For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्द भावों के गले मिलने लगें |
ह्रदय हर किसी के.. मथने लगें |
गुदगुदाते ...लताड़ते से...कभी...
सहलाते से जीवन संवारने लगें ||

राह अभिव्यक्ति की चलने लगें |
शब्द घेरे में जब ..सिमटने लगें |
शब्द मात्रा..रस..छंद..अलंकार में ..
स्मृतियाँ महाकाव्य सी रचने लगें ||

प्रताड़ना से घिरे शब्द भर्त्सना पाने लगें |
लड़ें शब्द-शब्द अंतर-कपट उभरने लगें |
दुत्कारते शब्द ...लानत से लगें जब...
विचलित मन..एकाकी ..घबराने से लगें || 

झिड़कियाँ भी माँ की थपककर सुलाने लगें |
स्नेह सिंचित शब्द माँ के लोरियाँ सी लगें |
वात्सल्य पगे शब्द...शब्द ना रहें .. माँ की.. 
डांटके शब्द संस्कार से ..वजूद में समाने लगें ||

------------------अलका गुप्ता ------------------------

नोट ;-मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 4, 2014 at 8:16pm
सुन्दर कविता अलका जी!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2014 at 2:34am

आपकी कोई पहली रचना देख रहा हूँ. आप सतत सार्थक प्रयास करें.

सादर

Comment by vijay nikore on December 31, 2013 at 1:18pm

अति सुंदर भाव पिरोए हैं। बधाई, आदरणीया अलका जी।

 

 

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 28, 2013 at 8:53am

सुंदर भावपूर्ण रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीया अलका जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2013 at 8:27pm

आदरणीया , सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई ॥

Comment by MAHIMA SHREE on December 27, 2013 at 7:43pm

सुंदर भावाभिव्यक्ति है बधाई आपको आदरणीया

Comment by Shyam Narain Verma on December 27, 2013 at 4:20pm
बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाइयाँ ......
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2013 at 3:22pm

अलका जी

हम लोग तो कुछ मुरव्वत  करते भी है, पर ब्रिजेश नीरज जी खरी खरी कहते है i उनके मशवरे पर अमल कीजिये i आपको लाभ मिलेगा i रचना में जल्दबाजी न करे और कई कई बार पढ़े i रख दे , चार दिन बाद पढ़े तब आपकी ही कलम रचना का संपादन करेगी i  शुभ आशीर्वाद i

Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 1:06pm

शब्द ही हैं जो रस भी घोलते हैं और पीड़ा भी देते हैं! शब्दों को संजोकर प्रस्तुत किया जाए तो कविता का रूप ले लेते हैं!

आपका प्रयास अच्छा है! रचना के शिल्प पर कार्य करने की आवश्यकता है!

इस अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by coontee mukerji on December 27, 2013 at 12:32pm

अति सुंदर. शब्दों का परिचय.शब्द क्या नहीं करते.कबीर जीने कहा है-

''शब्द शब्द सब कोई कहे,शब्द के हाथ न पाँव

एक शब्द औषध करे,एक शब्द करे घाव.''

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
17 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service