसाब सी,

कोई शोहरत बे-शुमार सी,

कोई गाडी बे-लगाम सी,

तेरी यादों के और कितने नाम है......

 

कोई आंसू बे-सबब सा,

कोई रिश्ता बे-मेल सा,

कोई इलज़ाम बे-वहज सा,

मेरी वफ़ा के और कितने नाम है......

 

और कितने नाम हैं .........
.
नूर
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2015 at 3:18pm

शुक्रिया आ. डॉ आशुतोष जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2015 at 3:18pm

शुक्रिया आ. विजय जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2015 at 3:18pm

शुक्रिया आ. समर कबीर साहब 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 30, 2015 at 10:29pm

आदरणीय नूर जी ..बिलकुल अलग अंदाज में लिखी ताजगी और शब्दों की जादूगरी से भरी शानदार रचना ..आपकी लेखन में कितने आयाम हैं ,,,इस सुंदर मनभावन रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

Comment by vijay nikore on April 30, 2015 at 11:18am

 अति सुन्दर।हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on April 29, 2015 at 6:42pm
जनाब निलेश "नूर" जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें |
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 29, 2015 at 8:45am

शुक्रिया आ. मोहन जी ..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 29, 2015 at 8:45am

शुक्रिया आ. गणेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 29, 2015 at 8:44am

पुन: शुक्रिया आ. मिथिलेश जी.
आपके सुझाव पर विचार करता हूँ ...वैसे मैंने तो यूँ ही कभी इन अनगढ़ ख़यालों को कलमबद्ध कर लिया था ..
सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 29, 2015 at 6:58am

वाह आपने महबूब की आँखों अदाओं और यादों के कई रंग दिखा दिये और अपने अरमान मोहब्बत और वफ़ा गिनवा दिये ...बहुत खूबसूरत रचना ...बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service