For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहा किसने कि राहे इश्क़ में धोका नहीं है

कहा किसने कि राहे इश्क़ में धोका नहीं है

यहाँ जो दिखता है वो दोस्तों होता नहीं है

 

जो कुछ पाया ज़माने की नज़र में था हमेशा

गंवाया जो उसे इस दुनिया ने देखा नहीं है

 

गुज़ारी है वफ़ादारों में सारी उम्र मैंने

दग़ा करना किसी से भी मुझे आता नहीं है

 

मुझे मालूम है इक दिन जुदा होना है सबको

मगर ऐसे भी कोई दूर तो जाता नहीं है

 

मुहब्बत के सफ़र में हमसफ़र जितने थे मेरे

कोई भी साथ थोड़ी दूर चल पाया नहीं है

 

अज़ब है कश्मकश दिल की ज़ुदा होके भी तुमसे

कहाँ जाऊँ किधर जाऊँ समझ आता नही  है

 

तुम्हारे बाद भी आए बहुत से लोग लेकिन

मेरे दिल के करीब इतना कोई आया नहीं है

 

दग़ा मक्कारी धोका झूठ तेरी बेवफ़ाई

समझता है मेरा दिल भी कोई बच्चा नहीं है

 

मेरा हँसना तो देखा है सभी ने खूब ‘सूरज’

मगर तनहाई में रोता हुआ देखा नहीं है

 

डॉ सूर्या बाली ‘सूरज’

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 12:34am

डॉक्टर साहब इस ग़ज़ल के कई शेर मसल की तरह प्रयोग किये जाने योग्य हैं. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

और, मंच पर आपकी आमद .. साहब आँखें जुड़ा गयीं.

शुभ-शुभ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 23, 2014 at 10:32am

गुज़ारी है वफ़ादारों में सारी उम्र मैंने

दग़ा करना किसी से भी मुझे आता नहीं है-  वाह ! दिल की सच्चाई बयाँ जो की है, इसमें शक हमें करना नहीं है 

दग़ा मक्कारी धोका झूठ तेरी बेवफ़ाई

समझता है मेरा दिल भी कोई बच्चा नहीं है |  - वाह ! वाह ! और वाह ! 

उम्दा गजल रचना के लिए शुक्रिया डॉ सूर्या बाली "सूरज" साहब 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 22, 2014 at 9:50pm

गोपाल जी, लक्ष्मण जी, राजेश कुमारी जी, अभिनव जी जितेंद्र जी गिरिराज जी आप सभी तहे दिल से शुक्रिया ! थोड़ा मशरूफ़ियत है आजकल ज़िंदगी में लेकिन जल्दी ही मंच पर फिर से वापस आऊँगा पहले की तरह । आप सब अपना स्नेह और आशीर्वाद बनाए रखिए! आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2014 at 7:24pm

दग़ा मक्कारी धोका झूठ तेरी बेवफ़ाई

समझता है मेरा दिल भी कोई बच्चा नहीं है

 

मेरा हँसना तो देखा है सभी ने खूब ‘सूरज’

मगर तनहाई में रोता हुआ देखा नहीं ------- बहुत बहुत बधाइयाँ आदरणीय, लाजवाब ग़ज़ल के लिए ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 10:03am

तुम्हारे बाद भी आए बहुत से लोग लेकिन

मेरे दिल के करीब इतना कोई आया नहीं है..........वाह ! बहुत सुंदर ख्याल

बहुत सुंदर गजल कही आपने, दिली बधाई लीजियेगा आदरणीय डा.सूर्या साहब

 

Comment by Abhinav Arun on June 22, 2014 at 7:19am
क्या कहने डॉ साहिब शानदार ग़ज़ल , दिली मुबारकबाद !!
Comment by umesh katara on June 21, 2014 at 5:43pm

बेहतरीन गज़ल वाहहहहहहह


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2014 at 10:10am

ढेरों दाद कबूलें आ० बाली जी ,बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़ल ओबिओ पटल पर आई है क्या खूब लिखा है ..बहुत खूबसूरत मुसल्सल ग़ज़ल हुई है,हर अशआर प्रभावित कर रहा है किसी एक की क्या बात करूँ |इस ग़ज़ल को पढ़कर दो बातें दिल में आई सो साझा करना चाहूंगी ---मतले के  सानी में  --यहाँ जो दिख रहा वो दोस्तों होता नहीं है ,या यहाँ जो देखते वो दोस्तों होता नहीं है ----करें तो ??

मकते में ----तेरा हँसना तो देखा है करें तो ??  ये सिर्फ मेरी सोच भर है कृपया अन्यथा न लें ..आप जैसे ग़ज़ल कार  के सम्मुख मेरा ज्ञान तो गौण है |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 21, 2014 at 9:44am

आ० बाली जी बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई है इसके लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 20, 2014 at 1:31pm

बाली जी

बहुत अच्छी गजल कही आपने i आपको शत -शत  बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service