For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जुग की मांग 
समय की डिमांड 
बात मेरी मान 
बन जाएँ थेथर श्रीमान....

सलीकेदार लोगों को 
जीने नही देगा समाज 
भले से अच्छा था विगत 
लेकिन बहुत क्रूर है आज 

जीने की ये कला 
जिसे सीखने में सबका भला 
वरना रह जाओगे तरसते 
आपका हिस्सा ये थेथर 
झटक लेंगे हँसते-हस्ते...

हम जिस समय में जी रहे हैं 
उसमे बदतमीज़, कमीना, 
बेशरम और थेथर जैसे 
असंसदीय उपाधियों से 
बिभुषित होने में खुद को 
गौरवान्वित महसूस करते हैं लोग...

थेथर बनने की प्रक्रिया से 
क्या हम भी गुजरें श्रीमान...?

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 1:35am

रचना में दीखता हुआ सपाटपन है. लेकिन मानवीय-सामाजिक पतन से हृदय आहत है यह भी उतना ही सत्य है.

इस प्रस्तुति के लिए बधाई, आदरणीय

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 12, 2013 at 9:46pm

हम जिस समय में जी रहे हैं 
उसमे बदतमीज़, कमीना, 
बेशरम और थेथर जैसे 
असंसदीय उपाधियों से 
बिभुषित होने में खुद को 
गौरवान्वित महसूस करते हैं लोग...

मुझे नहीं पता 'थेथर' नाम से फिल्म है या नहीं पर अब विचार किया जाना चाहिए 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2013 at 3:43pm

आदरणीय अनवर जी ..आपकी इस उत्क्रिस्ट रचना के लिए आपको बधाई ....बिजय भाई की बातों से भी इत्तेफाक रखता हूँ ..सादर बधाई के साथ 

Comment by विजय मिश्र on October 9, 2013 at 2:47pm
अनवर भाई , फौरी आँखों से शायद इनकी जिंदगी थोड़ी रंगीन लगती हो मगर हकीकत जुदा है , ऐसे कमजात न खुद चैन से जी पाते हैं और ना ही दूसरों की अमन चैन को सलामत रहने देते हैं .ये जलील लोग जिल्लत की जिंदगी बसर करते हैं और छोटे-छोटे फाएदों के लिए हलकान रहते हैं .आपका गुस्सा जाएज है .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 9, 2013 at 1:58pm

आदरणीय अनवर भाई , बहुत बढ़िया !!! हार्दिक बधाई !!!

Comment by Saarthi Baidyanath on October 9, 2013 at 8:31am

एक दैन्यदिन के मानवीय चिंतन को चरितार्थ किया आपने ...रचना के आख़िर में पाठकों से पूछा गया प्रश्न ... सचमुच उद्वेलित करता है !....बढ़िया :)

Comment by Sushil.Joshi on October 9, 2013 at 5:47am

थेथर बनने की प्रक्रिया से 
क्या हम भी गुजरें श्रीमान..... बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती इस कृति के लिए बधाई हो आदरणीय अनवर भाई...

Comment by Abhinav Arun on October 9, 2013 at 5:13am

....श्री अनवर जी कलम बेचैन है ... पर वे हैं कहाँ जिनकी हम जय बोले... हमारे बोलने के धर्म का निर्वाह आप जैसे कलमकार कर रहे हैं ..यहाँ सांत्वना देता है ... पर ये सूरत बदलने ..को कुछ और चाहिए लगता है ..विचार परक और सशक्त सामयिक स्वर लिए इस रचना के लिए हार्दिक साधुवाद !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service