For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब से उस युवा चींटे के पँख निकले थे वह हवा बातें करने लगा था. उसने सभी परिजनों और मित्रजनो पर अपने नए नए निकले पँखों का रुआब डालना शुरू कर दिया था, उसका आत्मविश्वास देखते ही देखते आत्ममुग्धता का रूप धारण कर गया। इस बदले हुए स्वरूप को देख देख उसकी माँ रूह तक काँप जाती. लाख समझाने पर भी बेटा यथार्थ के धरातल पर आने को तैयार न हुआ तो एक दिन बूढ़ी माँ ने अपनी बहू को सफ़ेद जोड़ा देते हुए भरे गले से कहा "इसे अपने पास रख ले बेटी।" 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1068

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2014 at 10:51pm

यहाँ तो माँ ने समझदारी दिखाते हुए बहुत सही निर्णय लिया और दिया , क्युकी भविष्य वो ही देख सकता है जो वर्तमान में जी रहा हो...कोई कहाँ तक किन्ही समस्याओं से लड़ सकता है, एक बार पक्का इरादा करो.

आपकी लघुकथाएं अद्वितीय होती है आदरणीय योगराज जी, आपको ह्रदय से बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 3, 2014 at 10:30pm

बच्चों को लेकर तो ममता हमेशा ही असुरक्षा के भाव से ग्रसित होती रहती है उस पर बेटे के बदलते हाव भाव और आज के वक़्त के हालात तथा  भविष्य में आने वाले तूफ़ान को  भांपने में माँ को जरा भी देर नहीं लगती,माँ के उसी अंदेशे को आपने कितनी सुगमता और सुघड़ता से इस लघु कथा में पिरोया है,लघु कथा अपनी बात रखने में सफल हुई ,इस शानदार कथा हेतु बहुत-बहुत बधाई आपको आ० योगराज जी|   

Comment by Vindu Babu on July 3, 2014 at 8:38pm

सच कहा आदरणीय।

आत्ममुग्धता इस कदर ही अंधा बना देती है,लेकिन अनुभवी जनों को को तो भविष्य की आहट रहती  है।

इस सफ़ल अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई आपको।

सादर

Comment by mrs manjari pandey on July 3, 2014 at 8:31pm
आदरणीय योगराज जी अच्छा पाठ है आजकल के बच्चों के लिए खासकर बहुत बहुत बधाई
Comment by नादिर ख़ान on July 3, 2014 at 8:12pm

आदर्णीय योगराज जी .. आपने 4 लाइनों मे 400 पेजों का सार लिख दिया । इतने कम शब्दों मे इतनी  बड़ी बात लिखी जा सकती है ये भी सीखने को मिला । सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आपको बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 3, 2014 at 7:19pm

आदरणीय योगराज जी

ऊंची उड़ान  का यही हश्र होना  है i  माँ ने भविष्य पढ़ लिया i पर आपने जिस ख़ूबसूरती  से कथा का गठन किया , वह अनिवर्चनीय है i काश ! हम आप से कुछ सीख पाते ! सादर i  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 3, 2014 at 7:13pm

आदरणीय योगराज जी

आपकी लघु कथा जभ भी पढता हूँ दिल अश-अश

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 3, 2014 at 6:59pm

wah sir khoob ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service