For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" हँसकर पतवार चलाना रे "

सुख-दुःख तो आते जाते हैं................................... 

सुख-दुःख तो आते जाते हैं,  राही मत घबरा जाना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

 

हमने कुछ देखी रीत यहाँ,..................................

हमने कुछ देखी रीत यहाँ, श्रम से ही सब कुछ मिलता है !

ईमान –धरम के काँटों में, तब फूल मुकद्दर खिलता है !

 

दौलत तो आनी जानी है.................................

दौलत तो आनी जानी है, ना मन इसमें उलझाना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

 

ये पाप - पुण्य है खेल यहाँ,..................................

ये पाप - पुण्य है खेल यहाँ, जो करता है सो भरता है !

जो सत की राह चले वो तो, इस भवसागर से तरता है !

 

सारे बंधन हैं स्वप्न यहाँ..................................

सारे बंधन हैं स्वप्न यहाँ, मत जीवन व्यर्थ गवाँना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 907

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on January 21, 2015 at 8:34pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी बहुत बहुत आभार !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 21, 2015 at 3:38pm

बहुत सुंदर रचना. बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 21, 2015 at 1:03pm

सारे बंधन हैं स्वप्न यहाँ, मत जीवन व्यर्थ गवाँना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !----------------सुन्दर रचना आदरणीय  i

 

Comment by Shyam Narain Verma on January 21, 2015 at 11:10am
सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें
Comment by Hari Prakash Dubey on January 20, 2015 at 9:44pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया ह्रदय को छू गई, आभार ! सादर

 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 20, 2015 at 9:09pm

आदरणीय मिथिलेश जी , आपकी बातों से दूगना आनंद मुझे भी आ गया और आपने जो त्रुटियाँ इंगित की हैं अभी ठीक करता हूँ ,  आपका आभार ,आपका धन्यवाद !

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 20, 2015 at 9:09pm

 

दौलत तो आनी जानी है.................................

दौलत तो आनी जानी है, नहीं मन इसमें उलझाना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

वाह खूब रचना है वाह


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 20, 2015 at 8:49pm

आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी वाह क्या कमाल का गीत लिखा है. झूम गया हूँ आपके इस गीत को पढ़कर.... लय तो ऐसी कमाल है कि बस दिल से वाह वाह निकल गई. पूरा गीत 16-16 की मात्रा में बहुत सुन्दर सजा हुआ है, जहाँ मात्रा अधिक कम हुई उसे केवल एक शब्द अधिक या कम करके अथवा मात्रा अनुसार शब्दों का क्रम बदला है. इस गीत को मैंने इस तरह पढ़ा और गुनगुनाया है-

 

सुख-दुःख तो आते जाते हैं,  राही मत घबरा जाना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

 

हमने कुछ देखी रीत यहाँ,

श्रम से ही सब कुछ मिलता है !

ईमान –धरम के काँटों में,

तब फूल मुकद्दर खिलता है !

 दौलत तो आनी जानी है, ना मन इसमें उलझाना रे !

 

ये पाप - पुण्य है खेल यहाँ,

जो करता है सो भरता है !

जो सत की राह चले वो तो,  

इस भवसागर से तरता है ! 

सारे बंधन हैं स्वप्न यहाँ, मत जीवन व्यर्थ गवाँना रे !

 

आपके इस बेहतरीन गीत पर दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार करें.... ये गीत पढ़कर आज का दिन सुखद और सफल कर दिया.  सादर

 

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 20, 2015 at 8:34pm
जीवन में तो सबकुछ आना जाना है , जीवन स्वयं आना जाना है , फिर भी सब हस कर निभाना है ,
" जीवन की गहरी नदियों में, हँसकर पतवार चलाना रे ! "
बहुत सुन्दर सन्देश है यह , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, बधाई , इस सार गर्भित प्रस्तुति के लिए , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 20, 2015 at 7:44pm

आदरणीय सुशील सरना सर ह्रदय से आभार आपका , आपके मार्गदर्शन, स्नेह की सदैव आकांक्षा है, सादर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service