For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अरबों माल डकार के

अरबों माल डकार के राजा जी गै छूट।
जनहित में संदेश है लूट सके तो लूट।।

निकले जब वो जेल से यूँ दिखलाया रंग।
अभिवादन थे कर रहे जीत लिया ज्यों जंग।।

बाहर आकर वायु मे चुम्बन रहे उछाल।
इतने घृणीत कर्म का कोई नही मलाल।।

हर्षित चेलाराम के जमीं न पड़ते पाँव।
बेशरमी रख ताख पे खुश हो करते काँव।।

झिंगुर घुरवा से कहे "जितबे तुहीं चुनाव।
कट्टा पिस्टल साथ हैं डर जइहैं सब गाँव"।।

  • आशीष यादव

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on June 1, 2012 at 8:41am

आदरणीय डॉ. सूर्या बाली "सूरज" जी, दोहें पसन्द कर मुझे मान देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
उम्मीद है कि आगे की रचनाओं पर भी मुझे आप लोगों का आशीर्वाद मिलता रहेगा।

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 30, 2012 at 8:34am

आशीष जी बहुत सुंदर समसामयिक दोहे जो आज की ओझी राजनीति पर करारा प्रहार करते हैं। सुंदर शब्दों और छंदों में बंधी सुंदर भावना व्यक्त करने के लिए बहुत बहुत बधाई !!

Comment by आशीष यादव on May 26, 2012 at 9:10am

आदरणीय Saurabh Pandey जी, आदरणीय PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी, आदरणीय  AjAy Kumar Bohat जी, आदरणीय Arun Kumar Pandey 'Abhinav' जी, आदरणीय AVINASH S BAGDE जी एवँ  आदरणीय Ashok Kumar Raktale जी, आप लोगों की टिप्पणियाँ हमेशा एक नवसंचार पैदा करतीं हैं। आप लोगों की अमूल्य टिप्पणियाँ मेरे लिये प्रेरणा स्रोत होती हैं।
सादर धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on May 26, 2012 at 9:03am

मुख्य संपादक महोदय आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, एवँ सहसंपादक महोदय आदरणीय Ganesh Jee "Bagi" ji, आप लोगों ने भी दोहे पसन्द किया, मुझे अपार हर्ष हो रहा है। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by आशीष यादव on May 26, 2012 at 8:58am

आदरेया  vandana gupta जी, एवँ आदरेया Rekha Joshi  जी आप लोगों ने मेरे दोहों को पसन्द किया श्रम सार्थक हुआ।
अपनी बहुमुल्य टिप्पणी से आप लोगों ने मान दिया।
बहुत-बहुत धन्यवाद


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2012 at 7:25pm

बहुत ही सुन्दर दोहें , आशीष जी आपकी यह रचना बहुत पसंद आई , बधाई स्वीकार करें |

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 8:16am

आशीष जी
        सादर,
              निकले जब वो जेल से  यूँ दिखलाया रंग।
        अभिवादन थे कर रहे  जीत लिया ज्यों जंग।।
बहुत खूब! राजा जंग जीते या नहीं आपने दिल अवश्य जीत लिया है. बधाई.

Comment by AVINASH S BAGDE on May 18, 2012 at 9:15pm

अरबों माल डकार के  राजा जी गै छूट।
जनहित में संदेश है  लूट सके तो लूट।।sahi chot Aashish bhai

Comment by Abhinav Arun on May 18, 2012 at 4:15pm

निकले जब वो जेल से  यूँ दिखलाया रंग।
अभिवादन थे कर रहे  जीत लिया ज्यों जंग।।

हा हा हा क्या कहने सामयिक कटाक्ष करते दोहे हार्दिक बधाई आशीष जी !!

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:14pm

bahut karara vyang, badhai sweekaar karein...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service