For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चले आओ जहां हो तुम

दर्द रह-रह के बढ़ता है
और दिल डूबा जाता है
नब्ज़ थम-थम के चलती है
दिल ज़ोरों से धड़कता है
बीमारी बढती जाती है
फ़िक्र है खाए जाती है
सलाहें खूब मिलती हैं
दवाएं बदलती जाती हैं
दुआएं काम नही आतीं

करें क्या ऐसे में हमदम
कहाँ से चारागर पायें
मत्था किस दर पर टेंकें
कहाँ से तावीजें लायें

तुम्हे मालुम है फिर भी
छुपा कर रक्खे हो नुस्खे
न लो अब और इम्तेहाँ
चले आओ जहां हो तुम
तुम्हारे आते ही हमदम
बिमारी भाग जायेगी........

(maulik aprakashit)

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 7, 2013 at 10:55am

दर्द रह-रह के बढ़ता है 
और दिल डूबा जाता है

तुम्हारे आते ही हमदम 
बिमारी भाग जायेगी....... दर्दे दिल की दास्ताँ पर सुन्दर विचार मंथन हुआ है ! बधाई एवं शुभकामनाए अनवर साहब 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 6, 2013 at 10:13pm

मनोभावों की यथा प्रस्तुति...

शुभकामनाएं 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 6, 2013 at 8:39pm

वाह वाह क्या बात है ...............एकदम सहज प्रस्तुति है बधाई हो

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 5:00pm

बहुत ही बढ़िया भाई जी थोडा और उतार चढाव होता तो आनंद आ जाता खैर इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें.

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 6, 2013 at 3:28pm

भाव बहुत सुन्दर है ! थोडा सा शब्दों का चयन अगर और कसके किया होता तो गजब ढा देते ! बधाई आपको 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 9:41am

थोड़ी सपाट बयानी हो गई है आदरणीय, इस अभिव्यक्ति पर बधाई । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 6, 2013 at 9:11am

बहुत सुंदर, बधाई आदरणीय अनवर साहब

Comment by रविकर on October 6, 2013 at 8:45am

छुपा कर रक्खे हो नुस्खे --

खुबसूरत -
आभार आदरणीय-


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2013 at 7:51am

अनवर भाई !! बहुत सुन्दर !!! बधाई !!

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 2:48am

हा...हा...हा.... वाह वाह.... सही कहा आपने आदरणीय अनवर भाई.... अनेक बीमारियों का एक इलाज.... अपने प्रियतम से मिलना.... कई रोगों को ठीक कर देता है... हा..हा...... बधाई हो....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service